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हरियाणा में कोयले का संकट खत्म, गांवों में रात को गुल नहीं होगी बिजली, दो घंटे की कटौती बंद

हरियाणा में कोयला संकट खत्म हो गया है। राज्य में रोजाना 10 से 12 रैक पहुंच रहे हैं। स्टाक को बढ़ाकर डेढ़ से दो महीने का करने के निर्देश दिए गए है। कोयला संकट खत्म होने से गांवों में लगने वाले बिजली कट बंद हो जाएंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 10:00 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 10:15 AM (IST)
हरियाणा में कोयले का संकट खत्म, गांवों में रात को गुल नहीं होगी बिजली, दो घंटे की कटौती बंद
हरियाणा में कोयले की कमी खत्म, बिजली कटों से मिलेगी राहत। सांकेतिक फोटो

सुधीर तंवर, चंडीगढ़। कोयला संकट के चलते कई दिनों से हरियाणा में सांझ ढलते ही दो घंटे की बिजली कटौती झेल रहे ग्रामीणों को अब राहत मिलेगी। म्हारा गांव-जगमग गांव योजना से कन्नी काट रहे गांवों में शाम छह से रात आठ बजे तक जो बिजली कटौती की जा रही थी, उसे अब बंद किया जाएगा। इन गांवों में हालांकि पहले की तरह शाम चार से छह बजे तक बिजली कटौती की जाएगी।

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बिजली महकमे के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने इस संबंध में उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम को आदेश जारी कर दिए हैं। प्रदेश में 15 करोड़ यूनिट बिजली की दैनिक मांग है। करीब 5400 गांवों में 24 घंटे बिजली दी जा रही है। इसके अलावा करीब 15 फीसद गांव ऐसे हैं जिन्होंने म्हारा गांव-जगमग गांव योजना को नहीं अपनाया है। पिछले दिनों कोयला संकट के चलते इन गांवों में दो घंटे की अतिरिक्त कटौती शुरू की गई थी।

शनिवार से बिजली उत्पादन संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति सामान्य हो गई है। पहले जहां प्रतिदिन कोयले के चार रैक मिल रहे थे, वहीं अब रोजाना दस से बारह रैक प्रदेश काे मिल रहे हैं। जल्द ही इनकी संख्या 15 तक पहुंच सकती है। नियमानुसार बिजली उत्पादन संयंत्रों में तीन से चार सप्ताह का स्टाक रखना होता है। कोयला संकट के दौर में यह उपलब्धता तीन से चार दिन की रह गई थी।

इससे सबक लेते हुए बिजली महकमे के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बिजली उत्पादन निगम के प्रबंधकों को निर्देश दिए हैं कि स्टाक की उपलब्धता को बढ़ाकर डेढ़ से पौने दो माह तक ले जाया जाए, ताकि भविष्य में अगर मानसून के दौरान खदानों में पानी भरने से काेयला संकट होता है तो प्रदेश पर इसका प्रभाव न पड़े। बता दें, कोयले के संकट के कारण देश के अधिकांश राज्यों में बिजली का संकट पैदा हो गया था। 


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