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सड़क सुरक्षा माह : सीमित संसाधन, लंबी ड्यूटी, कैसे सुरक्षित हों सड़कें

सड़कों पर दुर्घटनाएं कम हों तथा जीवन सुरक्षित रहे। इसके लिए सरकार पुलिस व प्रशासनिक स्तर पर हर वर्ष सड़क सुरक्षा माह का आयोजन करती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 07:08 PM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 07:08 PM (IST)
सड़क सुरक्षा माह : सीमित संसाधन, लंबी ड्यूटी, कैसे सुरक्षित हों सड़कें
सड़क सुरक्षा माह : सीमित संसाधन, लंबी ड्यूटी, कैसे सुरक्षित हों सड़कें

संजय मग्गू, पलवल

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सड़कों पर दुर्घटनाएं कम हों तथा जीवन सुरक्षित रहे। इसके लिए सरकार पुलिस व प्रशासनिक स्तर पर हर वर्ष सड़क सुरक्षा माह का आयोजन करती है। एक माह तक चलने वाले अभियान में जहां जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। वहीं, विभिन्न माध्यमों से पुलिस सामाजिक संस्थाओं तथा प्रशासनिक संस्थानों के सहयोग से लोगों को यातायात के नियमों का पालन करने की सीख देते हैं। हालांकि ट्रैफिक पुलिस अपने प्रयास तो पूरे करती है, लेकिन सीमित संसाधन तथा लंबी ड्यूटी कहीं न कहीं सड़कों पर सुरक्षित सफर पर सवालिया निशान लगाते रहते हैं।

यातायात नियमों का पालन कराने तथा उल्लंघन रोकने के लिए यातायात और पुलिस विभाग के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यातायात विभाग होमगार्ड और अनुबंध आधार पर भर्ती किए गए पूर्व सैनिकों के सहारे व्यवस्था को संभालने का प्रयास तो कर रहा है, लेकिन इच्छाशक्ति का अभाव सुरक्षित यातायात की राह का रोड़ा बना हुआ है। एक बानगी भर है कि जिले के अधिकतर चौराहों की ट्रैफिक व्यवस्था होमगार्ड के जवानों के हवाले रहती है। हालांकि ड्यूटी तो ट्रैफिक पुलिस के जवानों की भी रहती है। लेकिन, उनका ज्यादातर समय वाहनों के कागजातों की जांच व चालान काटने में बीतता है। 74 पुलिसकर्मियों के हाथ व्यवस्था

जिले की सीमा में गदपुरी बार्डर से होडल में करमन बार्डर तक करीब 50 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग पर महाराणा प्रताप (हुडा सेक्टर-2) चौक, अलावलपुर चौक, बस अड्डा चौक, अलीगढ़ चौक, रसूलपुर चौक, आगरा चौक, कुसलीपुर मोड़, विश्रामगृह, अटोहां मोड़, बामनीखेड़ा तिराहा, औरंगाबाद मोड़, मुडकटी चौक, बंचारी मोड़, बाबरी मोड़, गौड़ोता चौक, हसनपुर चौक, डबचिक तिराहा जैसे कई अन्य मुख्य चौराहे व तिराहे हैं। इसके अलावा छिटपुट अन्य मोड़ व चौराहे भी हैं। इन सभी पर यातायात व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी 74 पुलिसकर्मियों पर है। उनके साथ 69 होमगार्ड व अनुबंध पर तैनात किए गए एसपीओ भी हैं। हालांकि इनमें से भी कई लोग छुट्टी पर रहते हैं तो इनमें से ही केजीपी व केएमपी एक्सप्रेस-वे पर भी ड्यूटी लगाई जाती है तथा शहरों की भीतरी व्यवस्था भी इनके हवाले रहती है। दिन भर भागते हैं चालकों के पीछे

यातायात पुलिस कर्मियों की ड्यूटी सुबह आठ बजे से शुरू होती है और रात नौ बजे तक चलती है। कोहरे के मौसम में तो पुलिसकर्मियों को जल्दी आना पड़ता है। इतनी लंबी ड्यूटी देते हुए शारीरिक रूप से थक भी जाते हैं। पलवल शहर के बस अड्डा, किठवाड़ी चौक, आगरा चौक पर तो दिनभर पुलिसकर्मी इधर से उधर भागते नजर आते हैं। सड़क पर जहां-तहां खड़े रहने वाले तिपहिया भी हादसों का सबब बनते हैं। रात होने पर तो यातायात व्यवस्था भगवान भरोसे हो जाती है। चूंकि चौराहों पर यातायात सिग्नल खराब हैं इसलिए रात में कोहरा होने पर तो चौराहों को पार करना काफी जोखिम भरा होता है। इसी के चलते अक्सर दुर्घटनाएं भी होती हैं। जरूरी उपकरणों का अभाव

यातायात पुलिसकर्मियों के पास हेलमेट, स्पीडोमीटर, इंटरसेप्ट, रिफ्लेक्टर जैसे यंत्रों का भी अभाव है। नशे में और तेज रफ्तार से वाहन चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में पुलिस को दिक्कत आती है। यदि पुलिस एक स्थान पर जांच शुरू करती है तो वाहन चालकों को पता चल जाता है और वह अपना रास्ता बदल लेते हैं। दूसरे स्थानों पर तैनात पुलिसकर्मियों के पास यंत्र न होने से यह जांच नहीं कर पाते हैं। चौपट यातायात व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए यातायात पुलिस में स्टाफ और संसाधनों की कमी को दूर करना जरूरी है। इसके साथ-साथ पुलिस को स्मार्टफोन व अन्य नवीनतम तकनीक से युक्त करना होगा तभी यातायात व्यवस्था में सुधार करके दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

- दशरथ थानेदार, सेवानिवृत पुलिस इंस्पेक्टर सभी ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों को सतर्क किया गया है। वे पूरी शिद्दत से ड्यूटी कर रहे हैं। मैं स्वयं ज्यादातर समय सड़क पर रहता हूं, ताकि ट्रैफिक सुगम रह सके। हर रोज यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले करीब 150 वाहन चालकों के चालान किए जा रहे हैं। वाहन चालकों को नियमों के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है।

- रविद्र कुमार, प्रभारी ट्रैफिक पुलिस बाक्स : सड़कों पर दौड़ रहे बिना रजिस्ट्रेशन प्लेट वाले वाहन

हथीन : क्षेत्र में बिना रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट वाले ओवरलोड वाहन बिना रोक-टोक के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनके खिलाफ प्रशासन भी कार्रवाई करने के नाम पर आंखें मूंद कर बैठा है। ओवरलोड वाहनों पर रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित न होने से चालक गफलत से वाहन चलाते हैं और दुर्घटना की स्थिति में उनकी पहचान करना भी मुश्किल हो जाता है। शहर के पुलिस थाने के सामने लगे नाके से रोजाना सैंकड़ों ओवरलोडेड वाहन बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के गुजरते हैं, लेकिन फिर भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। समय-समय पर बिना रजिस्ट्रेशन नंबर वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाती है। जल्द ही अभियान चलाकर इन पर नकेल कसी जाएगी।

- अनिल कुमार, एसएचओ, हथीन


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