पलवल, नूंह व नारनौल में बढ़ सकती है पुलिस की नफरी
पुलिस कर्मियों की कमी से जूझ रहे पलवल नूंह व नारनौल जिलों को जल्द ही राहत मिल सकती है।
संजय मग्गू, पलवल
पुलिस कर्मियों की कमी से जूझ रहे पलवल, नूंह व नारनौल जिलों को जल्द ही राहत मिल सकती है। पहले से ही पुलिस बल की कमी से जूझ रहे इन तीनों जिलों से करीब एक माह पूर्व सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक के 147 कर्मचारियों व अधिकारियों के दूर-दराज के जिलों में तबादले किए गए थे। अब पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने गुरुग्राम, फरीदाबाद व पंचकूला के पुलिस आयुक्तों, रोहतक के एडीजीपी, सभी रेंज के आइजी तथा प्रदेश के सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक (पलवल, नूंह व महेंद्रगढ़ के अतिरिक्त) को पत्र लिखकर पलवल, नूंह व नारनौल में काम करने के इच्छुक उपनिरीक्षकों व सहायक उपनिरीक्षकों (एसआइ व एएसआइ) से 14 दिसंबर तक विलिग मांगी है। पुलिस महानिदेशक मनोज यादव ने 19 नवंबर को जारी जंबो तबादला सूची में पलवल, नूंह व नारनौल से 147 पुलिसकर्मियों (निरीक्षक से सिपाही तक) के तबादले कर दिए थे। हालांकि तबादला सूची के पीछे मुख्य कारण तो डीजीपी के करीब साल भर पूर्व के पलवल दौरे से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें कि एक एएसआइ रैंक के अधिकारी ने कहा था कि लंबे समय से टिके हुए कर्मचारी कानून व्यवस्था की स्थिति दुरुस्त रखने में बाधक बनते हैं।
हालांकि तबादला सूची के परिप्रेक्ष्य में गुप्तचर विभाग की रिपोर्ट को भी माना जाता है। तबादला सूची जारी होने के बाद जहां दक्षिण हरियाणा के तीनों जिलों में पुलिस बल की कमी हो गई, वहीं कुछ कर्मचारियों ने तबादला सूची को लेकर उच्च न्यायालय में भी अपील दायर कर दी। अब डीजीपी के नए आदेश से तबादला हुए उन पुलिसकर्मियों में भी उम्मीद का संचार हो गया है, जिनका कि इन तीनों जिलों से तबादला हुआ था। तबादले व नियुक्तियां पुलिस में साधारण बात है। पहले भी कर्मचारियों को विलिग के अनुसार स्टेशन दिए जाते रहे हैं। वैसे गृह जिला न दिया जाना कानून व्यवस्था के लिहाज से काफी अच्छा रहता है। इस पर आगे भी गौर किया जाना चाहिए।
- दशरथ थानेदार, सेवानिवृत पुलिस निरीक्षक