IAS अशोक खेमका का अब सीएम से टकराव, मनोहरलाल की टिप्पणी के खिलाफ पहुंचे हाई कोर्ट
मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने हरियाणा के चर्चित आइएएस अफसर डॉ. अशोक खेमका की एसीआर पर नकारात्मक टिप्पणी कर दी। इससे उनकी एसीआर खराब हो गई। खेमका इसके खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गए हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। अकसर विवादों में रहने वाले हरियाणा के सीनियर आइएएस अशोक खेमका एक बार फिर सरकार से टकराव की राह चल पड़े हैं। इस बार मामला उनकी 2016-17 की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एसीआर) से जुड़ा है। इसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उनके अंक घटाते हुए प्रतिकूल टिप्पणी की है। इसके खिलाफ उन्होंने पहले कैट में अर्जी दी और वहां से राहत नहीं मिली तो उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दी है। हाईकोर्ट ने इस संबंध में हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है।
सीएम की टिप्पणी से IAS खेमका की एसीआर हुई खराब, हाईकोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस
दरअसल मुख्यमंत्री मनोहरलाल की प्रतिकूल टिप्पणी के कारण खेमका की पदोन्नति में दिक्कत हुई। अपनी पदोन्नति रुकती देख खेमका ने कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) में अर्जी लगाई, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। इसके बाद अब उन्होंने अपने एडवोकेट बेटे श्रीनाथ ए खेमका के जरिये हाई कोर्ट में अर्जी लगाई है। हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई अगले महीने होगी।
विज ने दिए 9.92 नंबर, सीएम ने काटे, अब बेटे के जरिये हाईकोर्ट में लगाई याचिका
बता दें कि 1991 बैच के आइएएस अशोक खेमका ने 7 जून 2017 को वर्ष 2016-17 के लिए एप्रेजल भरा था। इसमें मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने उन्हें 10 में से 8.22 नंबर दिए। इसके बाद 27 जून को खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनिल विज ने उन्हें 10 में से 9.92 अंक देते हुए टिप्पणी की कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने तीन साल में 20 से अधिक आइएएस अफसरों के साथ काम काम किया, लेकिन कोई भी अधिकारी खेमका के करीब नहीं था। खेमका की योग्यता, सच्चाई, ईमानदारी और बुद्धिमत्ता का कोई सानी नहीं।
मुख्यमंत्री मनोहरलाल के साथ अशोक खेमका। (फाइल फोटो)
सीएम की प्रतिकूल टिप्पणी से अशोक खेमका की पदोन्नति रुकने का खतरा, कैट ने भी अर्जी ठुकराई
इसके बाद 31 दिसंबर 2017 को खेमका की एप्रेजल रिपोर्ट मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास पहुंची। सीएम ने विज के तर्कों से असहमति जताते हुए खेमका के नंबर काट दिए और उन्हें दस में से नौ अंक दिए। साथ ही उन्होंने लिखा कि खेमका पर विज की रिपोर्ट थोड़ी अतिरंजित (बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन) है।
ये है विवाद की जड़
दरअसल एसीआर में दस में से नौ अंक होने के बावजूद सीएम की टिप्पणी से खेमका की केंद्र में अतिरिक्त सचिव के रूप में पदोन्नति प्रभावित हो सकती है। एक बैच से केवल 20 फीसद आइएएस अफसरों को उच्च स्तर के लिए प्रमोट किया जाता है और ऐसे में मुख्यमंत्री की टिप्पणी खेमका की पदोन्नति की संभावना को धूमिल करेगी। पदोन्नति प्रभावित होती देख खेमका ने कैट में अर्जी लगाई। वहां बात न बनने पर उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका लगाते हुए अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट से सीएम की टिप्पणी हटाने और विज द्वारा दिए 9.92 नंबर बहाल कराने की मांग की है। इस पर न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की खंडपीठ ने मुख्य सचिव के जरिये प्रदेश सरकार को नोटिस थमाया है।
हर सरकार से खेमका का होता रहा टकराव
खेमका का लगभग हर सरकार से टकराव होता रहा है। इनेलो की सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला से लेकर कांग्रेस की हुड्डा सरकार में कई मौके आए जब खेमका सीधे सरकार से भिड़ गए। 15 अक्टूबर 2012 को वाड्रा-डीएलएफ भूमि समझौते को रद करने के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बाकायदा उन्हें आरोपपत्र थमा दिया था। कई बार स्थानांतरित कर उन्हें अपेक्षाकृत कम महत्व के पदों पर लगा दिया गया। हालाकि बाद में खेमका से आरोपपत्र वापस ले लिए गए।
खेल एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के साथ अशोक खेमका। (फाइल फोटो)
विवादों के बावजूद अनिल विज के प्यारे खेमका
अपने करियर में तबादलों की हॉफ सेंचुरी पूरी करने वाले अशोक खेमका के पक्ष में खेल मंत्री अनिल विज खुलकर साथ देते रहे हैं। खेल विभाग के प्रधान सचिव रहते खेमका द्वारा बनाई पॉलिसियों से कई बार खिलाडिय़ों का सरकार से सीधा टकराव हुआ, लेकिन विज हमेशा उनकी ढाल बनकर खड़े नजर आए। इससे पहले खेमका सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में थे जहां राज्य मंत्री कृष्ण बेदी से वाहन को लेकर विवाद के बाद विज ने खुद सीएम से कह कर खेमका को खेल विभाग में लगवाया था।