आरक्षित सीट मामले में हाई कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को किया तलब
झज्जर विधानसभा को रिजर्व रखने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। झज्जर विधानसभा को रिजर्व रखने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने सरकार व चुनाव आयोग से पूछा था कि वह यह बताए कि कहां आरक्षित सीट और किस आधार पर रखी हुई है। इस बाबत चुनाव आयोग ने इस विधानसभा से जुड़ा जातिगत व अन्य रिकार्ड हाई कोर्ट में पेश कर दिया था।
मामले में जैसे ही बहस शुरू हुई सरकार की तरफ से कहा गया कि विधानसभा को रिजर्व करने का मामला चुनाव आयोग के दायरे में आता है, इसलिए हाईकोर्ट इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकता। इस पर बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट को इस तरह के मामले सुनने का अधिकार है, जबकि सरकार की तरफ से अनुच्छेद 332 क्लाज 3 का हवाला देकर इस मामले को कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर का बताया गया।
बेंंच ने इस पर सवाल उठाते हुए सरकारी वकील को कहा कि वो चाहे तो शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल को कोर्ट में पेश होने की सलाह दे सकते हैंं। कोर्ट इस पर बहस करना चाहेगा कि क्या हाई कोर्ट के पास इस तरह के मामले सुनने का अधिकार है। इस मामले में झज्जर निवासी विजेंदर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि झज्जर 1974 से विधानसभा की आरक्षित सीट रही है, जबकि इस क्षेत्र में एससी वर्ग की संख्या बहुत कम है ।
याची के वकील ने बेंच को बताया कि झज्जर विधानसभा में सबसे ज्यादा जाट और यादवों की संख्या है, इसलिए इस क्षेत्र को रिजर्व कैटेगरी से हटाकर सामान्य केटेगरी की विधानसभा सीट बनाया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने राजौंद विधानसभा का हवाला देते हुए बताया कि यह सीट भी आरक्षित थी, लेकिन जनसंख्या अनुपात को देखने के बाद इसको सामान्य सीट में तब्दील कर दिया गया।
सोनीपत के जिला निर्वाचन अधिकारी को कोर्ट में पेश होने के आदेश
वहीं, सोनीपत जिले की राई विधानसभा क्षेत्र से मात्र तीन मतों के अंतर से चुनाव जीते कांग्रेस विधायक जयतीर्थ दहिया के खिलाफ याचिका की सुनवाई के दौरान वीरवार को हाईकोर्ट ने सोनीपत के जिला निर्वाचन अधिकारी को अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं।
सुनवाई के दौरान इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन और चुनाव से जुड़े तमाम रिकार्ड की सीलबंद रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश किया गया। जब जज ने डिकोड किया हुआ रिकार्ड देखा तो उसमें उम्मीदवार का नाम न होकर यह लिखा था कि किस सीरियल नंबर के उम्मीदवार को कितने वोट मिले लेकिन रिपोर्ट में उम्मीदवार का नाम नहीं लिखा था।
बेंच ने सोनीपत के जिला निर्वाचन अधिकारी को कोर्ट में पेश होकर यह बताने को कहा है कि वह कोर्ट में यह बताए कि किस सीरियल नंबर पर कौन उम्मीदवार था। हाई कोर्ट में यह मामला 2014 से चल रहा है। चुनाव से जुड़ी कुछ बूथों की ईवीएम व रिकार्ड रजिस्ट्रार को सौंपा गया था। हाईकोर्ट ने ईवीएम विशेषज्ञ रवि रंजन व रजिस्ट्रार को इस रिकार्ड की जांच व डिकोड कर सील बंद रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। इसी रिकार्ड को कोर्ट ने देखा था। अक्टूबर 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में राई हलके से कांग्रेस प्रत्याशी जयतीर्थ दहिया को 36,403 वोट मिले थे, जबकि इनेलो प्रत्याशी इंद्रजीत दहिया को 36,400 वोट मिले थे।
सिर्फ तीन वोट से हारने वाले इंद्रजीत दहिया ने जयतीर्थ दहिया की जीत व अपनी हार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी। इस पर हाई कोर्ट ने कुछ बूथों की ईवीएम सील करने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने गत 15 मई को ईवीएम भी जमा कराने के निर्देश दिए। बढ़ खालसा के बूथ नंबर 83 व कुंडली के बूथ नंबर 131 के पोलिंग आफिसर्स ने हाई कोर्ट में रिकॉर्ड पेश किया था। आरोप है कि इसमें दीपचंद व किताब कौर का कुंडली व बढ़ खालसा दोनों जगह वोट मिला। दोनों जगह वोट डाला भी गया।
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