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ऑफर की बात कह कर बुरे फंंसे अशोक तंवर, मनोहरलाल व तोमर ने कहा- भाजपा में नो एंट्री

कांग्रेस से इस्‍तीफा देने वाले डॉ. अशोक तंवर भाजपा सहित अन्‍य दलाें में शामिल हाेने का ऑफर होने की बात कह कर बुरी तरह फंस गए हैं। भाजपा ने तंवर को नो एंट्री कह दिया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 12:17 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 12:25 PM (IST)
ऑफर की बात कह कर बुरे फंंसे अशोक तंवर, मनोहरलाल व तोमर ने कहा- भाजपा में नो एंट्री
ऑफर की बात कह कर बुरे फंंसे अशोक तंवर, मनोहरलाल व तोमर ने कहा- भाजपा में नो एंट्री

चंडीगढ़, जेएनएन। कांग्रेस से इस्‍तीफा देने वाले हरियाणा कांग्रेेस के पूर्व अध्‍यक्ष डॉ. अशोक तंवर भाजपा सहित कई दलों से ऑफर मिलने की बात कह कर बुरे फंसे हैं। भाजपा ने कहा है कि तंवर के लिए पार्टी में नो एंट्री है। मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल और केंद्रीय मंत्री व हरियाणा में भाजपा के चुनाव प्रभारी नरेंद्र तोमर ने कहा है कि तंवर को भाजपा में शामिल नहीं किया जाएगा। किसी अन्‍य दल से भी तंवर के लिए कोई उत्‍साहजनक बात नहीं कही गई है। इससे उनके राजनीतिक भविष्‍य को लेकर सवाल उठ गए हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस के कुछ नेताओं ने तंवर पर निशाना साधा है।

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बता दें कि अशोक तंवर ने शनिवार को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्‍यता से इस्‍तीफा देने की घोषणा की थी। उन्‍होंने अपना इस्‍तीफा कांग्रेस की कार्यवाहक अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को भेजा था। तंवर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि उनको भाजपा सहित कई दलों से ऑफर मिला है, लेकिन वह किसी दल में शामिल नहीं होंगे। इसके बाद भाजपा ने तंवर को नो एंट्री की बात कह कर उनकी किरकरी का दी। भाजपा नेताओं ने कहा कि तंवर को पार्टी में शामिल करने या ऑफर देने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। तंवर की संगठन क्षमता भाजपा ने देख ली है। तंवर दूसरे दल के अध्यक्ष रहते ही भाजपा के फायदे में रहे।

तंवर के बयान के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने कहा कि भाजपा ने उनसे कोई संपर्क नहीं किया है। अगर भाजपा ने उन्हें बुलाया होता तो वह कब के आ चुके होते। हम उनको पार्टी में कोई एंट्री नहीं देंगे। उन्होंने करनाल में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रदेश में विपक्ष पहले से ही बहुत कमजोर था। प्रदेश में कांग्रेस समाप्त होती जा रही है। कांग्रेस में बिना पैसे के कुछ भी नहीं होता है और उसकी संस्कृति में ही भ्रष्टाचार है। कांग्रेस में पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने खुद इस खेल का पर्दाफाश किया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस में हमेशा से ही एक-दूसरे के प्रति अविश्वास किया जाता रहा है। कार्यकर्ता अपने नेता पर और नेता अपने कार्यकर्ता पर विश्वास नहीं करता है। तंवर ही नहीं सिरसा में चौधरी रणजीत सिंह ने भी कांग्रेस को छोड़ दिया है। पूरे प्रदेश में कांग्रेस के नेता इस्तीफा दे रहे हैं। अपनी इन्हीं नीतियों के कारण कांग्रेस पूरे देश में ऐसी स्थिति में पहुंच गई है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि भाजपा विधानसभा चुनावों में 75 पार के लक्ष्य को हासिल करके रहेगी।

तोमर ने कहा- मुझे नहीं मालूम कब पार्टी संगठन ने तंवर से संपर्क किया

इसके साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्री और भाजपा के चुनाव प्रभारी नरेंद्र तोमर ने कहा कि पार्टी संगठन ने कभी तंवर से संपर्क किया हो, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। तंवर के भाजपा में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब उनका प्रस्ताव आएगा, तब इस बारे में कोई जवाब दे पाएंगे।

नरेंद्र तोमर ने कहा कि केंद्रीय चुनाव समिति ने बड़ी ही पारदर्शिता और सफलतापूर्वक सभी 90 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों का चयन किया है। कुछ सीटों पर भाजपा नेताओं ने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है, उनसे भी लगातार संपर्क किया जा रहा है और उनको मना लिया जाएगा। इस दौरान कांग्रेस के दो पूर्व विधायकों महेंद्रगढ़ से राधेश्याम शर्मा और सोनीपत से अनिल ठक्कर को भाजपा की सदस्यता दिलाई। इसी तरह महेंद्रगढ़ से कांग्रेस सेवादल के जिलाध्यक्ष सतीश शर्मा ने भी भाजपा में आस्था प्रकट की है।

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पांच साल आठ माह में तंवर खड़ा नहीं कर पाए संगठन

दूसरी आेर, कांग्रेस के तंवर विरोधी और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी नेताओं ने अशोक तंवर पर निशाना साधा है। इन नेताओं का कहना है कि तंवर पांच साल में पार्टी का संगठन नहीं खड़ा कर पाए और हरियाणा में कांग्रेस कमजोर होती गई। तंवर अपने पांच साल आठ माह के कार्यकाल में प्रदेश में ब्लॉक व जिला स्तर का संगठन भी खड़ा नहीं कर पाए। इस कारण कांग्रेस हरियाणा में एक के बाद एक चुनाव हारती चली गई। सन 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद विधानसभा और फिर स्थानीय निकाय, पंचायत सहित लोकसभा चुनाव भी पार्टी बुरी तरह हारी।

वैसे दोनों गुटों से बराबर दूरी रखने वाले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी कहना है कि तंवर अपने नेतृत्व के दौरान एक भी चमत्कार कार्यकर्ताओं के बल पर नहीं दिखा पाए। हर चुनावी कसौटी पर उनके बेहतर संगठन का दावा फ्लाप हुआ। वह सिर्फ दावा करते रहे कि उन्होंने पुराने राजनीतिक घरानों के चंगुल से राजनीति को निकालकर जमीनी स्तर के कार्यकर्ता को सौंपने का प्रयास किया है।

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''अशोक तंवर का व्यवहार एक राष्ट्रीय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लायक नहीं रहा है। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए मुझ जैसे समर्पित कार्यकर्ता को गाली दी, मेरी शिकायत पर संज्ञान लेते हुए हाईकमान को पहले ही इन्हें पार्टी से निकाल देना चाहिए था।

                                                                                           - जयतीर्थ दहिया, पूर्व विधायक, कांग्रेस।

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'' प्रदेश कांग्रेस अब सही हाथों में है। कांग्रेस विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने जा रही है। जिन्हें कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद नहीं है वे पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। इसका भी कांग्रेस को फायदा होगा।

                                                                                                   - करण दलाल, विधायक, कांग्रेस।


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