23-24 फरवरी की राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हिस्सा लेंगे कर्मचारी
एक राष्ट्र एक चुनाव और एक राष्ट्र एक मतदाता सूची होने की नसीहत देने वाले जबाव दें कि एक राष्ट्र एक पेंशन और एक राष्ट्र एक जैसी नौकरी का सिद्धांत देश में लागू क्यों नहीं है। क्या इस पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता नहीं है।
जागरण संवाददाता, पलवल: एक राष्ट्र, एक चुनाव और एक राष्ट्र, एक मतदाता सूची होने की नसीहत देने वाले जबाव दें कि एक राष्ट्र, एक पेंशन और एक राष्ट्र, एक जैसी नौकरी का सिद्धांत देश में लागू क्यों नहीं है। क्या इस पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता नहीं है। यह सवाल बृहस्पतिवार को आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंपलाइज इज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने जिला कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए कहीं। बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान राजेश शर्मा ने की और संचालन जिला सचिव योगेश शर्मा ने किया।
लांबा ने कहा कि केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि इस देश में जनवरी 2004 से पहले और जनवरी 2004 के बाद सेवा में लगे कर्मियों पर अलग-अलग पेंशन क्यों लागू है। सभी कर्मियों पर एक समान पुरानी पेंशन स्कीम लागू क्यों नहीं की जा रही है। उन्होंने यह सवाल किया कि एक राष्ट्र में दो प्रकार की नौकरी (कच्ची और पक्की) नौकरी क्यों है, जबकि काम दोनों प्रकार कर्मचारी एक जैसा करते थे।
सरकार सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का कर एक राष्ट्र और एक समान कर्मचारी का सिद्धांत लागू क्यों नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि 23-24 फरवरी की राष्ट्रव्यापी हड़ताल करके उक्त सवालों का जवाब केंद्र एवं राज्य सरकार से मांगा जाएगा। उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रव्यापी हड़ताल ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व होगी। हड़ताल का संयुक्त किसान मोर्चा ने भी समर्थन का ऐलान किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की घोषणा को लागू करने की मांग को लेकर आठ दिसंबर से हड़ताल कर रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों का समर्थन किया और बर्खास्तगी और नेताओं के खिलाफ झुठे मुकदमे दर्ज करने की घोर निंदा की।