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दुष्यंत ने खुद को साबित किया ‘देवी’ का असली भक्त, इस तरह समझिए उनकी राजनीति

राष्ट्रीय राजनीति में हमेशा फलक पर रहे चौधरी देवीलाल के परिवार के उभरते चिराग दुष्यंत चौटाला में कुछ तो खास बात है जो उन्हें दूसरों से अलग खड़ा करती है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 09:53 AM (IST)
दुष्यंत ने खुद को साबित किया ‘देवी’ का असली भक्त, इस तरह समझिए उनकी राजनीति
दुष्यंत ने खुद को साबित किया ‘देवी’ का असली भक्त, इस तरह समझिए उनकी राजनीति

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। राष्ट्रीय राजनीति में हमेशा फलक पर रहे चौधरी देवीलाल के परिवार के उभरते चिराग दुष्यंत चौटाला में कुछ तो खास बात है, जो उन्हें दूसरों से अलग खड़ा करती है। दुष्यंत सत्ता तक यूं ही नहीं पहुंचे। 26 साल की उम्र में देश के सबसे युवा सांसद बनने का अनुभव ले चुके दुष्यंत ने पहले खुद को साबित किया, फिर भाजपा शासित हरियाणा सरकार में डिप्टी सीएम बने। इनेलो से अलग होकर अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी के मुखिया के तौर पर दुष्यंत ने करीब 11 माह तक हर रोज अपने राजनीतिक कौशल की परीक्षा दी।

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सोशल मीडिया पर दुष्यंत चौटाला के भाजपा सरकार में शामिल होने के फैसले पर भले ही अंगुली उठाई जा रही, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि यदि सत्ता की पावर नहीं होगी तो फिर जरूरतमंद लोगों व पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ समर्थकों के काम कैसे होंगे। भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम बनने के बाद अब दुष्यंत के पास कहने के लिए यह नहीं बचेगा कि वह पावर में नहीं हैं। दुष्यंत चौटाला फिल्म एक्टर धर्मेंद्र के कद्रदान हैं। उन्होंने फिल्म शोले कई बार देखी और इस फिल्म का गाना यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे उन्हें खासा पसंद है। भाजपा के साथ जजपा की दोस्ती शोले फिल्म के इसी गाने की दुष्यंत की सोच पर आधारित मानी जा रही है।

जजपा को 11 माह के कार्यकाल में खड़ा करने के लिए दुष्यंत की अंदरूनी टीम को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनकी पार्टी के मुख्य रणनीतिकार सतीश बैनीवाल, मीनू बैनीवाल, धर्मपाल सिंह (डीपी सिंह), नितिन और नवीन तो रहे ही, साथ ही आइटी सेल की अहम भूमिका रही है। अपनी रणनीति के बूते जजपा एक साल के भीतर ही प्रदेश में छुपी रुस्तम साबित हुई है। इस बार के चुनाव में जजपा ने 10 सीटें हासिल की हैं। कांग्रेस व भाजपा के बड़े दिग्गजों को हराकर जजपा ने अपनी राजनीतिक हनक बनाई है।

इस तरह से समझिए दुष्यंत चौटाला को

  • 2014 में दुष्यंत चौटाला 26 साल की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के सांसद बने
  • चौधरी भजनलाल के गढ़ हिसार में बेहद कड़े मुकाबले में 4 लाख 95 हजार वोट लेकर सांसद बने
  • हरियाणा के इतिहास में संसद में सबसे ज्यादा सवाल पूछे और सर्वाधिक चर्चाओं में हिस्सा लिया
  • सांसद बनने के बाद एलएलएम और मास कम्युनिकेशन की डिग्रियां हासिल की
  • हिसार लोकसभा क्षेत्र में एमपीलैड का 100 फीसद इस्तेमाल किया
  • ट्रैक्टर को कामर्शियल घोषित होने से बचाने के लिए ट्रैक्टर पर संसद गए
  • इनेलो से निष्कासित होने पर जननायक जनता पार्टी का गठन किया
  • 2019 के विधानसभा चुनाव में उचाना से पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की विधायक पत्नी प्रेमलता को हराया

इन चुनौतियों से पार पाना बेहद मुश्किल

  • सत्ता चलाने के लिए भाजपा के रंग में रंग पाना बड़ी चुनौती
  • सत्ता में शामिल होने पर कार्यकर्ताओं की महत्वाकांक्षा बढ़ेगी
  • जजपा के साथ इनेलो का ही पुराना काडर है, जो पिछले 20 सालों से सत्ता से दूर है
  • अब यह काडर चाहेगा कि उसकी नौकरियां लगें, काम हों
  • जजपा काडर बेस कार्यकर्ताओं को भाजपा के सुशासन से बनाना होगा तालमेल
  • उपमुख्यमंत्री रहते हुए कार्यकर्ताओं की सुनवाई भविष्य की राह तय करेगी

11 महीने में तीन बड़े चुनाव लड़ चुकी जजपा, 10 सीटें जीती

पूर्व सांसद पिता अजय चौटाला का पूरा काडर दुष्यंत के साथ खड़ा है। पिता से सीखे राजनीति के गुर भी चुनाव मैदान में दुष्यंत के काम आए। मां नैना चौटाला और पुराने दिग्गज रामकुमार गौतम तथा केसी बांगड़ ने भी चुनावी चक्रव्यूह तोड़ने और रचने के दाव-पेच दुष्यंत को बताए। भाई दिग्विजय का साथ और पिता अजय चौटाला की सलाह से आगे बढ़े। इन 11 माह में जजपा ने तीन चुनाव लड़ लिए। पहले जींद उपचुनाव। फिर लोकसभा चुनाव और अब विधानसभा चुनाव।

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