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हरियाणा में पहली बार अपने सिंबल पर पंचायत चुनाव लड़ सकती है भाजपा, दूसरे दलों को बदलनी पड़ेगी रणनीति

Haryana Panchayat polls हरियाणा में भाजपा पंचायत चुनाव में अपने सिंबल पर उतरने की तैयारी कर रही है। पार्टी की राज्‍य चुनाव समिति में सहमति बनी तो भाजपा अपने सिंबल पर पंचायत चुनाव में पहली बार उतर सकती है। इससे दूसरे दलों को अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 11:05 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 11:05 AM (IST)
हरियाणा में पहली बार अपने सिंबल पर पंचायत चुनाव लड़ सकती है भाजपा, दूसरे दलों को बदलनी पड़ेगी रणनीति
हरियाणा में भाजपा पंचायत चुनाव अपने सिंबल पर लड़ सकती है। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Haryana Panchayat Polls : हरियाणा के शहरी निकाय चुनाव में मिली जीत से उत्साहित भाजपा पंचायत चुनाव भी पार्टी सिंबल पर लड़ने की संभावनाएं तलाश रही है। भाजपा की राज्य स्तरीय चुनाव समिति में सहमति बनी तो जिला परिषद के चुनाव कमल के फूल के निशान पर लड़े जा सकते हैं।

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शहरों में अच्छे प्रदर्शन के बाद अब गांवों में दोहराव की बड़ी चुनौती

भाजपा ने पंचायत चुनाव पहले कभी पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ा है। भाजपा यदि सिंबल पर पंचायत चुनाव में उतरने का फैसला लेती है तो सरकार में उसके सहयोगी दल जजपा तथा कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को भी अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ सकता है।

कांग्रेस, इनेलो और आप को करना पड़ेगा अपनी रणनीति में बदलाव

हरियाणा में पंचायत चुनाव की घोषणा किसी भी समय हो सकती है। प्रदेश सरकार तय कर चुकी है कि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के प्रविधानों के बिना पंचायत चुनाव होंगे। शहरी निकाय चुनाव में भी चेयरमैन व वार्ड पार्षदों के लिए पिछड़ा वर्ग आरक्षण का कोई प्रविधान नहीं किया गया था। सरकार पिछड़े वर्ग के आरक्षण के हक में है, लेकिन हाईकोर्ट में सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। सरकार के पास इतना समय नहीं बचा कि वह हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करे।

राज्य में पहले ही शहरी निकाय चुनाव करीब सवा साल बाद हुए और अब पंचायत चुनाव का इंतजार करते हुए डेढ़ साल बीतने वाला है। इसलिये सरकार ने आरक्षण के प्रविधानों के बिना ही पंचायत चुनाव में उतरने का निर्णय लिया है। १८ नगर परिषद और २८ नगर पालिकाओं में हुए चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है, जबकि उसकी सहयोगी पार्टी जजपा कुछ खास कमाल नहीं कर पाई। जजपा ने दलील दी है कि वह गांवों की पार्टी है। इसके बावजूद शहरों में उसका प्रदर्शन अपेक्षाकृत सही है।

ऐसे ही भाजपा को आमतौर पर शहरी लोगों की पार्टी माना जाता है। शहरी निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा के सामने पंचायत चुनाव में बढ़िया प्रदर्शन करने की बड़ी चुनौती होगी। भाजपा इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार है।

भाजपा के रणनीतिकार चाह रहे हैं कि उनकी पार्टी पर सिर्फ शहरी पार्टी का ठप्पा न लगा रहे, इसलिए पंचायत चुनाव में गांवों में पार्टी के प्रदर्शन को लेकर पूरी कोर टीम का खास फोकस रहेगा। इसी रणनीति के तहत पार्टी जिला परिषद के चुनाव सिंबल पर लड़ने की दिशा में आगे बढ़ेगी। सरपंच और पंच के चुनाव बिना सिंबल के लड़े जाएंगे।

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