अधिकारियों की उदासीनता: पेयजल संकट का दंश झेल रहे मलाई के ग्रामीण
संवाद सहयोगी हथीन मलाई गांव में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है। ग्रामीणों के आग्रह प
संवाद सहयोगी, हथीन: मलाई गांव में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है। ग्रामीणों के आग्रह पर उच्च अधिकारियों के निर्देश पर बीते बुधवार को पीने का पानी मिला था, लेकिन स्थिति फिर जस की तस हो गई। गांव की दस हजार की आबादी पेयजल की समस्या से लगातार जूझ रही है। स्थानीय अधिकारी उच्च अधिकारियों के निर्देशों को हवा में उड़ा रहे हैं।
बता दें कि गांव मलाई में चारों वाटर टैंकों का पानी सूख गया है। इसको लेकर तीन दिन पहले पेयजल समस्या को लेकर जन स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता दीपेंद्र राज को अवगत कराया गया था। दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को उठाया था। जिसके बाद बुधवार को गांव में पानी छोड़ा गया। हालांकि यह पानी चंद मिनटों में ही खत्म हो गया। इसके बाद अब फिर से पेयजल संकट खड़ा हो गया है। गांव के लोगों का आरोप है कि स्थानीय जन स्वास्थ्य विभाग के कनिष्ठ अभियंता व रुपडाका गांव में बने मुख्य बूस्टिग स्टेशन पर तैनात कर्मचारियों का मलाई गांव की पेयजल व्यवस्था की तरफ ध्यान नहीं है। विभाग के स्थानीय अधिकारियों पर अनसुनी करने के अलावा मलाई गांव के हिस्से का पानी दूसरे गांवों में देने का भी आरोप है, जिसका दंश ग्रामीणों को झेलना पड़ रहा है। गांव के लोगों ने बताया कि पेयजल समस्या तथा विभाग के अफसरों की उदासीनता की शिकायत मुख्यमंत्री के दरबार में लगाई जाएगी। मलाई गांव के जंगल में लगेगा नया ट्यूबवेल: दीपेंद्र राज
विभाग के कार्यकारी अभियंता दीपेंद्र राज का कहना है कि गर्मी के मौसम में पानी की कमी के चलते यह दिक्कत आ रही है। उन्होंने बताया कि मलाई गांव की पेयजल सप्लाई को बेहतर करने के लिए मलाई गांव के जंगल में एक जमीनी बोर करने की विभाग की योजना है। इस योजना को जल्द पूरा कराकर गांव की समस्या का निदान होगा। रही बात स्थानीय अधिकारियों की, तो उनसे सख्ती से निपटा जाएगा।