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दूर हुए अदाणी पावर और हरियाणा सरकार शिकवे, फिर मिलाया दोनों ने हाथ, कानूनी मुकदमे वापस होंगे

हरियाणा सरकार व अदाणी पावर के बीच समझौता होने से राज्य सरकार तमाम केस वापस ले लेगी। अदाणी पावर अब 38 प्रतिशत की बजाय 17 प्रतिशत आयातित कोयले का इस्तेमाल करेगा। अदाणी पावर 1200 मेगावट बिजली की निरंतर सप्लाई करता रहेगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 08:00 AM (IST)
दूर हुए अदाणी पावर और हरियाणा सरकार शिकवे, फिर मिलाया दोनों ने हाथ, कानूनी मुकदमे वापस होंगे
अदाणी पावर को बिजली उत्पादन में आयातित कोयले के कम इस्तेमाल की अनुमति मिली। सांकेतिक फोटो

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार और अदाणी पावर लिमिटेड के बीच समझौता हो जाने के बाद प्रदेश सरकार ने अदालतों में चल रहे तमाम केस वापस लेने का निर्णय लिया है। अदाणी पावर ने आयातित कोयला महंगा होने की बात कहते हुए हरियाणा को सप्लाई की जाने वाली बिजली आपूर्ति सितंबर 2021 से बंद कर दी थी।

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2008 में अगले 25 साल तक 2.94 रुपये प्रति यूनिट की दर से 1424 मेगावाट बिजली देने का समझौता अदाणी पावर और हरियाणा सरकार के बीच हुआ था। अब प्रदेश सरकार ने अदाणी ग्रुप को बिजली उत्पादन में आयातित कोयला 38 प्रतिशत की बजाय 17 प्रतिशत इस्तेमाल करने की इजाजत तो दी ही, साथ ही इस्तेमाल होने वाले आयातित कोयले पर आने वाले मामूली खर्च को भी वहन करने पर सहमति जता दी है। यह तीन पैसे प्रति यूनिट पड़ेगा, जो सरकार जनता की जेब से लेने के बजाय अपने खजाने से देगी।

हरियाणा सरकार और अदाणी पावर के बीच हुए नये समझौते के मुताबिक अदाणी पावर अब 1200 मेगावाट बिजली 83 प्रतिशत घरेलू और 17 प्रतिशत आयातित कोयले का इस्तेमाल करते हुए बनाएगी, जो राज्य में सप्लाई होगी। फिलहाल प्रदेश सरकार ने 224 मेगावाट वह बिजली छोड़ दी है, जो आयातित महंगे कोयले से बनती है। सरकार यदि इसे खरीदना चाहती तो उसे बढ़ी हुई मामूली लागत वहन करनी पड़ेगी।

हरियाणा को जब भरी गर्मी में बिजली की बहुत अधिक जरूरत थी, तब प्रदेश सरकार ने अदाणी पावर से समझौते के मुताबिक बिजली देने का अनुरोध किया था, लेकिन कंपनी इस पर तैयार नहीं हुई। बाद में मामला कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हस्तक्षेप के बाद इस विवाद को आपसी रजामंदी से सुलझा लिया गया है। फिलहाल अदाणी पावर की ओर से हरियाणा को 1024 मेगावाट बिजली मिल रही है।

हरियाणा मंत्रिमंडल की सोमवार को हुई बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा सरकार और अदाणी पावर के बीच समझौता हो जाने की जानकारी दी। अदाणी पावर को सरकार ने राहत प्रदान की है।

आयातित कोयले की कीमतें ढाई गुणा तक बढ़ने के बाद हरियाणा को बिजली देने से हाथ खड़े करने वाली अदाणी पावर लिमिटेड की मजबूरी को हरियाणा सरकार ने समझा है। पहले जहां अदाणी पावर को कुल खपत का 38 प्रतिशत विदेशी कोयला इस्तेमाल करना पड़ रहा था, वहीं अब सरकार ने शर्तों में बदलाव करते हुए सिर्फ 17 प्रतिशत आयातित कोयला इस्तेमाल करने की छूट दी है।

ऊर्जा शुल्क घरेलू और आयातित कोयले पर आधारित अनुबंधित क्षमता के 83:17 अनुपात पर आधारित होगा। केंद्र सरकार की कमेटी की रिपोर्ट को अमलीजामा पहनाते हुए पंजाब और गुजरात की सरकार पहले ही अनुबंध में बदलाव कर चुकी हैं।

समझौते में बदलाव के बाद प्रदेश सरकार को सालाना करीब 50 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना होगा। इससे करीब तीन पैसे प्रति यूनिट खर्च बढ़ेगा, जिसे लोगों पर न डालकर हरियाणा सरकार वहन करेगी। अदाणी पावर लिमिटेड अब 2.94 की बजाय 2.97 रुपये प्रति यूनिट की दर पर 1200 मेगावाट बिजली देती रहेगी।

50 करोड़ का अतिरिक्त बोझ खुद वहन करेगी सरकार

हरियाणा की बिजली कंपनियों ने अदाणी पावर लिमिटेड के साथ 712-712 मेगावाट बिजली की खरीद के लिए सात अगस्त 2008 को दो समझौते किए थे, जिसमें 25 वर्षों के लिए 2.94 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली ली जानी थी। 1424 मेगावाट यह बिजली गुजरात राज्य के मुंद्रा विद्युत परियोजना की उत्पादन इकाइयों सात, आठ और नौ से मिलनी थी।

यूनिट नंबर सात अगस्त 2012 को जबकि यूनिट नंबर आठ और नौ फरवरी 2013 को संचालित हुई। अदाणी पावर ने यह बिजली कई साल तक हरियाणा को दी, लेकिन सितंबर 2021 में आयातित कोयले की बढ़ी हुई दरों की वजह से मामला लटक गया। कंपनी ने बिजली खरीद अनुबंध और संबंधित मुद्दों पर विशेष रूप से आयातित कोयले की लागत को पूरा करने लिए फिर से बातचीत करने का प्रस्ताव हरियाणा सरकार के समक्ष रखा।

कानूनी राय के बाद जारी होगा अदाणी पावर का बकाया भुगतान

हरियाणा सरकार और अदाणी पावर के बीच दो अहम बिंदुओं पर सहमति बनी है। 224 मेगावाट की आयातित कोयला आधारित क्षमता को छोड़ना और केवल घरेलू कोयले से उत्पादित होने वाली हरियाणा परिधि में 1200 मेगावाट की कुल क्षमता को बनाए रखना। शेष बिजली यदि हरियाणा को चाहिएगी तो आयातित कोयले की लागत के आधार पर उसका रेट तय होगा।

इसके अलावा, विभिन्न मंचों और अदालतों के समक्ष सभी लंबित मुकदमों को वापस लेने और उनका निपटान करने पर भी सहमति बनी। अदाणी पावर लिमिटेड के अनुवर्ती बकाया भुगतान के लिए हरियाणा के महाधिवक्ता की राय लेने के बाद उसे जारी कर दिया जाएगा।


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