भरत बैनीवाल ने ऐलनाबाद हार के लिए सुई कुमारी सैलजा की तरफ ही घुमाई, सात बिंदुओं में रखी अपनी बात
ऐलनाबाद विधानसभा उपचुनाव में हार का ठीकरा अपने सिर फोड़े जाने से आहत भरत बैनीवाल ने लेटर बम फोड़ा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा समर्थक पूर्व विधायक ने नोटिस का जवाब देकर सात बिंदुओं में अपनी बात रखी है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस की हार का ठीकरा अपने सिर फोड़े जाने से पूर्व विधायक भरत सिंह बैनीवाल काफी नाराज हैं। ऐलनाबाद में टिकट के प्रबल दावेदार भरत सिंह बैनीवाल ने कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा को उस नोटिस का जवाब भेज दिया है, जिसमें भरत बैनीवाल पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक भरत बैनीवाल ने सात खास बिंदुओं पर प्रदेश अध्यक्ष के सामने अपनी बात रखी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि खामियां लगभग हर स्तर पर रही हैं, इसलिए हम सभी को मिल बैठकर इन खामियों को दूर करने की चिंता करनी चाहिए। भरत बैनीवाल द्वारा हर स्तर पर खामियां होने की बात कहने के गहरे मतलब हैं। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि टिकट का वितरण सही ढंग से नहीं हुआ। यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश अध्यक्ष और उनकी टीम अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से निर्वाह नहीं कर पाए और यह भी संकेत जा रहा है कि ऐलनाबाद के चुनाव में प्रचार को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं यानी हुड्डा और सैलजा के बीच किसी तरह का समन्वय नहीं था।
प्रदेश अध्यक्ष के नाते सैलजा ने भरत बैनीवाल को नोटिस भेजकर कहा था कि ऐलनाबाद में कांग्रेस उम्मीदवार पवन बैनीवाल के विरुद्ध आपने सही ढंग से प्रचार नहीं किया और एक वीडियो में कांग्रेस को तीसरे नंबर पर बता दिया था। इस नोटिस के जवाब में भरत बैनीवाल ने सात बिंदुओं पर पार्टी के सामने अपनी बात रखी है। भरत बैनीवाल और पवन बैनीवाल दोनों रिश्तेदार हैं। पवन बैनीवाल भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए थे और सैलजा उन्हें टिकट दिलाने में कामयाब हो गई थी, जबकि भरत बैनीवाल पुराने कांग्रेसी और हुड्डा समर्थक हैं, लेकिन उनका टिकट कट गया था।
भरत बैनीवाल ने दो पेज के अपने जवाब में प्रदेश अध्यक्ष से कहा कि उन पर जो आरोप लगाए गए हैं, वह बेबुनियाद और निराधार हैं। जिस वीडियो में उन्हें कांग्रेस के तीसरे नंबर पर रहने की बात कहते हुए दिखाया गया है, वह तोड़मरोड़ कर सामने लाया गया है। यह वीडियो जब मेरे संज्ञान में आया तो मैंने उसे झूठा बताते हुए न केवल खंडन किया, बल्कि नए सिरे से वीडियो जारी कर कांग्रेस को जिताने की अपील की। बैनीवाल ने इसके प्रमाण भी लेटर के साथ पेश किए हैं।
भरत बैनीवाल ने सफाई दी कि जब आठ अक्टूबर को कांग्रेस का टिकट पवन बैनीवाल को दिया गया तो कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ने की बात कही, लेकिन मैंने उन्हें समझाया और वह मान गए। 14 अक्टूबर तक उन्हें मनाता रहा और वह पार्टी के हक में काम करते रहे। 16 अक्टूबर को मैंने कुमारी सैलजा व पवन बैनीवाल के साथ करीब एक दर्जन गांवों में चुनाव प्रचार करते हुए मंच साझा किया तथा लोगों से कांग्रेस को जिताने की अपील की।
बैनीवाल ने अपने जवाब में कहा कि अगले दिन मुझे अपनी कान की सर्जरी कराने के लिए मोहाली जाना पड़ा। इस आपरेशन की तारीख पहले से तय थी। तीन दिन अस्पताल में रहने के बाद वह वापस लौटे तो फिर से पार्टी के लिए काम में जुट गए। बाक्स पार्टी ने चुनाव में मेरी लिखित जिम्मेदारी को लगाई ही नहीं थीभरत बैनीवाल ने प्रदेश अध्यक्ष सैलजा को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि अगर तकनीकी रूप से देखा जाए तो पार्टी ने मेरी लिखित तौर पर चुनाव प्रचार के लिए कोई जिम्मेदारी तय नहीं की थी, लेकिन फिर भी मैंने और मेरी टीम ने स्वेच्छा से कांग्रेस के हक में काम किया।
अपने गांव दड़बाकलां में कांग्रेस को मिले 60 फीसद वोट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कई गांव हैं, जहां पहले पार्टी को बहुत ज्यादा वोट मिलते रहे, लेकिन इस बार पार्टी वहां तीसरे स्थान पर रही। संभव है कि भरत बैनीवाल उन दो दर्जन बूथ का जिक्र करना चाह रहे हैं, जहां पर दलित वोट बैंक है, मगर कांग्रेस तीसरे स्थान पर लटक गई थी। भरत बैनीवाल ने साथ ही पार्टी को आंखें भी दिखाई। उन्होंने कहा कि मैं राजनीतिक फायदे के लिए कांग्रेस में नहीं हूं। मेरा परिवार जन्म से कांग्रेसी है और मैं भी इसी का हिस्सा हूं। मैंने अपने निजी स्वार्थ के लिए कांग्रेस पार्टी को नहीं चुना है।