Move to Jagran APP

सर्वे : 16 से 18 साल के 60 फीसद लड़के-लड़कियां सहमति से बनाते हैं संबंध

राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सेमिनार में एक सर्वे के नतीजे में खुलासा किया गया कि 16 से 18 आयु वर्ग के लड़कियों से रेप के 60 फीसद मामले सही नही होते। वे सहमति से संबंध बनाते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 10:06 AM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 09:01 PM (IST)
सर्वे : 16 से 18 साल के 60 फीसद लड़के-लड़कियां सहमति से बनाते हैं संबंध
सर्वे : 16 से 18 साल के 60 फीसद लड़के-लड़कियां सहमति से बनाते हैं संबंध

पंचकूला, [राजेश मलकानियां]। एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि 16 से 18 साल की लड़कियों के साथ दुष्कर्म के अब तक जो मामले सामने आए हैं, उनमें 60 प्रतिशत केस आपसी सहमति के हैं। यह सर्वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की बनाई गई चार टीमों में से एक नामीशा नामक स्कॉलर की टीम ने किया है। उस सर्वे के नतीजे में बताया गया है कि नाबालिग लड़कियां और लड़के आपस में पहले दोस्त बन जाते हैं और उसके बाद उसके संबंध बनते हैं। जब लड़की के परिवारवालों को इस बात का पता चलता है तो वे लड़के पर दुष्कर्म का केस दर्ज करवा देते हैं।

loksabha election banner

सर्वे के नतीजे जारी करते हुउ नामीशा ने कहा है कि लड़के पक्ष में कोई कानून ना होने के चलते पोक्सो के तहत केस दर्ज कर लिया जाता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य ज्योतिका कालरा ने इसकी पुष्टि कर बताया कि रिसर्च में कई पीडि़त लड़कियों और आरोपित लड़कों से सर्वे करनेवालाें ने बातचीत की।इस दौरान उन्होंने माना कि वे दोनों काफी समय दोस्त रहे और इस दौरान उनके संबंध भी बने। लड़की बाद में परिवार के दबाव के चलते मुकर गई और लड़कों पर मामले दर्ज हो गए।

कालरा ने बताया कि इसके अलावा लड़कों ने सर्वे करनेवालों को अपनी फेसबुक और मोबाइल फोन और अन्य वाट्सएप चैट भी दिखाई। उससे पता लगा कि उन पर लगे आरोप निराधार हैं। कालरा ने बताया कि आयोग पोक्सो एक्ट में संशोधन करवाने के लिए एक प्रस्ताव तैयार करके केंद्र सरकार को भेजेगा। उसके बाद विभिन्न राज्यों से रिपोर्ट भी ली जाएगी। राज्यों को एडवाइजरी भी जारी की जाएगी।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और हरियाणा सरकार के आपसी सहयोग से जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट 2015, पोक्सो एक्ट 2012 व रेस्टोरेटिव जस्टिस विषयों पर पंचकूला में दो दिवसीय उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रीय समीक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया था। उसमें दो दिनों तक पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली के चाइल्ड वेलफेयर कमेटियों के अधिकारियों एवं विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। उसी सेमिनार में दो दिन तक विभिन्न टीमों ने अपनी शोध व सर्वे प्रस्तुत किए।

नाबालिग व व्यस्क से एक जैसा व्यवहार

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संयुक्त सचिव डॉ. रणजीत सिंह ने बताया कि पोक्सो एक्ट में 18 साल से नीचे जिन बच्चों ने अपराध किया है, उनके लिए एक्ट में कोई विशेष प्रावधान नहीं है। उस कारण इस एक्ट में संशोधन के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सरकार को लिखा जाएगा। फिलहाल नाबालिग से भी पोक्सो एक्ट में उसी तरह व्यवहार किया जाता है, जैसे व्यस्क अपराधियों के साथ व्यवहार होता है। उस कारण नाबालिग कई बार गलत तरीके से फंस जाता है। उनके उत्थान के लिए एक्ट में खामियों को दूर करना जरूरी है।

कानूनों का रिव्यू किया गया

ज्योतिका कालरा के अनुसार सेमिनार में फैसला किया गया कि जुवनाइल जस्टिस एक्ट में बच्चों की रजिस्ट्रेशन, रेगुलर उनकी पहचान हो, सोशल ऑडिट करवाया जाएगा। बच्चों को रखने के लिए क्या सुविधाएं दी जा रही हैं, उनको नियमित शिक्षा एवं कल्याण के लिए काम हो रहा है या नहीं, जिन लोगों को इस काम में लगाया गया है, उनको ट्रेनिंग, पूरा वेतन समय पर मिले, इस पर एक एडवाइजरी तैयार करके सभी राज्य सरकारों को भेजा जाएगा।

रेस्टोरेटिव जस्टिस पर चर्चा

सेमिनार के दूसरे दिन रेस्टोरेटिव जस्टिस पर चर्चा हुई। पोक्सो में बच्चों को मुआवजा दिलवाने पर विशेष फोक्स किया गया है। पुलिस को इस संबंध में जागरूक करने पर जोर दिया गया। सभी वक्ताओं ने माना कि कानून तो अच्छे बन चुके हैं, लेकिन लोगों को उनकी जानकारी नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.