सूरजमुखी की बिजाई के लिए जनवरी से फरवरी तक का समय सर्वोत्तम: डा. मलिक
सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। देश में खाद्य तेलों की कमी दूर करने के लिए सूरजमुखी की खेती को बढ़ावा दिया जाना बहुत जरूरी है। अच्छे बाजार भाव तथा ज्यादा उत्पादक क्षमता के कारण इसकी खेती किसानों के लिए लाभकारी है। यह उक्त जानकारी कृषि विशेषज्ञ डा. महावीर सिंह मलिक ने दी।
जागरण संवाददाता, पलवल: सूरजमुखी एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। देश में खाद्य तेलों की कमी दूर करने के लिए सूरजमुखी की खेती को बढ़ावा दिया जाना बहुत जरूरी है। अच्छे बाजार भाव तथा ज्यादा उत्पादक क्षमता के कारण इसकी खेती किसानों के लिए लाभकारी है। यह उक्त जानकारी कृषि विशेषज्ञ डा. महावीर सिंह मलिक ने दी। उनका कहना है कि सूरजमुखी का तेल हृदय रोगियों के लिए लाभकारी है। यह रक्त में कोलेस्ट्राल की मात्रा घटाता है। 15 फरवरी तक का समय सूरजमुखी की बिजाई के लिए सर्वोत्तम है। वैसे सूरजमुखी की बिजाई सभी मौसमों में की जा सकती है।
डा. महावीर सिंह मलिक ने कहा कि समय पर बिजाई के लिए एमएसएफ आठ केबी, 44 पीएससी 36, एच एसएसएच 848 आदि संकर किस्में अच्छी रहती हैं। पछेती बिजाई के लिए संजीन 85, प्रोसन नौ तथा एमएसएसएच 848 किस्मों की ही बिजाई करें। एचएसएफएच 848 किस्म पकने में 95 दिन लेती है। इसमें 40प्रतिशत तेल तथा इसकी उपज आठ से 10 क्विंटल प्रति एकड़ हो जाती है। किसान अगेती या पछेती दोनों बिजाई कर सकते हैं। पछेती बिजाई मार्च के पहले हफ्ते तक पूरी कर लेनी चाहिए। हरियाणा सूरजमुखी नंबर एक उन्नत किस्म है। बीज और बिजाई पर दें ध्यान: कृषि विशेषज्ञ डा. महावीर सिंह मलिक ने बताया कि उन्नत किस्म हरियाणा सूरजमुखी नंबर एक का चार किलोग्राम बीज प्रति एकड़ बोना चाहिए। हाइब्रिड या संकर किस्मों का डेढ़ से दो किलोग्राम बीज पर्याप्त रहता है। बीज को चार से छह घंटे पानी में भिगोएं तथा छाया में सुखाकर बिजाई करें। संकर किस्मों का लाइन से लाइन 60 सेंटीमीटर तथा उन्नत किस्मों का लाइन से लाइन 45 सेंटीमीटर फासला रखकर तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर गहराई चार से पांच सेंटीमीटर रखनी चाहिए। हरियाणा सूरजमुखी नंबर एक में 100 किलोग्राम सिगल सुपर फास्फेट तथा 35 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ बिजाई पर दें। संकर किस्मों में 125 किलोग्राम सिगल सुपर फास्फेट तथा 45 किलोग्राम यूरिया बिजाई पर डालें। बाद में उन्नत किस्म में 35 किलोग्राम यूरिया तथा संकर किस्मों में 45 किलोग्राम किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ डालना चाहिए। ज्यादा पैदावार लेने के लिए करें सिचाई: कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि ज्यादा पैदावार लेने के लिए चार से छह सिचाई की आवश्यकता होती है। फसल बिजाई के 30 से 35 दिन बाद पहली सिचाई करें। शेष सिचाई 15 दिन के अंतर पर करते रहें। आखिरी सिचाई बोने के 75 दिन बाद करने पर फसल अच्छी लगती है। जब फूल मुड़कर पीला पड़ जाए तो फसल की कटाई कर लेनी चाहिए। फूलों को सुखाकर डंडे से या थ्रेसर से दाना अलग कर लें। इस प्रकार आठ से 10 क्विंटल औसतन उपज प्रति एकड़ हो जाती है। दानों को 10 प्रतिशत नमी सुखाकर भंडारण करें या मंडी में ले जाएं। कीट और पक्षियों से बचाने के लिए करें रोकथाम: उन्होंने बताया कि जड़ या तना गलन रोकथाम के लिए दो ग्राम का कार्बनदेजिग प्रति किलो बीज दर से उपचारित करके बिजाई करें। फूल गलन रोग और काला धब्बा रोग रोकथाम के लिए 500 ग्राम मैनकोजेब दवा 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। फसल को दाना बनते समय तोते, कबूतर तथा कौआ आदि पक्षी भारी नुकसान पहुंचाते हैं। अत: पक्षियों के नुकसान से बचाने के लिए ढोल बजा कर, पटाखे चलाकर अथवा कार वाइट गन आदि तकनीक अपनाकर पक्षियों को भगाते रहना चाहिए।