चौटाला पिता-पुत्रों ने दिखाई संगठन की ताकत, जींद में रैली कर छिटके साथियों की वापसी का माहौल किया तैयार
ताऊ देवीलाल को समर्पित जींद में रैली कर इनेलो ने डगमगाकर फिर से खड़ा होने का संदेश दिया। रैली के दौरान चौटाला पिता पुत्र जाट समुदाय के साथ-साथ दलितों को भी अपनेपन का अहसास कराने का मौका नहीं चूके।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अभय सिंह चौटाला ने जाट बाहुल्य इलाके जींद में बड़ी रैली कर न केवल मजबूत संगठन की ताकत दिखाई, बल्कि पार्टी से छिटक गए अपने पुराने साथियों को घर वापसी के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है। पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के जन्मदिन को समर्पित सम्मान दिवस रैली इनेलो कार्यकर्ताओं के लिए बूस्टर डोज का काम करेगी। इस रैली में समर्थक जुटाकर चौटाला पिता-पुत्रों ने किसी भी राजनीतिक परिस्थिति से बाहर निकलने का पूरा दमखम दिखाया है।
जींद को हरियाणा की राजनीतिक राजधानी माना जाता है। प्रदेश में बड़े-बड़े राजनीतिक कार्यक्रमों की शुरुआत जींद से ही होती रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी पदयात्रा जींद से शुरू की थी, जबकि पूर्व राज्यसभा सदस्य बीरेंद्र सिंह ने अमित शाह को जींद में ही बुलाकर भाजपा का दामन थामा था। इनेलो से अलग होने के बाद जननायक जनता पार्टी का गठन भी अजय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला ने जींद में ही किया था। एक समय जींद इनेलो का गढ़ रहा है, जिसे भेदने में भाजपा कामयाब हो गई थी। भाजपा ने भी कई बड़े आयोजन जींद की धरती पर किए हैं।
इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला का जींद के इलाके में खासा प्रभाव है। जेबीटी शिक्षक भर्ती मामले में सजा पूरी होने और पार्टी में आए बिखराव के बाद चौटाला ने जींद की धरती से नई राजनीतिक पारी की शुरुआत की है। 87 साल की उम्र में भी चौटाला इस रैली की तैयारियों में पूरे जोश के साथ जुटे रहे। अभय सिंह अपनी कमर में दर्द के बावजूद अस्पताल से ही राजनीतिक गतिविधियों का संचालन करते रहे। इस रैली में ओमप्रकाश चौटाला की योजना तीसरे मोर्चे के गठन का ऐलान कराने की थी, लेकिन कई नेता जब अलग-अलग कारणों से कार्यक्रम में नहीं आ सके तो चौटाला के पारिवारिक मित्र पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल, जदयू महासचिव डा. केसी त्यागी और जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला ने इसके लिए चौटाला को अपने प्रयास जारी रखने की ताकत दी। ताऊ देवीलाल के साथ मंच पर भीमराव डा. अंबेडकर का चित्र लगाकर चौटाला पिता-पुत्रों ने दलितों की लड़ाई भी पूरी जिम्मेदारी के साथ लड़ने का संदेश दिया है।
चौटाला के लिए तीसरे मोर्चे के गठन से ज्यादा महत्वपूर्ण यह रहा कि सम्मान दिवस समारोह के जरिये वे अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करते हुए उनमें जोश भरने में कामयाब रहे। इस रैली से ठीक पहले अभय सिंह चौटाला ने पूरे संगठन में नई नियुक्तियां की। चौटाला ने रैली में अपने बेटे अभय सिंह को ताऊ देवीलाल और अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित करने का भी कोई मौका नहीं छोड़ा। साथ ही इनेलो से छिटके नेताओं व कार्यकर्ताओं को घर वापसी का न्योता देकर साफ कह दिया कि जिस तरह अतीत में इनेलो कई बार डगमगाकर संभलती रही है, उसी तरह अब फिर से पूरी ताकत और जोश के साथ जनता के बीच नजर आने वाली है।