लॉकडाउन में भी नहीं हारी हिम्मत, 4860 KM पदयात्रा कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
अरुण मित्तल 11 राज्यों की राजधानी में पौधारोपण करते हुए 4860 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद 4 जून को कन्याकुमारी के विवेकानंद आश्रम प्रांगण पहुंचे।
नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रदूषण से निजात को अब पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता का अभियान युवाओं को अपने हाथ में लेना होगा। तभी भविष्य की पीढ़ी प्रदूषण से निजात पा सकेगी। यह कहना इंजीनियर अरुण मित्तल का। गुरुग्राम की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर की नौकरी छोड़कर अरुण ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए 14 सितंबर को जम्मू के एक सरकारी स्कूल में पौधा लगाकर अपनी पदयात्रा शुरू की और 11 राज्यों की राजधानी में पौधारोपण करते हुए 4860 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद 4 जून को कन्याकुमारी के विवेकानंद आश्रम प्रांगण पहुंचे।
यहां शुक्रवार दोपहर उन्होंने विवेकानंद आश्रम के पदाधिकारियों के साथ आश्रम प्रांगण में पौधारोपण कर अपनी यात्रा का समापन किया। फरीदाबाद के रहने वाले अरुण ने दैनिक जागरण को फोन पर बताया कि पर्यावरण संरक्षण के इस अभियान को उन्होंने पैदल इसलिए चलाया, क्योंकि युवाओं को उन्हें फिटनेस का भी संदेश देना था। इस दौरान अरुण 11 राज्यों की राजधानी में स्कूल-काॅलेज के छात्रों के बीच गए और वहां पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता रखने के लिए छात्रों को प्रेरित किया।
लाॅकडाउन में पहले 10 दिन नहीं मिला खाना
अरुण मित्तल बताते हैं कि जम्मू से बंगलुुरू तक उन्हें कोई समस्या नहीं आई। वे जिस भी प्रदेश की राजधानी गए वहां की समाजसेवी और शैक्षणिक संस्थाओं ने न उनका सिर्फ स्वागत किया, बल्कि उनके अभियान को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। वे 22 मार्च को तमिलनाडु के राशिपुरम शहर पहुंचे थे। इसी दिन कोरोना वायरस के बचाव को जनता कर्फ्यू लगा था। इसके बाद वे दो दिन वहीं रुके तो 24 मार्च को पता चला कि अब 26 मार्च से लॉकडाउन रहेगा। इस दौरान वे शहर में रहे मगर लाॅकडाउन के पहले दस दिन तो उन्हें न किसी समाजसेवी संस्था और न ही प्रशासन ने कोई मदद की। इस दौरान उनके पैसे भी खत्म हो गए। वे चाय, दूध के साथ ब्रेड- बिस्कुट ही लेते रहे। इन दस दिनों तक उन्होंने अपना समय फुटपाथ पर निकाला। बाद में प्रशासन सहित समाजसेवी संस्थाओं ने उनके रहने-ठहरने की व्यवस्था की।