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फरीदाबाद में बिना काम भुगतान घोटाला में हुआ बड़ा खेल, अब गुरुग्राम में भी खुलासा

हरियाणा में एक और घोटाला का मामला गर्मा हुआ है। यह घोटाला फरीदाबाद नगर निगम में हुआ है। बिना काम भुगतान के इस घोटाले की अब हरियाणा सरकार ने जांच शुरू कर दी है। इसी तरह के घोटाले का खुलासा गुरुग्राम में भी हुआ है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 11:48 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 07:36 AM (IST)
फरीदाबाद में बिना काम भुगतान घोटाला में हुआ बड़ा खेल, अब गुरुग्राम में भी खुलासा
फरीदाबाद नगर निगम में बिना काम भुगतान घोटाले की जांच तेज हाे गई है।

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। फरीदाबाद नगर निगम में बिना काम भुगतान मामले की जांच में परत दर परत नित्य नए घोटाले खुल रहे हैं। राज्य सरकार नगर निगम में बिना काम किए भुगतान दिए जाने संबंधी चार पार्षदों की शिकायत की जांच मंडलायुक्त संजय जून से करवा रही है। अब ऐसे ही मामले गुरुग्राम नगर निगम में भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में राज्य सरकार गुरुग्राम नगर निगम के मामलों की जांच भी वहां के मंडलायुक्त को सौंप सकती है।

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राज्य सरकार करवा रही है फरीदाबाद नगर निगम में बिना काम भुगतान घोटाले की जांच

फरीदाबाद की शिकायत में पार्षदों ने सरकार को 388 कार्यों की एक ऐसी सूची सौंपी है जो कार्य तो मौके पर हुए नहीं है लेकिन इनका भुगतान नगर निगम ने कर दिया है। जांच के दौरान जो तथ्य सामने आ रहे हैं वे बहुत ही चौंकाने वाले हैं। शिकायत करने वाले पार्षदों के अनुसार, बिना काम भुगतान लेने वाले ठेकेदारों ने अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार का कोई रास्ता बकाया नहीं छोड़ा। जिन विकास कार्यों का भुगतान ठेकेदार बिना काम किए पाते थे, उन पर 10 फीसद गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) भी अदा नहीं करते थे।

एक गली में 4.5 लाख की टाइल लगाने की फाइल को बढ़ाकर 1.99 करोड़ पर पहुंचाया

पार्षदों के अनुसार, असल में ठेकेदारों पर 12 फीसद जीएसटी अदा करना होता है मगर ठेकेदार और निगम के बीच समन्वय के चलते दो फीसद टैक्स निगम का लेखा विभाग ठेकेदार से काटकर जीएसटी विभाग में जमा कराता था। बकाया 10 फीसद जमा कराने की जिम्मेदारी ठेकेदार की रहती थी। जांच में यह पाया गया है कि यह दस फीसद ठेकेदार जमा ही नहीं कराते थे।

बताया जाता है कि यही कारण है कि ठेकेदार जीएसटी विभाग से अपने सामान की खरीद के बिलों में अदा किए जीएसटी से भी समायोजन नहीं कराते थे। अब नगर निगम के मुख्य अभियंता की तरफ से इस बाबत निगम के लेखा व जीएसटी विभाग को जांच के लिए लिखा गया है। जांच में ये तथ्य भी सामने आ रहे हैं कि किस तरह जिन तीन आइएएस अधिकारियों के कार्यकाल में ये भुगतान हुए। इसी तरह जांच में विकास कार्यों की छोटी फाइलों में बड़े खेल भी सामने आ रहे हैं।

केस स्टडी-

पार्षदाें की शिकायत के अनुसार, वार्ड नंबर नौ की एक गली में टाइल लगवाने के लिए 4.5 लाख रुपये की एक फाइल तैयार हुई। बाद में इस फाइल को बढ़ाकर पहले 98 लाख रुपये और फिर सीधे 1.99 करोड़ रुपये का कर दिया गया। असल में निगम के इंजीनियरिंग विभाग इस कार्य को फाइल पर काम का एनहासमेंट (बढ़ाना) कहते हैं। यानी एक गली की बजाए यह काम पूरे मोहल्ले में कराया जाएगा।

पार्षदों के अनुसार, असल में यह खेल इसलिए किया जाता था कि 4.5 लाख रुपये का टेंडर एक छोटा ठेकेदार आसानी से ले लेता है, इसमें बड़े ठेकेदार हिस्सेदारी नहीं करते। इसके बाद यह काम इतना बड़ा हो जाता है कि बड़े ठेकेदार भी मुंह ताकते रह जाते हैं।
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लेखा विभाग ने जांच अधिकारी को नहीं दिया रिकार्ड
मंडलायुक्त और निगमायुक्त को जांच में सहयोग करने और तकनीकी पहलुओं को बताने के लिए नगर निगम के मौजूदा मुख्य अभियंता ठाकुर लाल शर्मा ने लेखा विभाग से ठेकेदारों का रिकार्ड मांगा तो उन्हें रिकार्ड नहीं दिया गया।

इस साल 16 अगस्त को जब लेखा विभाग के रिकार्ड में आग लग गई तो यह लिखकर अवश्य भेजा कि रिकार्ड में आग लग गई है। ठाकुर लाल शर्मा बताते हैं कि वे जांच में सहयोगी की भूमिका में हैं। जांच पूरी होने तक कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं मगर वे शिकायतकर्ता पार्षदों द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे तथ्यों पर जांच निचले स्तर पर करवा रहे हैं।

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