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स्वतंत्रता सेनानियों के स्वजन को किया सम्मानित

कोरोना के चलते इस बार प्रशासन ने स्वतंत्रता सेनानियों के स्वजन को घर जाकर सम्मानित करने का फैसला लिया है। प्रशासन की तरफ से स्वतंत्रता सेनानी मंडकोला निवासी मोहर सिंह डागर और मंडोरी निवासी भीम सिंह के स्वजन को मंगलवार को उनके घरों पर जाकर एसडीएम लक्ष्मी नारायण ने सम्मानित किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 06:48 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 06:48 PM (IST)
स्वतंत्रता सेनानियों के स्वजन को किया सम्मानित
स्वतंत्रता सेनानियों के स्वजन को किया सम्मानित

संवाद सहयोगी, हथीन: कोरोना के चलते इस बार प्रशासन ने स्वतंत्रता सेनानियों के स्वजन को घर जाकर सम्मानित करने का फैसला लिया है। प्रशासन की तरफ से स्वतंत्रता सेनानी मंडकोला निवासी मोहर सिंह डागर और मंडोरी निवासी भीम सिंह के स्वजन को मंगलवार को उनके घरों पर जाकर एसडीएम लक्ष्मी नारायण ने सम्मानित किया।

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एसडीएम लक्ष्मी नारायण ने बताया कि इस बार कोरोना के चलते 26 जनवरी के कार्यक्रम को सीमित कर दिया गया है। स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान देश को आजाद कराने में अतुल्य रहा है। देश में आजादी से सांस लेने का श्रेय स्वतंत्रता सेनानियों को जाता है। देश आजादी के बाद हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। चारों तरफ विकास के कार्य हो रहे हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में देश के वीरों ने जो भूमिका निभाई देश उनके लिए हमेशा ऋणी रहेगा। इस मौके पर दोनों स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार तथा गांव के गणमान्य लोग मौजूद थे। नेताजी से प्रभावित होकर आजादी की लड़ाई में मोहर सिंह ने लिया था भाग: मंडकोला निवासी मोहर सिंह डागर का जन्म एक जून 1921 को मंडकोला के एक किसान परिवार में हुआ था। पांचवीं की कक्षा उन्होंने गांव से ही प्राप्त की थी। देश प्रेम का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा था। 1937 में आजाद हिद फौज के निर्माता नेताजी सुभाष चंद्र बोस फौज का गठन को लेकर पलवल में आए थे। नेताजी के भाषणों से प्रभावित होकर मोहर सिंह डागर आजाद हिद फौज में भर्ती हो गए। इस दौरान वह जर्मनी, जापान तथा अन्य देशों में आजाद हिद फौज के निर्माता सुभाष चंद्र बोस के साथ रहे थे। मोहर सिंह के पौत्र मुकेश डागर बताते हैं कि दादा कहते थे के आजाद हिद फौज में उन्होंने भूखे-प्यासे रहकर बहुत कष्ट झेले थे। 1948 में वे घर आए थे। उनकी बड़े भाई की पत्नी रतनी देवी से विवाह हुआ। बाद में उनके तीन बेटे हुए। 1974-75 में उन्हें स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन दी गई। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें 15 अगस्त 1972 को ताम पत्र देकर सम्मानित किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसी लाल ने 21 अक्टूबर 1997 को उनका सम्मानित किया था। स्वतंत्रता सेनानी मोहर सिंह डागर 1999 को स्वर्ग सिधार गए। भीम सिंह मंडोरी थे आजाद हिद फौज के निडर सिपाही: भीम सिंह मंडोरी का जन्म हथीन तहसील के गांव मंडोरी में किसान परिवार में हुआ था। वह 1937 में सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिद फौज में भर्ती हुए। इस दौरान उन्होंने फौज में रहते हुए कई अदम्य साहस दिखाए थे। उनके दो लड़के हरफूल तथा अतर सिंह हैं व दो बेटी कृष्णा व सावित्री हैं। कई वर्षों तक आजाद हिद फौज में सेवाएं देने के बाद वे 1948 में रिटायर्ड होकर आए थे। उनकी पत्नी नेपाली देवी का देहांत भी करीब 10 साल पहले हो गया था।


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