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हरियाणा में शराब के कम दाम बढ़ने का फायदा उठा रहे ठेकेदार, जनता व सरकार को दिखा रहे ठेंगा

हरियाणा में शराब ठेके खुलने के बाद ठेकेदार इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं। राज्‍य में शराब की कीमत बढ़ने का माफिया जमकर फायदा उठा रहा है और जनता व सरकार दोनाें को ठेंगा दिखा रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 08:33 AM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 08:33 AM (IST)
हरियाणा में शराब के कम दाम बढ़ने का फायदा उठा रहे ठेकेदार, जनता व सरकार को दिखा रहे ठेंगा

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में शराब माफिया पूरी तरह से हावी हो चला है। लाॅकडाउन के चलते गोदामों में पड़े स्टाक को ठेकेदारों ने जहां दो से चार गुणा दामों पर निकालकर अपना खजाना भर लिया, वहीं सरकार का खजाना खाली रह गया। शऱाब माफिया हावी नहीं होता तो सरकारी खजाने में अधिक राजस्व आता। हरियाणा सरकार ने इस बार की नई आबकारी पालिसी में हालांकि शऱाब के दामों में मामूली बढ़ोतरी की है, लेकिन ठेकेदारों ने अपनी मनमर्जी की कीमत पर शऱाब की बिक्री कर जनता व सरकार को ठेंगा दिखा दिया है।

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सरकार ने तय किया सात हजार करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य, खजाने में आएंगे साढ़े सात हजार करोड़

हरियाणा सरकार ने पिछले साल करीब ६५०० करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया था। राज्य में लाॅकडाउन 23 मार्च को लगा है। पुरानी शराब पालिसी 31 मार्च तक होती है। लाॅकडाउन लगने तक सरकार ने हालांकि 6800 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल कर लिया था, लेकिन यदि लाॅकडाउन की अवधि के दौरान ठेकेदार गोदामों में पड़ी शराब को खुर्दबुर्द कर मनमाने दामों पर नहीं बेचते तो सरकार के खजाने में 7200 से 7500 करोड़ रुपये तक आने का अनुमान था। इस बार 1 अप्रैल से नई शराब पालिसी आरंभ होनी थी, लेकिन लाकडाउन की वजह से इसे 16 मई से आरंभ माना जाएगा। इस बार सरकार ने करीब 7000 करोड़ रुपये के राजस्व हासिल करने का लक्ष्य रखा है।

हरियाणा सरकार ने लाॅकडाउन के चलते हुई आमदनी की भऱपाई करने के लिए एक बोतल पर दो से 50 रुपये की बढ़ोतरी की है, जो पूरी शराब पर करीब 500 करोड़ रुपये बनती है। इस लिहाज से यदि सरकार बढ़े हुए दाम हासिल करती है तो सरकार के खजाने में करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपये इस बार शराब पालिसी से आने की संभावना है, लेकिन शऱाब ठेकेदारों ने अभी से उस नियम का फायदा उठाना चालू कर दिया है।

इसमें यह व्यवस्था है कि कोई भी ठेकेदार न्यूनतम रेट से कम पर शराब नहीं बेच सकता, लेकिन अधिकतम कितने भी रेट पर शराब बेची जा सकती है। यह व्यवस्था यदि साल भर जारी रहती है तो इस हिसाब से शराब ठेकेदार दो से तीन गुणा दामों पर शऱाब बेचने वाले हैं। इस हिसाब से शराब ठेकेदारों की जेब में 1800 से दो हजार करोड़ रुपये जाने का अनुमान है।

हरियाणा सरकार यदि खुद ही शराब के रेट बढ़ाती तो यह राजस्व सरकारी खजाने में जाता, जो अब ठेकेदारों की जेब में जा सकता है। दिल्ली, राजस्थान और पंजाब सरकारों ने भी शराब के दामों में बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी का सीधा फायदा सरकारी खजाने को मिलेगा, लेकिन हरियाणा में जो भी मामूली बढ़ोतरी की गई है, उसका बड़ा फायदा ठेकेदारों को मिलेगा, जबकि सरकार के हाथ कुछ खास लगने वाला नहीं है। चूंकि पड़ोसी राज्यों में शराब महंगी है इसलिए ठेकेदारों ने आपसी गठजोड़ बनाकर शराब के दाम बढ़ा दिए हैं।

शराब के दाम बढ़ाए जाने का एक और कारण यह भी है कि दिल्ली में फिलहाल केजरीवाल सरकार ने कोरोना सेस के रूप में शराब पर शुल्क में 70 फीसद बढ़ोतरी की है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब में पहले से ही शराब काफी महंगी है। हरियाणा सरकार ने कोरोना सेस के रूप में देसी शराब पर पांच अंग्रेजी पर 20 और आयातित शराब पर 50 रुपये प्रति बोतल की ही बढ़ोतरी की है। मगर शराब ठेकेदार लॉकडाउन से पहले का स्टॉक मनमानी दर पर बेच रहे हैं। राजस्थान सरकार ने लॉकडाउन के बाद 10 फीसद, उत्तर प्रदेश सरकार ने 15 से 20 फीसद और दिल्ली सरकार ने 50 फीसद की वृद्धि की है। पंजाब में शराब के दाम पहले से ही ज्यादा थे।

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नया माल आने पर टूट सकता है सिंडिकेट

शराब ठेकेदार बता रहे हैं कि महंगी शराब बेचने का दौर तभी तक है जब तक नया माल नहीं आ जाता। इसके बाद न तो ठेकेदारों का आपसी गठजोड़ चलेगा और न ही दिल्ली में कोरोना सेस रहेगा। दिल्ली में कोरोना सेस हटने के बाद हरियाणा में भी शराब के दाम ठेकेदारों को घटाने पड़ सकते हैं। हरियाणा सरकार ने इस बार शराब बेचने का जो लक्ष्य तय किया है उसे पूरा करने की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पर रहेगी।

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शराब की कमी के चलते तस्करी भी रुकी

हरियाणा से उत्तर प्रदेश, दिल्ली,राजस्थान,पंजाब और बिहार तक शराब की तस्करी होती रही है। बिहार में शराब बंद है मगर इसके बावजूद भी तस्कर अवैध रूप से वहां शराब भेजने का काम करते हैं। इसका कारण यह है कि पड़ोसी राज्यों में शराब की सरकारी दर महंगी होती हैं और हरियाणा में सस्ती। मौजूदा समय में भी हरियाणा में शराब की दर सस्ती हैं मगर माल की कमी है। इसके कारण फिलहाल दूसरे राज्यों में शराब की तस्करी रुकी हुई है।

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