हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद का जोर, दिग्गज नेता बना रहे बेटे-बेटियों के लिए राह
हरियाणा की राजनीति में हमेशा से परिवारवाद का वर्चस्व रहा है। अब चुनाव नजदीक आते ही दिग्गज नेता अपने बेटे-बेटियों के लिए राह बनाने में जुट गए हैं।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद का हमेशा से बाेलबाला रहा है। हरियाणा के मशहूर तीन लालों चौधरी देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल के परिवार के संग-संग कई राजनीतिक 'घराने' रहे हैं। ये राजनीतिक घराने अाज भी हरियाणा की राजनीति में अपना खास वर्चस्व रखते हैं। इनकी राह पर ही चलते हुए हरियाणा के दिग्गज नेताओं ने अपनी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए पुत्रों-पुत्रियों और रिश्तेदारों को आगे करना शुरू कर दिया है।
अब बीरेंद्र सिंह अपने आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को करेंगे आगे
प्रदेश का कोई बड़ा नेता ऐसा नहीं बचा, जो अपने जिगर के टुकड़ों के लिए राजनीति में स्थान बनाने के लिए प्रयासरत नहीं है। अब इस फेहरिस्त में केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह के आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह का नाम भी जुड़ गया है। 2019 का चुनाव सिर पर है। अभी तक बीरेंद्र सिंह की मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाई है। लिहाजा समय रहते वे अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और उनके पुत्र बृजेंद्र सिंह (बाएं)।
जाटलैंड रोहतक के गढ़ी सांपला में सफल रैली करने के बाद भाजपा में केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह का राजनीतिक कद बढ़ा है। अब उनकी उम्र भी अधिक हो चुकी है, लेकिन सीएम बनने की इच्छा कम नहीं हुई है। पिछले चुनाव के दौरान बीरेंद्र सिंह ने अपने आइएएस बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार संसदीय क्षेत्र से टिकट दिलाने की पुरजोर कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बन पाई। माना जा रहा है कि इस बार वह भाजपा हाईकमान के समक्ष अपने बेटे की मजबूत पैरवी करेंगे, ताकि उन्हें राजनीतिक विरासत का हकदार साबित किया जा सके।
दीपेंद्र हुड्डा अपने पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ।
यह स्थिति अकेले बीरेंद्र सिंह की नहीं है। कांग्रेस की अगर बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह अपने सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह को स्थापित कर चुके हैं। कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी खुद मजबूत हैं लेकिन अपनी बेटी श्रुति चौधरी के लिए राजनीति में पूरी जगह बना चुकी हैं।
पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव अपने बेटे चिरंजीव राव के लिए कांग्रेस हाईकमान में कई बार पैरवी कर चुके और कुलदीप बिश्नोई खुद के साथ-साथ अब अपने दोनों बेटों भव्य और चैतन्य के लिए माहौल बना रहे हैं। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे जबकि वे अपनी पत्नी अवंतिका माकन तंवर को भी राजनीति में सक्रिय कर रहे हैं।
राव इंद्रजीत सिंह और आरती राव।
भाजपा में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत अपनी बेटी आरती राव के लिए जगह बना चुके, जबकि केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी के लिए चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। इनेलो में ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला राजनीति में पूरी तरह से स्थापित हैं।
अभय चौटाला के पुत्र कर्ण चौटाला और अर्जुन चौटाला।
अब अभय सिंह चौटाला अपने बेटे कर्ण और अर्जुन चौटाला को सक्रिय कर रहे हैं जबकि अजय सिंह चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला पूरी तरह से स्थापित हो चुके हैं। दुष्यंत चौटाला हिसार से सांसद हैं और दिग्विजय चौटाला इनसो के अध्यक्ष थे। कर्ण चौटाला अभी सिरसा नगर परिषद के डिप्टी चेयरमैन हैं और अर्जुन चौटाला पिता के विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय ही दिखते हैं।
वह राजनीतिक विरासत सौंपने की यह जिद्दोजहद सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। हर दल में पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक अपने रिश्तेदारों को आगे बढ़ाने के लिए पैरवी करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। ऐसे में हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद का शिकंजा कम होने के आसार नहीं हैं।