Baroda Haryana by-election: बरोदा के रण में दिखेगी कांग्रेसियों के बीच कांटा निकालने की लड़ाई
Baroda Haryana by-election जींद उपचुनाव में सुरजेवाला की हार पर रामबिलास ने हुड्डा का कांटा निकलने का बयान दिया था। बरोदा में हुड्डा और दीपेंद्र की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। हुड्डा विरोधी खेमे ने पूरा चक्रव्यूह तैयार किया है।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। Baroda Haryana by-election: न केवल हरियाणा बल्कि देश की राजनीति में जींद उपचुनाव को लोग आज तक याद रखते हैं। इस उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनी पार्टी के कद्दावर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को चुनाव मैदान में उतारा था। इसके बावजूद भाजपा जींद की बंजर भूमि पर अपनी पार्टी के लिए पहली बार कमल खिलाने में कामयाब हो गई थी। तब तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने चुटकी ली थी कि जींद चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कांटा निकल गया। प्रो. रामबिलास के इस बयान को राजनीतिक गलियारों में हाथों-हाथ लिया गया था।
कांग्रेस में मतभेद की जब भी कोई बात सामने आती है, तब भाजपा जींद में निकले इस कांटे का हमेशा जिक्र करती है। अब प्रदेश में सोनीपत जिले की बरोदा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। अब यह चर्चा चल रही कि बरोदा के रण में किसका कांटा निकलने वाला है। कांग्रेस ने हुड्डा की पहली पसंद कपूर नरवाल को नजर अंदाज करते हुए नए चेहरे इंदु नरवाल पर दांव खेला है। हुड्डा और दीपेंद्र हालांकि इंदु नरवाल को अपनी पार्टी का समर्पित और सक्रिय साधारण कार्यकर्ता मानकर चुनाव मैदान में पूरी जिम्मेदारी से उतर गए हैं, लेकिन इंदु को कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कु. सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी का उम्मीदवार माना जा रहा है।
हुड्डा चाहते थे कि भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके कपूर नरवाल को बरोदा के रण में उतारा जाए, लेकिन सैलजा, रणदीप और किरण इसके लिए इसलिए तैयार नहीं हुए, क्योंकि राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस के आम कार्यकर्ता की उपेक्षा का संदेश न जा सके। सैलजा की योजना बरोदा के दिवंगत विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के बेटे जीता हुड्डा अथवा उनकी पुत्रवधू गायत्री हुड्डा को चुनावी रण में उतारने की थी, लेकिन बरोदा में अपनी जीत पूरी तरह से सुनिश्चित करने के लिए हुड्डा कपूर नरवाल के नाम को आगे कर चल रहे थे, जिसमें टंगड़ी मारने में सैलजा, रणदीप और किरण कामयाब हो गए।
पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव हालांकि खुलकर इस खेल में सामने नहीं आए, लेकिन उन्हेंं शुरू से ही हुड्डा विरोधी माना जाता है, जबकि कुलदीप बिश्नोई को जब से प्रदेश अध्यक्ष या कांग्रेेस विधायक दल का नेता बनाने की बात चली, तब से वह हुड्डा के प्रति नरम रुख अख्तियार करते दिखाई दे रहे हैं। सैलजा और हुड्डा विरोधी खेमा जब कपूर नरवाल को टिकट नहीं देने की जिद पर अड़ गया तो हुड्डा को दूसरा नाम पेश करने का विकल्प दिया गया। ऐसे में उन्होंने इंदु नरवाल के सिर पर हाथ रख दिया, जिसके बाद इंदु नरवाल की जीत-हार पर अभी से कयास लगाए जाने लगे हैं।
हरियाणा के चुनावी रण में यह चर्चा जोरों पर चल रही है कि बरोदा में अब किसका कांटा निकलेगा। हुड्ड़ा और उनके बेटे दीपेंद्र अपने विधायकों के दम पर अब इंदु नरवाल को जिताने में पूरे जी-जान से जुट गए हैं। ऐसे में चर्चा है कि यदि हुड्डा अपने मिशन में कामयाब हो गए तो वह बरोदा के रण में सैलजा, रणदीप, कैप्टन और किरण का कांटा निकाल देंगे, लेकिन हुड्डा विरोधी खेमा अपनी रणनीति में कामयाब हो गया तो इन चारों का कांटा निकल जाएगा। ऐसे में अब कांग्रेेस में कांटा चुभाने और कांटा निकालने की नई राजनीति का दौर शुरू हो गया है। काबिल-ए-जिक्र यह है कि बरोदा पहले कभी ओमप्रकाश चौटाला का गढ़ होता था, जो अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता है।