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हरियाणा में कांग्रेस पर नई उलझन में फंसी , स्‍थानीय निकाय के बाद अब नगर निगम के चुनाव के लेकर दबाव

Haryana Municipal Polls हरियाणा में कांग्रेस एक बार फिर उलझन में पड़ गई है। कांग्रेस पर स्‍थानीय निकाय चुनाव के बाद राज्‍य में अब तीन नगर निगम चुनावों में पार्टी सिंबल से उतरने का दबाव है। पार्टी ने स्‍थानीय निकाय चुनाव अपने सिंबल पर नहीं लड़ा था।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 02:23 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 02:23 PM (IST)
हरियाणा में कांग्रेस पर नई उलझन में फंसी , स्‍थानीय निकाय के बाद अब नगर निगम के चुनाव के लेकर दबाव
कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा भाजपा अध्‍यक्ष ओमप्रकाश धनखड़। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana Municipal Polls:  हरियाणा में कांग्रेस नई उलझन में पड़ गई है। पार्टी पर स्‍थानीय निकाय चुनाव के बाद अब नगर निगम चुनाव अपने सिंबल पर लड़ने का दबाव पड़ रहा है। हरियाणा के दो दर्जन शहरी निकायों में जीत हासिल करने वाली भाजपा तीन नगर निगमों के चुनाव भी सिंबल पर लड़ने की तैयारी में है।

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पिछले चुनाव सिंबल पर नहीं लड़ने के फैसले से खुश नहीं नेता

कांग्रेस ने शहरी निकाय चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं लड़े थे, लेकिन गुरुग्राम, फरीदाबाद व मानेसर नगर निगमों के चुनाव सिंबल पर लड़ने का कांग्रेस पर भारी दबाव है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के धड़े में ही कई लोग शहरी निकाय चुनाव सिंबल पर नहीं लड़े जाने के फैसले से नाराज हैं। इस बार वह पार्टी नेतृत्व पर तीनों नगर निगम के चुनाव सिंबल पर लड़ने का दबाव बना रहे हैं।

हाल ही में 18 नगर परिषद और 28 नगर पालिकाओं के चेयरमैन तथा पार्षदों के चुनाव हुए हैं। यह चुनाव भाजपा, जजपा, आम आदमी पार्टी, इनेलो और बसपा ने सिंबल पर लड़े थे, लेकिन कांग्रेस ने यह कहते हुए मैदान छोड़ दिया था कि अभी तक संगठन तैयार नहीं हुआ है।

हर जिले में एक सीट पर कई-कई दावेदार हैं, इसलिए वह किसी तरह के आपसी विवाद को हवा नहीं देना चाहती। इन चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन सबसे बढ़िया रहा है। निर्दलीय उम्मीदवारों को 50 प्रतिशत वोट मिले, जिस पर कांग्रेस अपना अधिकार जमा रही है।

कांग्रेस का कहना है कि यदि वह सिंबल पर लड़ती तो यह 50 प्रतिशत वोट उसे मिलते, लेकिन खुद ही सिंबल पर लड़ने की पहल नहीं कर पाई है। अब भाजपा तीनों नगर निगम सिंबल पर लड़ने की तैयारी कर रही है। हालांकि परिषद व पालिका की तरह नगर निगमों के चुनाव में भी जजपा को साथ लेकर चलने की भाजपा की मजबूरी होगी, लेकिन भाजपा गुरुग्राम, फरीदाबाद व मानेसर में से कोई भी एक निगम जजपा को देगी, इसकी बिल्कुल भी संभावना नहीं है। भाजपा की सहयोगी पार्टी जजपा का मानेसर नगर निगम पर दावा है।

भाजपा तीनों नगर निगम के चुनाव पार्टी सिंबल पर ही लड़ेगी, मानेसर नगर निगम पर जजपा की निगाह

फरीदाबाद व गुरुग्राम में भाजपा के विधायक हैं, जबकि मानेसर हाल ही में नगर निगम बना है। यह गुरुग्राम का ही पार्ट है, चूंकि यहां कोई अलग से विधायक नहीं है, इसलिए जजपा फरीदाबाद व गुरुग्राम में भाजपा के विधायक होने और मानेसर सीट खाली होने की दलील के साथ अपनी दावेदारी कम नहीं करने वाली है।

भाजपा ने यदि उसे सीट नहीं भी दी तब भी मानेसर में जजपा चुनाव लड़ सकती है। अगले कुछ दिनों में दोनों दल इस चुनाव को लेकर राजनीतिक स्थितियों पर मंथन कर लेंगे, जबकि हरियाणा कांग्रेस भी बैठक बुलाने की तैयारी में नजर आ रही है।


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