हरियाणा में आइएएस और आइपीएस लाॅबी में टकराव की चिंगारी भड़कने के आसार, ढाल बने खेमका
हरियाणा में नौकरशाही में ही जंग छिड़ने के हालात पैदा हाे गए हैं। राज्य में आइएएस और आइपीएस अधिकारी आमने-सामने आ गए हैं। आइएएस और आइपीएस लाॅबी के बीच टकराव की चिंगारी भड़कने के आसार हैं। इसमें अशोक खेमका आइएएस लॉबी के लिए ढाल बन गए हैं।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। हरियाणा में प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के बीच अंदरूनी टकराव की चिंगारी किसी भी समय उग्र रूप धारण कर सकती है। विवाद आइएएस और एचसीएस काडर के पदों पर आइपीएस व एचपीएस अधिकारियों की नियुक्तियों को लेकर है। प्रदेश सरकार राज्य में पिछले काफी दिनों से धीरे-धीरे नया प्रयोग कर रही है। आइएएस और एचसीएस काडर के पदों पर न केवल आइपीएस और एचपीएस अधिकारियों की नियुक्तियां की जा रही हैं, बल्कि कई जिलों में आइपीएस अधिकारियों को डीसी नियुक्त किए जाने की आशंका से आइएएस लाबी खासी चिंतित है। पूरे प्रकरण में वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अशोक खेमका आइएएस लॉबी की ढाल बन गए हैं
आइएएस काडर में आइपीएस अफसरों की नियुक्ति का हो रहा विरोध
आइएएस और एचसीएस आफिसर्स एसोसिएशन अपने-अपने स्तर पर इस चिंता को साझा कर चुकी हैं, लेकिन इससे पहले कि कोई विस्फोट हो, अधिकारी अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का इरादा रखते हैं। आइएएस अधिकारियों के लिए ढाल वरिष्ठ आइएएस अधिकारी डा. अशोक खेमका बन गए हैं। बता दें कि खेमका का 27 साल की नौकरी में 53 बार तबादला हो चुका है। खेमका ने हाल ही में मुख्य सचिव विजयवर्धन को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने आइएएस काडर के पदों पर आइपीएस अधिकारियों की नियुक्तियों का विरोध किया है।
पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखा, अब मुख्य सचिव के सामने जताया विरोध
बता दें कि मुख्य सचिव विजयवर्धन हरियाणा के आइएएस आफिसर्स एसोसिएशन के प्रेेसिडेंट हैं। खेमका ने उन्हें मुख्य सचिव के नाते पत्र लिखा है। ऐसे में अब मुख्य सचिव पर दोहरी जिम्मेदारी आन पड़ी है। एक तो सरकार के प्रतिनिधि के नाते और दूसरे एसोसिएशन के प्रेेजीडेंट के नाते कि वह अफसरशाही में चल रहे इस टकराव की सरकार को विधिवत पूरी जानकारी दें। हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल इस बारे में पूरी तरह से अवगत हैं, लेकिन आइएएस अधिकारियों ने जिस तरह से खेमका को ढाल बनाया और खेमका ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखी है, उससे सरकार की परेशानी बढ़ना स्वाभाविक है।
हरियाणा में अफसरशाही को लेकर नए प्रयोग कर रही सरकार, विवाद बढ़ने की आशंका
मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनाती के समय सीनियर आइपीएस अधिकारी ओपी सिंह को जब खेल विभाग का प्रधान सचिव बनाया गया था, तब भी खेमका ही आगे आए थे। उन्होंने इस नियुक्ति का विरोध करते हुए सीधे मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चिट्ठी लिख डाली थी। ओपी सिंह अब फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त हैं। हुड्डा सरकार में वह खेल निदेशक भी रहे, जबकि मनोहर सरकार में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में एंट्री दी गई थी।
अब मनोहर सरकार के ही कार्यकाल में आइपीएस अधिकारी शत्रुजीत कपूर को परिवहन विभाग का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है, जबकि इससे पहले वह कई साल तक बिजली निगमों के चेयरमैन रहे हैं। इसी तरह से हरियाणा लोक सेवा आयोग के चेयरमैन के पद पर आइ एफएस अधिकारी आलोक वर्मा की नियुक्ति हुई है। मुख्यमंत्री कार्यालय में आइआरएस अधिकारी योगेंद्र चौधरी सरकारी योजनाओं के नोडल अधिकारी के तौर पर तैनात हैं।
