Exclusive: हुड्डा बोले- बरोदा उपचुनाव से हो चुकी बेमेल गठबंधन को नकारने की शुरुआत
Baroda Byelection 2020 पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बरोदा उपचुनाव में कांग्रेस की जीत से खासे उत्साहित हैं। उनका कहना है कि हरियाणा में बरोदा उपचुनाव के परिणाम के साथ ही भाजपा-जजपा गठबंधन को नकारने की शुरूआत हो गई है।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत जिले की बरोदा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी की जीत से खासे उत्साहित हैं। बरोदा में कांग्रेस प्रत्याशी इंदुराज नरवाल (भालू) की जीत को पार्टी की जीत कम और भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके राज्यसभा सदस्य बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा की जीत अधिक माना जा रहा है। कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल और प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा भी बरोदा की जीत से ऊर्जावान नजर आ रहे हैं।
बरोदा का रण जीतने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से बातचीत
हुड्डा के कांग्रेस विधायक दल का नेता बनने, दीपेंद्र हुड्डा के राज्यसभा सदस्य, विवेक बंसल के प्रभारी और कुमारी सैलजा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस की यह पहली जीत है। इस जीत के मायनों पर दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो प्रमुख अनुराग अग्रवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश।
- बरोदा के रण में एक तरफ कांग्रेस के नए चेहरे इंदुराज नरवाल और दूसरी तरफ भाजपा के अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त थे। यहां कांग्रेस की जीत को आप किस तरह से देखते हैं?
- बरोदा में लोगों के सम्मान की जीत हुई है। कांग्रेस के पिछले दस साल के शासन की उपलब्धियों और मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की विफलताओं को ध्यान में रखते हुए लोगों ने नतीजे दिए। कांग्रेस के राज में बरोदा के विकास के तमाम काम हुए, जिनकी लंबी फेहरिस्त है। गठबंधन ने चुनाव से पहले लोगों को गुमराह करने की कोशिश की, मगर लोग झांसे में नहीं आए।
- बरोदा में कांग्रेस प्रत्याशी के चयन को लेकर आरंभ में खींचतान की स्थिति रही। 2019 के नतीजों के बाद भी आपने कहा था कि कुछ टिकट उनकी पसंद के हिसाब से नहीं बंटे थे?
- यह बात सही है कि यदि 2019 में हमारी पसंद के कुछ लोगों को टिकट दे दिए जाते तो निसंदेह आज प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होती। बहरहाल, उसे छोड़िये। बरोदा में प्रत्याशी चयन को लेकर कोई खींचतान नहीं थी। हमारे पास विकल्प थे। बाद में हमने सर्वसम्मति से इंदुराज नरवाल के नाम की सिफारिश की, जिसे पार्टी हाईकमान ने माना और वह चुनाव जीत गए।
- बरोदा की जीत को हुड्डा पिता-पुत्रों की जीत माना जा रहा है। इससे आप कितने सहमत हैं? क्या बाकी कांग्रेस नेताओं ने बरोदा में मेहनत नहीं की?
- हमने यह कभी नहीं कहा कि यह पिता-पुत्रों की जीत है। यह प्रदेश की जनता, कांग्रेस के आम कार्यकर्ता, कांग्रेस की नीतियों तथा सभी नेताओं की मेहनत की जीत है। यह तो मीडिया का आकलन हो सकता है कि पिता-पुत्रों की जीत है। जनता यदि ऐसा मानती है तो यह उनका हमारे प्रति सम्मान है। हम सभी नेताओं को साथ लेकर चले। इंदुराज नरवाल की जीत कांग्रेस की जीत है और गठबंधन की हार है।
- बरोदा के चुनाव नतीजों के बाद अब भाजपा व जजपा गठबंधन का क्या भविष्य है? दोनों दलों के नेताओं के एक दूसरे पर आरोप लगाने वाले बयान सामने आ रहे?
- बरोदा में पूरी सरकार और गठबंधन के नेता लंबे समय से डेरा डाले हुए थे। फिर भी हार गए। सरकार ने जीत के लिए साम, दाम, दंड और भेद के तमाम प्रयास किए, जो फेल हो गए। किसानों ने तीन कृषि कानूनों का विरोध किया। गठबंधन के विकास के झूठे वादों को नकार दिया गया। बरोदा से सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
- बरोदा में कांग्रेस की जीत और गठबंधन प्रत्याशी की हार से प्रदेश में कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर होने की संभावना तो बिल्कुल नजर नहीं आ रही है?
- इस चुनाव में कांग्रेस की जीत और गठबंधन की हार के गंभीर मायने हैं। पिछले चुनाव में भाजपा ने 75 पार का नारा दिया था, जबकि जजपा ने उन्हें यमुना पार पहुंचाने की बात कही थी। मगर बरोदा में दोनों साथ आ गए तो जनता ने उन्हें बेकार साबित कर दिया। बरोदा में गठबंधन के असैद्धांतिक मेल की पोल खुल गई। जजपा सरकार में सिर्फ नाम की हिस्सेदारी के लिए शामिल है। उसे जनता खासकर किसानों के हितों से कोई वास्ता नहीं। उनके नेता क्या कर रहे हैं, सबको मालूम है।
- कांग्रेस कार्यकर्ता अब जीत से उत्साहित है। पार्टी नेताओं की अगली रणनीति क्या है?
- बरोदा में लोगों ने कांग्रेस के प्रति जो भरोसा जताया है, उनका आभार जताया जाएगा। जल्द ही वर्कर मीटिंग का आयोजन होगा। जिन लोगों ने साथ दिया, उन्हें जीत का अहसास कराएंगे। पूरे प्रदेश में वर्कर मीटिंग की शुरुआत होगी। माहौल बनाएंगे।
- मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट कहा है कि देश भर में भाजपा का ग्राफ बढ़ रहा है। उन्होंने बिहार में भाजपा की जीत का उदाहरण पेश किया?
- भाजपा ने हरियाणा में चुनाव लड़ा है। उसके नतीजे उनके सामने हैं। उन्हें बिहार की बजाय हरियाणा की बात करनी चाहिये और यहां के उदाहरण के आधार पर बात करनी चाहिए।