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हरियाणा में लोगों का बदला न‍जरिया, घरों के बाहर लगेंगी तख्तियां- परदेशी बहू, म्हारी शान

हरियाणा में बड़ी संख्या में परदेसी बहुएं हैं। अब वह यहां की सभ्यता और संस्कृति में पूरी तरह से रच बस चुकी और ठेठ हरियाणवी हो चुकी हैं। अब घरों की पहचान भी इन बहुओं के नाम से ही होगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 04:46 PM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2020 07:38 AM (IST)
हरियाणा में लोगों का बदला न‍जरिया, घरों के बाहर लगेंगी तख्तियां- परदेशी बहू, म्हारी शान
हरियाणा की परदेसी बहुएं जिनके नाम से अब घरों की पहचान होगी। फाइल फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में अब परदेशी बहुओं की पहचान छिपाई नहीं जाएगी, बल्कि इनके नाम से ही घरों की पहचान होगी। घरों के मुख्य द्वार पर पुरुषों की जगह परदेशी बहुओं के नाम की तख्ती नजर आएगी जिस पर लिखा होगा 'परदेशी बहू, म्हारी शान'। घरों के बाहर परदेशी बहुओं की नेम प्लेट लगवाने वाला गुरुग्राम का खरकड़ी देश का पहला गांव बन गया है। हरियाणा में इन बहुओं ने चौका-चूल्हा और यहां का लाइफस्टाइल ही बदल दिया। 

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हरियाणा में बाहरी राज्यों से लाई गई बहुओं को सम्मान दिलाने के लिए सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के संस्थापक सुनील जागलान ने 'परदेशी बहू म्हारी शान' मुहिम छेड़ी है। इसकी शुरुआत की गई है, हरियाणा के मानचेस्टर कहे जाने वाले गुरुग्राम जिले के खरकड़ी गांव से।

इसके साथ ही खरकड़ी पहला गांव बन गया है जहां परदेशी बहुओं के सम्मान में नेमप्लेट लगी है। हरियाणा में करीब एक लाख तीस हजार बहुएं ऐसी हैं जो दूसरे प्रदेशों से लाई गई हैं। इन बहुओं को कहीं मोलकी तो कही पारो तो कहीं खरीदी हुई या फिर दूसरे नामों से पुकारा जाता है। इससे परदेशी बहुओं का सांस्कृतिक समायोजन नहीं हो पाता। हालांकि बहुत सी बहुएं ऐसी हैं, जो यहां पूरी तरह से रच-बस गई हैं और उन्होंने अपने आचार-व्यवहार तथा खानपान और पहनावे से पूरे घर की रंगत ही बदल डाली है। केरल से आई बहू के घर की किचन में इडली-सांभर बनता है तो बंगाल से आई बहू की किचन में मछली बनने लगी है।

सामाजिक विसंगति को दूर करने तथा परदेश से आई बहुओं के मान-सम्मान के लिए परदेशी बहुओं को विशेष पहचान दिलाने का अभियान छेड़ा गया है। खरकड़ी में 45 साल पहले पश्चिम बंगाल से लाई गईं परदेशी बहू रीना के घर के बाहर शुक्रवार को उनके नाम की तख्ती लगी तो वह फूली नहीं समाईं। रीना ने कहा कि आज मुझे एक नई पहचान मिली है। मैं खुद को गर्वित महसूस कर रही हूं। इसी तरह गुजरात से 42 साल पहले लाई गई परदेशी बहू शीला ने कहा कि घर के बाहर मेरी नेम प्लेट लगने से बहुत अपनापन महसूस हो रहा है।

महिलाओं का बढ़ा आत्म सम्मान

खरकड़ी की सरपंच सरिता कहती हैं कि सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन द्वारा हमारे गांव मे परदेशी बहू-म्हारी शान अभियान शुरू करने से गांव का नाम रोशन हो गया है। इससे महिलाओं में आत्मसम्मान एवं आत्मशक्ति का विस्तार होगा। फाउंडेशन ने पिछले तीन वर्षों में गांव में महिला सशक्तीकरण के काफी कार्य कराए हैं। नई पहल से ग्रामीणों की सोच में बड़ा बदलाव होगा।

जनांदोलन बनाएं सभी गांवों के सरपंच

सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के संस्थापक सुनील जागलान का कहना है कि सामान्य तौर पर महिलाओं की जिंदगी पितृसत्ता की सोच के कारण दोयम दर्जे की रहती है। अब समय आ गया है कि खुले दिल से हरियाणवी लोग परदेशी बहुओं को अपनी आन-बान समझकर उनकी हर क्षेत्र मे हिस्सेदारी सुनिश्चित करने का प्रण लें।

फाउंडेशन द्वारा शुरू किए गए 'परदेशी बहू-म्हारी शान' अभियान का मकसद बहुओं की खरीद-फरोख्त को रोकना, इनकी सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक भागीदारी, पंचायत चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करना, सबका मैरिज रजिस्ट्रेशन की योजना शुरू कराना है। आज खरकड़ी गांव मे चार परदेशी बहुओं के नाम से नेम प्लेट लगा कर अभियान की शुरुआत की गई है। सभी सरपंचों को चाहिए कि परदेशी बहू-म्हारी शान अभियान को जनांदोलन बनाएं।


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