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यौनशोषण से पीडि़त बच्चों को अब मिलेगा जल्द न्याय, 16 स्पेशल पॉक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन

हरियाणा ने बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलोंं का जल्द निपटारा करने के लिए राज्य में 16 स्पेशल पॉक्सो कोर्ट का गठन कर दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 07:10 AM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 09:03 AM (IST)
यौनशोषण से पीडि़त बच्चों को अब मिलेगा जल्द न्याय, 16 स्पेशल पॉक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन
यौनशोषण से पीडि़त बच्चों को अब मिलेगा जल्द न्याय, 16 स्पेशल पॉक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन

जेएनएन, चंडीगढ़। बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के मामलोंं का जल्द निपटारा करने के लिए राज्य में 16 स्पेशल पॉक्सो कोर्ट का गठन कर दिया गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आदेश जारी कर 16 कोर्ट को स्पेशल पॉक्सो ( प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट) कोर्ट नामित किया है।

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आदेश के अनुसार इन कोर्ट का कार्यकाल एक साल तय किया गया है। स्पेशल पॉक्सो कोर्ट में हरियाणा सुपीरियर ज्युडिशियल सर्विस के एडीशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज स्तर के अधिकारियों को स्पेशल पॉक्सो कोर्ट का जज नामित किया गया है। आदेश के अनुसार अंबाला की एडीशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज आरती सिंह को अंबाला में, हरशैली चौधरी को भिवानी, जैसमीन शर्मा को फरीदाबाद, भावना जैन को गुरुग्राम, गुरवींद्र कौर को जींद, सौरभ गौंसाई को करनाल, मधू खन्ना को मेवात, महेश कुमार को पलवल, सुमित गर्ग को पानीपत, जसबीर सिंह को रोहतक, परमींद्र कौर को सोनीपत, पायल बंसल यमुना नगर, बलवंत सिंह फतेहाबाद, सीमा सिंघल को हिसार, मनीष दुआ को कुरुक्षेत्र व अनिल कुमार को सिरसा में स्पेशल पॉक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट में एडीशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन नियुक्त किया गया है।

हाई कोर्ट ने सभी अधिकारियों को तत्काल अपना कार्यभार संभालने के निर्देश भी जारी किए हैं। वर्तमान में यह सभी जज उन्ही जिलों में एडीशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन नियुक्त पर काम कर रहे है, जहां उनको स्पेशल पॉक्सो फास्ट ट्रैक का जज नामित किया गया है।

क्यों बनी स्पेशल पॉक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने देश में बढ़ रही बच्चों के यौन शोषण व दुष्कर्म की घटना पर संज्ञान लिया था। इसी मामले की सुनवाई के दौरान पिछले साल जुलाई माह में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था, वो उन सभी जिलों में स्पेशल पॉक्सो कोर्ट बनाने में मदद करे जहां सौ से ज्यादा केस पेंडिंग है। इसी के तहत केंद्रीय कानून व न्याय मंत्रालय ने देशभर में स्पेशल पॉक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट की नीति बनाई थी। उसी के तहत राज्य में स्पेशल पॉक्सो फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया है।

बता दें कि केंद्र सरकार ने 2018 में साल पॉक्सो कानून में संशोधन की मंजूरी दी थी। पॉक्सो एक्ट में संशोधन में मंजूरी के साथ ही नाबालिग से रेप मामले में फांसी की सजा होगी। साथ ही, बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में दंड को और भी कठोर बनाया गया है।

क्या है पॉक्सो एक्ट?

साल 2012 में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया था। इस कानून के जरिये नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। ये एक्ट बच्चों को सेक्सुअल ह्रासमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। बता दें कि देश भर में लागू होने वाले इस अधिनियम के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता-पिता की मौजूदगी में होती है।

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