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भाजपा का तिलिस्म तोड़ना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती

चुनाव से पूर्व ही लोगों से संपर्क साधकर अपनी मजबूती दिखाई जा चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 08:47 PM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 06:37 AM (IST)
भाजपा का तिलिस्म तोड़ना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती
भाजपा का तिलिस्म तोड़ना विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती

राजेश मलकानियां, पंचकूला : भाजपा का तिलिस्म विपक्षियों के लिए चुनौती बना हुआ है। पन्ना प्रमुख और शक्ति केंद्र प्रमुखों द्वारा चुनाव से पूर्व ही लोगों से संपर्क साधकर अपनी मजबूती दिखाई जा चुकी है। भाजपा के शक्ति केंद्रों की ताकत का विपक्षियों के पास कोई तोड़ नहीं है। विपक्षी दल जहां अभी विधानसभावार टिकट फाइनल करने पर मंथन कर रहे हैं, वहीं, भाजपा वर्कर शक्ति केंद्र से लेकर बूथ स्तर तक अपने अपने मोर्चे पर जाकर डट चुके हैं। टिकट चाहे किसी को भी मिले लेकिन यह वर्कर अपनी-अपनी भूमिका अदा करने के लिए सजग हो चुके हैं। यही वजह है कि संगठनात्मक स्तर पर भाजपा दूसरे दलों से अभी तक आगे नजर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी को बूथ मैनेजमेंट में माहिर माना जाता है। धरातल पर संगठन को मजबूत करने में सबसे अहम भूमिका शक्ति केंद्र निभा रहे हैं। एक शक्ति केंद्र के तहत तीन से पांच बूथ दिए जाते हैं। केंद्र के संचालन के लिए पालक यानी प्रभारी, केंद्र प्रमुख और सह प्रमुख की नियुक्ति की जाती है। इसके बाद प्रत्येक बूथ पर 10 से 15 वर्कर सदस्य बनाए जाते हैं। एक बूथ पर औसतन एक हजार मतदाता होते हैं। ऐसे में 10 से 15 बूथ वर्करों की टीम का प्रत्येक मेंबर 50 से 100 लोगों तक अपनी पहुंच बनाता है। पार्टी की नीतियों का प्रचार करता है। अपने पड़ोसियों, मित्रों व परिचितों के पास जाकर बताता है कि उनकी पार्टी दूसरे दलों से क्यों अलग है और वह जनता की हितैषी कैसे है। बूथ वर्कर चुनाव से पहले सक्रिय हो जाते हैं। संगठन के आदेश अनुसार से 50 से 100 लोगों की छोटी सभाएं करनी शुरू कर देते हैं। बूथ स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने के आदेश जिला स्तर से आते हैं। इन सभाओं में जिला स्तर पर दायित्व देखने वाले वर्कर भी आते हैं। कोई भी सूचना मिले तुरंत ऊपर देनी होती है

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बूथ वर्कर तो कोई भी सूचना पहुंचानी होती है तो सबसे पहले यह जानकारी शक्ति केंद्र के प्रमुख व पालक तक पहुंचाई जाती है। केंद्र प्रमुख अपने अधीन आने वाले बूथ वर्करों का वाट्सएप ग्रुप बना लेते हैं। इस जानकारी को ग्रुप में डाल दिया जाता है। इसके बाद बूथ वर्कर पार्टी के निर्देश को जमीन स्तर पर लागू करने के काम में जुट जाते हैं। बूथ वर्करों से पहले ही होती है पूरी पूछताछ

पूर्णकालिक कार्य करने वाले बेहद कम ही बूथ वर्कर होते हैं। बूथ वर्कर अपने-अपने रोजगार पर जाते हैं। इन बूथ वर्करों से पहले ही यह पूछ लिया जाता है कि वह अपना कितना समय संगठन को दे सकते हैं और यह समय वह किस-किस दिन निकालेंगे। इस पर कोई वर्कर कहता है कि वह प्रतिदिन दो से तीन घंटे पार्टी के प्रति पूर्ण तौर पर समर्पित होकर कार्य करेगा तो कोई कहता है कि वह शनिवार या रविवार को ही काम करेगा। इसके बाद वर्करों को कार्य सौंपा जाता है।


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