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हुड्डा-सैलजा ने हाथ मिलाकर अशोक तंवर को दिया झटका, अब राहुल से लगाएंगे गुहार

पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा और कुमारी सैलजा ने नगर निगम चुनाव के मामले में हाथ मिला लिया। इसके बाद दाेनों ने हरियाणा कांग्रेस के प्रधान डॉ. अशोक तंवर को तगड़ा झटका दिया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 30 Nov 2018 10:54 AM (IST)Updated: Fri, 30 Nov 2018 10:54 AM (IST)
हुड्डा-सैलजा ने हाथ मिलाकर अशोक तंवर को दिया झटका, अब राहुल से लगाएंगे गुहार
हुड्डा-सैलजा ने हाथ मिलाकर अशोक तंवर को दिया झटका, अब राहुल से लगाएंगे गुहार

नई दिल्ली/चंडीगढ़, जेएनएन। नगर निगम चुनाव को लेकर पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने हाथ मिलाकर हरियाणा कांग्रेस के प्रधान डॉ. अशोक तंवर को तगड़ा झटका द‍े दिया। सैलजा को अब तक अपने साथ मान रहे तंवर इससे हैरान रह गए। दूसरी ओर, अपने कार्यकाल के पांच साल में हरियाणा में कांग्रेस का संगठनात्‍मक ढ़ांचा खड़ा नहीं कर पाना भी अशोक तंवर को भारी पड़ गया। तंवर अब इस मामले पर पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राहुल गांधी से मिलने की बात कर रहे हैं।

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बता दें कि तंवर चाहते थे कि राज्‍य में हो रहे पांच नगर निगमों का चुनाव कांग्रेस अपने सिंबल पर लड़े। तंवर ने नई दिल्‍ली में हुई बैठक में फरीदाबाद और गुरुग्राम नगर निगम चुनाव सिंबल पर नहीं लड़ने से हुए नुकसान के बारे में बताकर पर्यवेक्षक पीसी चाको से आग्रह किया कि प्रदेश के पांचों नगर निगम के चुनाव सिंबल पर ही लड़ना लाभदायक रहेगा। लेकिन, तंवर को प्रदेश के किसी भी वरिष्ठ नेता या विधायक का समर्थन नहीं मिला।

दूसरी तरफ, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित अन्य सभी वरिष्ठ नेताओं ने तंवर को पांच साल में ब्लॉक और जिला स्तर पर संगठनात्मक ढांचा खड़ा नहीं करने पर घेर लिया, यह उनके विरोध में गया। सूत्रों के अनुसार 15 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित कांग्रेस के वाररूम में हुई बैठक में हाईकमान के पर्यवेक्षक पीसी चाको के समक्ष सिंबल पर चुनाव लड़ने से होने वाली कई समस्याएं गिनाई।

सूत्रोंके अनुसार, हुड्डा, विधायक दल की नेता किरण चौधरी और वहां मौजूद विधायकों सहित लगभग नेताओं ने कहा कि 1 दिसंबर से नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में कैसे तो सही उम्मीदवार तय हो सकेगा। बिना संगठनात्मक ढांचे के कैसे पार्टी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को लगाया जा सकेगा। हालांकि तंवर इन आरोपों पर अपनी बात पुख्ता तरीके से रखी।

तंवर ने यह भी कहा कि कांग्रेस के प्रदेशस्तरीय नेता जो रैली और सभाएं कर रहे हैं, उनमें संगठनात्मक ढांचा कहां पूछा जा रहा है। हुड्डा की जनक्रांति रथयात्रा के तहत रैलियां हुई और खुद उनकी साइकिल यात्रा के पूरे प्रदेश में सफल कार्यक्रम हुए, तो क्या तब संगठनात्मक ढांचा नहीं था।

इस मसले पर जब पीसी चाको ने कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख रणदीप सुरजेवाला और विधायक कुलदीप बिश्नोई से सिंबल पर चुनाव लड़वाने के संबंध में विचार लिया तो उन्होंने दो टूक मना कर दिया। रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने तो यहां तक कहा कि एक ही सीट से कई कार्यकर्ता टिकट मांग रहे हैं। ऐसे में एक को टिकट दिए जाने पर विधानसभा चुनाव से पहले ही कार्यकर्ताओं को पार्टी से दूर करने की नींव पड़ जाएगी।

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राज्य कांग्रेस के लिए उपयोगी होगी यह बैठक

भले ही इस बैठक में राज्य कांग्रेस ने नगर निगम चुनाव लडऩे से इन्कार कर दिया है, लेकिन राजनीतिक तौर पर यह माना जा रहा है कि यह बैठक आने वाले दिनों में पार्टी के लिए सकारात्मक संदेश लेकर आएगी। बैठक में उपस्थित पांच नेताओं के अलावा दो अन्य वरिष्ठ नेताओं सहित कुछ विधायकों से जो फीडबैक पीसी चाको को मिला है, उसके बाद यह भी लगता है कि राज्य कांग्रेस के प्रभारी महासचिव भी दिसंबर माह के अंत तक मिल जाएंगे। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर पर भी ब्लॉक व जिला स्तर पर संगठन खड़ा करने का दबाव बढ़ेगा।

तंवर आज कर सकते हैं राहुल गांधी से मुलाकात

नगर निगम चुनाव पार्टी सिंबल पर लड़ने के मुद्दे पर राज्यसभा सदस्य कुमारी सैलजा ने जिस तरह सुर बदलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से हाथ मिलाया, उससे डॉ. अशोक तंवर का खेमा हैरान है। तंवर समर्थकों का कहना है कि कुछ दिन पहले सैलजा ने स्वयं तंवर की लाइन का समर्थन किया था। माना जा रहा है कि तंवर बाज पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान पार्टी चिह्न पर ही निगम चुनाव लडऩे की बात रखेंगे।

मालूम हो कि सीधे चुनाव लडऩे-न लडऩे के मुद्दे पर प्रदेश के सीनियर कांग्रेसियों में मतभेद के बाद गेंद पार्टी आलाकमान के पाले में डाल दी गई। पार्टी सूत्रों के मुताबिक चाको को हुड्डा समर्थक माना जाता है और यही वजह रही कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री की सिफारिश पर मुहर लगाने में देर नहीं लगाई।


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