मुख्यमंत्री ने यह प्रयोग हालांकि भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए किया है। उन्होंने परिवहन विभाग में ही एचसीएस काडर के पदों पर एचपीएस अधिकारियों की भी नियुक्तियां की, जिसका एचसीएस आफिसर्स एसोसिएशन ने खुला विरोध किया। अब आइएएस और एचसीएस लाबी को यह खतरा है कि कहीं जिला उपायुक्तों व एसडीएम के पदों पर आइपीएस व एचपीएस अधिकारियों को न बैठा दिया जाए। पालिसी मैटर के हिसाब से यह हालांकि सरकार का अपना फैसला हो सकता है और हो सकता है कि इसके परिणाम भी सरकार के मनमाफिक आएं, लेकिन अफसरशाही में इस समय पूरी तरह से हलचल मची हुई है।
अशोक खेमका ने अपने पत्र में बनाया सुप्रीम कोर्ट की रुलिंग को आधार
अशोक खेमका ने मुख्य सचिव को भेजे पत्र में कहा है कि आइएएस के पदों पर आइपीएस, आइएफएस व आइआरएस अधिकारियों की नियुक्तियां नियमानुसार नहीं हैं। सक्षम अथारिटी जनहित में तबादले व नियुक्तियां करती है, लेकिन इनमें किया जा रहा भेदभाव तभी खत्म होगा, जब नियमों का अनुसरण किया जाएगा। आइएएस काडर नियम 31 अक्टूबर 2013 को टीएसआर सुब्रहमण्यम और अन्य बनाम केंद्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अवश्य संशोधन किए गए हैं, मगर उन्हें लागू नहीं किया जा रहा है।
उन्होंने कहा है कि हरियाणा में भी सिविल सर्विस बोर्ड को क्रियाशील करने की जरूरत है। नियम सात के तहत आइएएस के तबादले बोर्ड की सिफारिश के अनुसार किए जाएं, जिसमें मुख्य सचिव, वित्तायुक्त व सचिव कार्मिक की राय को शामिल किया जाना चाहिए। आइएएस का किसी भी पद पर कार्यकाल कम से कम दो वर्ष तक होना चाहिए। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट हिदायतें हैं। सीएम बोर्ड की सिफारिश को संशोधित, रद व बदलवा भी सकते हैं लेकिन उन्हें इसका कारण लिखित में बताना होगा। बिना बोर्ड की सिफारिश के तबादले व नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। नियम आठ के मुताबिक हर काडर पद को काडर अफसर से ही भरा जाना चाहिए।
'जस्ट ट्रांसफर्ड : द अनटोल्ड स्टोरी आफ अशोक खेमका' में विवादों की कहानी
डा. अशोक खेमका हरियाणा के ऐसे आइएएस अधिकारी हैं, जिन पर मार्च में इसी साल 'जस्ट ट्रांसफर्ड : द अनटोल्ड स्टोरी आफ अशोक खेमका' नामक किताब प्रकाशित हुई है। खेमका पर लिखी गई इस किताब ने अफसरशाही व राजनीतिक गलियारों में बहस को जन्म दिया है, लेकिन यह बहस कोरोना काल की वजह से ज्यादा माहौल नहीं बना सकी। अब चूंकि खेमका फिर चर्चा में हैं तो यह किताब पढ़ी जा सकती है। 276 पेज की इस किताब की कीमत सवा तीन सौ रुपये के आसपास है।
हुड्डा सरकार के दौरान खेमका उस समय सुर्ख़ियों में आए थे, जब कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा के एक जमीन सौदे की म्युटेशन (इंतकाल) रद कर दी गई थी। खेमका को तबादलों के जरिये दी गई यातना के इस सफर को दिल्ली की दो पत्रकारों भवदीप कंग और नमिता काला ने किताब का रूप दिया है। किताब का प्रकाशन हार्पर कालिंस ने किया है।
इस किताब में खेमका के सरकारों के साथ विवाद, उनसे कार छीन लेने, चार्जशीट करने और वाड्रा भूमि विवाद का विस्तार से उल्लेख है। यह किताब प्रशासनिक ढांचे के अंदरूनी रूप को उजागर करने वाली है। खेमका फिलहाल अभिलेखागार एवं पुरातत्व विभाग के प्रधान सचिव के पद पर कार्यरत हैं।
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