यमुना के मैली होने पर blame game, हरियाणा ने कहा- नदी में प्रदूषण के लिए हम नहीं जिम्मेदार
यमुना नदी लगातार मैली हो रही है और इस पर राज्यों के बीच blame game चल रहा है। हरियाणा ने कहा है कि वह यमुना में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नहीं है।
चंडीगढ़, जेएनएन। यमुना नदी लगातार मैली हो रही है। नदी में प्रदूषण पर लगाम लगने के बदले यह बढ़ रहा है, लेकिन इससे जुड़े राज्यों में बस Blame game ही चल रहा है। दिल्ली इसके लिए हरियाणा को जिम्मदार ठहराने की कोशिश करता है। सभी राज्य यमुना में गंदगी के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश कर रहा है। अब हरियाणा ने दिल्ली को जवाब दिया है। हरियाणा ने कहा है कि यमुना नदी में प्रदूषण के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। इसके बावजूद वह नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर रही है।
सिंचाई, प्रदूषण नियंत्रण, शहरी निकाय, हुडा और जन स्वास्थ्य विभाग तैयार कर रहे कार्ययोजना
दरअसल हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच से होकर गुजरने वाली यमुना नदी के मैले आंचल के लिए राज्य सरकारों की इच्छा शक्ति का अभाव जिम्मेदार है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से यमुना का प्रदूषण रोकने के लिए भले ही राज्य सरकारों को बार-बार हिदायतें दी जाती रही हैं, लेकिन राज्य सरकारें प्रदूषण का ठीकरा एक दूसरे पर फोडऩे का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देतीं। यमुना का मात्र 6.1 फीसदी हिस्सा हरियाणा से होकर गुजरता है, लेकिन दिल्ली की ओर से प्रदूषण के लिए उसे ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जाता है।
एनजीटी की मुख्य बैंच के सामने तीन जनवरी को हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश की ओर से दिए गए सुझावों के आधार पर अब विस्तृत फैसला आने वाला है। हरियाणा की ओर से सिंचाई विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह और शहरी निकाय विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव आनंद मोहन शरण ने यमुना में प्रदूषण रोकने को विस्तृत रिपोर्ट पेश की।
हरियाणा ने एनजीटी की बैंच के सामने कहा है कि यदि एनजीटी के समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों पर ही अमल कर लिया जाए तो यमुना का प्रदूषण काफी हद तक दूर हो सकता है। हरियाणा ने अपने जवाब में स्पष्ट कर दिया कि यमुना में प्रदूषण के लिए वह इतना जिम्मेदार नहीं है, जितना दिल्ली अथवा अन्य राज्य सरकारें उसे ठहराती रही हैं। इसके बावजूद यमुना के प्रदूषण को रोकने के लिए हरियाणा सरकार का सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहरी निकाय विभाग, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और जन स्वास्थ्य विभाग मिलकर कार्य योजना तैयार कर रहे हैं।
हरियाणा ने एनजीटी को कहा है कि यमुना में गिरने वाले गंदे पानी के शोधन के लिए एसटीटी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) अनिवार्य किए जाएं तथा साथ ही उद्योगों द्वारा नदी में डाले जाने वाले गंदे पानी पर जुर्माने की राशि को बढ़ाया जाए। हरियाणा ने कहा कि यमुना किनारे राज्य की सीमा में बने एसटीपी काम कर रहे हैं। साथ ही राज्य सरकार ने उद्योगों व शहरी निकायों को गंदा पानी यमुना में न डालने की साफ हिदायतें दी हैं।
1400 किलोमीटर में दिल्ली में सबसे बदहाल यमुना
यमुना गंदे होने के सफर में सात राज्यों से होकर गुजरती है। यमुना अपना सबसे लंबा सफर मध्य प्रदेश में 40.6 फीसदी तय करती है। फिर राजस्थान में 29.8 फीसदी, उत्तरांचल और उत्तर प्रदेश में अपने सफर का 21 फीसदी सफर पूरा करते हुए हरियाणा में 6.1 और हिमाचल प्रदेश में 1.6 और सबसे कम सफर 0.4 फीसदी सफर दिल्ली में तय करती है। यमुना की ऊंचाई समुद्र तल से ग्लेशियर से 3320 मीटर है।
यमुना मानीटरिंग कमेटी ने कहा हरियाणा के विभागों में समन्वय नहीं
एनजीटी का फैसला आने से पहले यमुना मॉनीटरिंग कमेटी की रिपोर्ट को भी काफी अहम माना जा रहा है। यमुना मानीटरिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हरियाणा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने और चलाने के लिए अनेक सरकारी एजेंसी मसलन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट, अरबन लोकल बॉडीज और गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवेलपमेंट अथॉरिटी काम कर रही है। लेकिन इनमें आपसी समन्वय व प्लानिंग के अभाव में सीवरेज मैनेजमेंट पर काम नहीं हो रहा है।
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सीवरेज मैनेजमेंट के लिए एक ही एजेंसी को दिया जाए काम
यमुना मानीटरिंग कमेटी ने सिफारिश की है कि एनजीटी की ओर से हरियाणा सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वह सीवरेज मैनेजमेंट के लिए किसी एक ही एजेंसी को अधिकृत करे, जो प्लानिंग के साथ सुपरविजन पर काम करे। एनजीटी के एक्सपर्ट सदस्य बीएस साजवन और दिल्ली सरकार में पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा की दो सदस्यीय मॉनीटरिंग कमेटी ने कहा कि हरियाणा के मुख्य सचिव को निर्देश दिया गया है कि वह सुनिश्चित करें कि तय तारीख के तहत प्रदूषण नियंत्रण पर काम हो।
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