एमडी और एमएस कोर्स की आरक्षित सीटों में बदलाव, HC ने काउंसिलिंग पर लगी रोक हटाई
हरियाणा में एमडी और एमएस कोर्स की काउंसलिंग पर लगी रोक को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हटा दिया है। यह आदेश आरक्षित सीटों में बदलाव के बाद दिया गया।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा के मेडिकल कॉलेजों में एमडी और एमएस कोर्स के लिए सरकार ने अपने आरक्षण नियम में बदलाव कर दिया है। पहले सामान्य वर्ग के लिए 156 में से केवल 31 सीट थी अब उसे बढ़ाकर 84 कर दिया गया है। इस बाबत हरियाणा मेडिकल शिक्षा के निदेशक ने हाई कोर्ट में हलफनामा देकर बताया कि राज्य में सीट आरक्षित करने में संशोधन कर दिया गया हैं। इसके बाद पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने काउंसलिंग पर लगी रोक को हटा दिया है।
हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में दिया जवाब, सीट आरक्षण में किया संशोधन
नए नियमों के अनुसार कुल सीट 156 में से सामान्य वर्ग के लिए 84 आरक्षित की गई है। एससी वर्ग के लिए 30, बीसीए वर्ग के लिए 26 व बीसीबी वर्ग के लिए 16 सीट आरक्षित की गई है। सरकार के इस जवाब पर कोर्ट ने कहा कि याची की मांग पूरी को चुकी है और अब याचिका का कोई औचित्य नहीं है। ऐसे में हाई कोर्ट याचिका का निपटारा करता है।
अब सामान्य वर्ग के लिए 156 में से 84 सीट, पहले थी केवल 31
हाई कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा के कॉलेजों में एमडी और एमएस कोर्स की काउंसिलिंग पर रोक के आदेश जारी किए थे। इन कोर्स में प्रवेश के लिए 4 और 5 मई को काउंसिलिंग होनी थी। हाई कोर्ट ने यह आदेश हरियाणा के मेडिकल कॉलेजों में एमडी और एमएस कोर्स की 87 प्रतिशत सीटों को आरक्षित किए जाने के खिलाफ दायर एक याचिका पर जारी किया था।
इस मामले को लेकर डॉ. विक्रम पाल सहित अन्य कई डॉक्टरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया था कि राज्य के मेडिकल कॉलेजों में सत्र 2020-21 में एमडी और एमएस कोर्स की 156 सीटों पर दाखिले के लिए गत वर्ष नवंबर में प्रक्रिया शुरू की गई थी। याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि सरकार ने इस दाखिलों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को अनदेखा कर नियमों के खिलाफ अधिक सीट आरक्षित कर दी।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इंदिरा साहनी के केस में सुप्रीम कोर्ट तय कर चुका है कि किसी भी सूरत में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं होगा। लेकिन सरकार ने इन 156 सीटों में से 87 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी हैं और सिर्फ 31 सीटें सामान्य वर्ग के लिए छोड़ी हैं।
याचिका ने कहा गया कि अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग सहित अन्य पिछड़े वर्ग के साथ 25 प्रतिशत सीटें इंस्टिट्यूशनल प्रेफरेंस, 5 प्रतिशत सीट दिव्यांगों और 10 प्रतिशत सीट आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित कर दी है । इस लिहाज से 87 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी गई हैं जोकि सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
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