भाजपा सरकार बनी, पर मंत्री हारे, जानें... किस दिग्गज ने क्या बताया हार का कारण
75 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य तय करने वाली भाजपा के आठ मंत्री इस बार चुनाव हार गए। उन्होंने हार के कारणों पर चर्चा के दौरान अपने दिल का दर्द बयां किया।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा की पिछली मनोहर कैबिनेट में मंत्री रह चुके तमाम भाजपा दिग्गज चुनाव हारने से खासे विचलित हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन पराजित मंत्रियों के साथ शुक्रवार को लंच कर न केवल हार के सामूहिक कारणों पर मंथन किया, बल्कि उन्हें सरकार व संगठन का अहम हिस्सा बनाए रखने का भरोसा भी दिलाया।
चंडीगढ़ स्थित सीएम निवास पर करीब तीन घंटे चली बैठक में पराजित मंत्रियों ने भाजपा की हार के करीब एक दर्जन बड़े कारण गिनाए। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और प्रांतीय संगठन महामंत्री सुरेश भट्ट की मौजूदगी में हुई बैठक में कई सीटों पर हार के व्यक्तिगत कारण भी सामने लाए गए, मगर पार्टी में सामूहिक कारणों पर ज्यादा देर तक मंथन हुआ।
75 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य तय करने वाली भाजपा के आठ मंत्री इस बार चुनाव हार गए। इन आठों पूर्व मंत्रियों के साथ ही चुनाव जीते अनिल विज और डॉ. बनवारी लाल के अलावा टिकट से वंचित रहे राव नरबीर व विपुल गोयल भी मंथन का हिस्सा बने। बैठक में जाट व दलित गठजोड़ (हुड्डा-सैलजा की जोड़ी) को भाजपा की हार का बड़ा कारण माना गया।
पूर्व मंत्रियों ने कहा कि जाट समुदाय के लोगों ने भाजपा को वोट नहीं दिए। किसान भी भाजपा से नाराज थे। दिल्ली में संत रविदास का मंदिर टूटा। उससे दलितों व वाल्मीकि समाज में नाराजगी थी। गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले (बीपीएल) लोगों को न तो प्लाट मिले और न ही मकान। शहरी मतदाता भाजपा की जीत मानकर वोट डालने के लिए घर से ही नहीं निकला।
बैठक में अधिकतर पूर्व मंत्रियों ने माना कि राज्य में सामूहिक विकास हुआ, लेकिन व्यक्तिगत विकास से वंचित लोगों ने भाजपा को वोट नहीं दिए। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत काटे गए चालान भी भाजपा की हार का बड़ा कारण बने। विपक्ष लोगों के मन में यह सेट करने में कामयाब रहा कि आगे चालान और तेजी से कटेंगे। साथ ही कर्मचारियों की नाराजगी भी भाजपा की हार में बड़ा कारण रही है।
हारे हुए मंत्रियों की पूछ नहीं होगी कम
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हारे हुए मंत्रियों को भरोसा दिलाया कि वे सरकार और संगठन का चेहरा हैैं। उन्हें किसी सूरत में नजर अंदाज नहीं किया जाएगा। तमाम पूर्व मंत्रियों को संगठन व सरकार में अहम हिस्सेदारी दी जाएगी। इसका स्वरूप क्या होगा, यह बाद में तय होगा। मनोहर लाल ने पूर्व मंत्रियों के साथ पांच साल में तैयार की गई योजनाओं व नीतियों पर चर्चा की तथा उनमें सुधार के लिए सुझाव मांगे। भविष्य में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार चलाने के लिए भी पूर्व मंत्रियों से सुझाव मांगे गए।
हुड्डा ने 27 सीटें खोई थी, हमारी तो सात ही गईं
बैठक में सभी पूर्व मंत्रियों से कहा गया कि इस चुनाव में सब कुछ खराब नहीं हुआ है। काफी कुछ अच्छा भी हुआ। लिहाजा उसे जनता के बीच लेकर जाने की जरूरत है। उदाहरण दिया गया कि 2009 के चुनाव में वर्ष 2005 की अपेक्षा हुड्डा की सीटें 67 से घटकर 40 रह गई थी। वहीं भाजपा की वर्ष 2014 में 47 सीटें आई थीं, जो अब घटकर 40 हो गई हैैं। हुड्डा राज में यह कमी 27 सीटों की थी और भाजपा राज में सात की है। इसे लोगों को समझाने की जरूरत है। पूर्व मंत्रियों से कहा गया कि वे भाजपा के वोट बैैंक में हुई तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी को कैश करें। पिछले चुनाव में भाजपा को 33 फीसद वोट मिले थे, जो इस बार 36 फीसद हो गए हैैं।
कुछ मंत्रियों ने अफसरों के सिर फोड़ा ठीकरा
मंथन बैठक में कुछ पूर्व मंत्रियों ने अपनी हार का ठीकरा अधिकारियों के सिर भी फोड़ा। कुछ पूर्व मंत्रियों ने कहा कि अधिकारियों ने दुष्प्रचार किया था। चुनाव के समय अफसरशाही बेकाबू हो गई थी। पूर्व मंत्रियों से कहा गया है कि वे कार्यकर्ताओं को संगठित करने व अपनी पिछली पांच सरकार की नीतियों की जानकारी देने के साथ ही नई योजनाओं को लेकर जनता के बीच निकल पड़े।
जानिए... किस पूर्व मंत्री ने किस तरह बयां किया दिल का दर्द
- हरियाणा में सबसे बड़ी हार का सामना करने वाले प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला चुपचाप हार के कारणों को सुनते रहे।
- पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि जाट आंदोलन के बाद हम जाटों का विश्वास नहीं जीत सके।
- पूर्व राज्य मंत्री कर्णदेव कांबोज ने कहा कि हम पिछड़ों का भी विश्वास नहीं जीत सके। इसके अलावा बिना मुझसे पूछे मेरा हलका इंद्री से रादौर बदल दिया गया।
- पूर्व मंत्री कविता जैन ने कहा कि प्रशासन ने साथ नहीं दिया। कांग्रेस प्रत्याशी ने पैसों का जमकर दुरुपयोग किया। वोट खरीदे गए।
- एक मंत्री ने कहा कि बिजली निगमों ने चुनाव के दौरान ही पिछली यूनिट भी जोड़कर मोटी राशि के बिल लोगों के घरों में भेज दिए।
- पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा सही ढंग से विपक्षी दलों पर अटैक नहीं कर सकी।
- पूर्व राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि नई दिल्ली में संत रविदास मंदिर तोड़े जाने की घटना का नुकसान हमें चुनावों में हुआ।
- पूर्व मंत्री कृष्णलाल पंवार ने कहा कि जाटों के गुस्से की वजह से हमें हार का मुंह देखना पड़ा।
- पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने कहा कि अब आरोप-प्रत्यारोप लगाने और पुरानी बातों को याद करने का कोई मतलब नहीं है।
- पूर्व राज्य मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर ने कहा कि हम कांग्रेस से नहीं हारे बल्कि भाजपाइयों की वजह से ही हार हुई है।
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