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बार काउंसिल का अल्टीमेटम, फिजिकल हियरिंग नहीं तो भूख हड़ताल, कहा- चुनाव की छूट तो कोर्ट ओपन क्यों नहीं

बार काउंसिल आफ पंजाब एवं हरियाणा ने अदालत में फिजिकल हियरिंग शुरू करने की मांग की है। कहा कि जब चुनाव हो सकते हैं सिनेमा खुल सकते हैं तो अदालतोंं में फिजिकल हियरिंग शुरू क्यों नहीं हो सकती। कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह धरना देंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 12:29 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 12:29 PM (IST)
बार काउंसिल का अल्टीमेटम, फिजिकल हियरिंग नहीं तो भूख हड़ताल, कहा- चुनाव की छूट तो कोर्ट ओपन क्यों नहीं
अदालतों में फिजिकल हियरिंग शुरू करने की मांग। (सांकेतिक फोटो)

जेएनएन, चंडीगढ़। बार काउंसिल आफ पंजाब एवं हरियाणा अदालतों में फिजिकल हियरिंग शुरू न होने के खिलाफ तीखे तेवर दिखाने लगी है। बार काउंसिल ने चीफ जस्टिस से आग्रह किया है कि वेे 12 अक्टूबर से पचास प्रतिशत कोर्ट में फिजिकल हियरिंग शुरू करें। इस बाबत वो हरियाणा व पंजाब के राज्यपाल को ज्ञापन भी देंगे। हाई कोर्ट अथारिटी ने निर्धारित अवधि में फिजिकल हियरिंग शुरू नहीं की तो वकील भूख हड़ताल करेंगे और धरने पर बैठेंगे। 26 अक्टूबर से वीडियो कान्फ्रेंसिंग कोर्ट का बहिष्कार किया जाएगा।

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शुक्रवार को पत्रकारों से रू-ब-रू बार काउंसिल के चेयरमैन करनजीत सिंह ने कहा कि वह चीफ जस्टिस को 21 मई को और जून में फिजिकल हियरिंग का रोड मैप भी दे चुके हैं, लेकिन इस पर कोई अमल नहीं हुआ। बार काउंसिल ने चीफ जस्टिस से मिलने का समय भी मांगा, लेकिन उन्हेंं समय नहीं दिया गया। बार काउंसिल की तरफ से कहा गया है कि हाई कोर्ट प्रशासन काम करना नहीं चाहता जिसका खामियाजा केवल वकील या उनसे जुड़े लाखों परिवार ही नहीं, बल्कि न्याय की तलाश में आने वाले लाखों लोग भुगत रहे हैं जिन्हेंं न्याय नहीं मिल रहा।

देश में अधिकतर कोर्ट में काम हो रहा तो हाई कोर्ट को एतराज क्यों

बार काउंसिल के चेयरमैन व अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली व महाराष्ट्र में सर्वाधिक कोरोना मरीज सामने आएं हैं। इसके बावजूद वहां की अदालतों में फिजिकल हियरिंग शुरू हो चुकी है। केरल, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, बिहार व कर्नाटक में भी अदालतों में कुछ हद तक फिजिकल काम काज होने लगा है। फिर भला पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट को फिजिकल हियरिंग में क्या ऐतराज है।

हाई कोर्ट का प्रशासनिक काम भी ठप

बार काउंसिल के चेयरमैन करनजीत सिंह ने कहा कि सिर्फ अदालत ही नहीं, बल्कि जज भी प्रशासनिक काम नहीं कर रहे। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पिछले सात साल से किसी भी वकील को सीनियर नहीं बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट साफ कर चुका है कि साल में दो बार सीनियर पद के लिए एक्सरसाइज होनी चाहिए।

हजारों वकील संकट में, छोड़ रहे है शहर

बार कांउसिल के पूर्व चेयरमैन लेख राज शर्मा ने कहा कि हाई कोर्ट में इस समय सिर्फ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुनवाई हो रही है। ऐसे में काम बेहद ही कम हो चूका है जिसके चलते कई युवा वकील अब आर्थिक संकट में है। ऐसे एक हजार से ज्यादा वकील तो कामकाज न होने के चलते के शहर छोड़ कर अपने घरों को वापिस चले गए हैं। उनके पास अब आजीविका का कोई साधन ही नहीं है।

उन्होंंने सवाल उठाया कि केंद्र सरकार ने अनलाक-5 की घोषणा के बाद सिनेमा, शिक्षण संस्थानों तक को खोलने की इजाजत दी है। चुनाव आयोग ने बिहार विधान सभा के चुनाव घोषित कर दिए हैं। सभी काम-धंधे शुरू हो चुके हैं तो ऐसे में हाई कोर्ट को क्यों बंद रखा हुआ है।


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