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पांच दिवसीय ध्यान योग शिविर संपन्न

जासं पलवल वैदिक धर्म प्रचारिणी सभा के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय ध्यान योग शिविर एवं सामव

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 03:43 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 03:43 PM (IST)
पांच दिवसीय ध्यान योग शिविर संपन्न
पांच दिवसीय ध्यान योग शिविर संपन्न

जासं, पलवल: वैदिक धर्म प्रचारिणी सभा के तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय ध्यान योग शिविर एवं सामवेद पारायण महायज्ञ का समापन रविवार को आर्य समाज हाउसिग बोर्ड कालोनी के मंदिर में किया गया। इस अवसर पर वैदिक विद्वान आचार्य सानंद जी ने कहा कि देश धर्म और जाति की रक्षा के लिए आर्य समाज के कार्यकर्ताओं को सक्रिय होने की नितांत आवश्यकता है। समाज में व्याप्त अंधविश्वास और नशाखोरी के कारण मानवता को खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि वेदों में मानव के सभी प्रकार के व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कर्तव्यों का विशद विवेचन किया गया है।

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आचार्य सानंद ने कहा कि वैदिक धर्म केवल एक ही प्रभु का प्रतिपादन करता है। वैदिक धर्म वैज्ञानिक धर्म है। धर्म एवं विज्ञान हाथ से हाथ मिला कर चलते हैं। वह धार्मिक सिद्धांत विज्ञान एवं तत्वज्ञान और दर्शन पर आश्रित हैं। उन्होंने कहा कि संसार के मनुष्य मात्र के स्वाध्याय के लिए वेद के अतिरिक्त अन्य कोई आवश्यक ग्रंथ नहीं है। आत्मज्ञान की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को वेदों का स्वाध्याय करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वेदों के द्वारा हम अपने धर्म का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। वेदों के अतिरिक्त सब ग्रंथ बदलने वाले हैं। महर्षि दयानंद ने आजीवन वेदों का प्रचार किया और सामाजिक बुराईयों के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया ।

सामवेद पारायण महायज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर श्री चंद्रपाल वर्मा रामप्रसाद फोरमैन,युद्धवीर तेवतिया और पंडित तुलाराम आर्य,सुमेर सिंह चौहान राजपाल दहिया आदि ने यजमान की भूमिका निभाई। गुरुकुल गोमत के विद्यार्थियों द्वारा सामवेद का पाठ किया गया। इस अवसर पर श्री यशपाल मंगला, प्रदीप सरदाना अशोक आर्य, बुधराम तेवतिया, मदनमोहन आर्य, जगबीर सिंह गिरधर, ज्ञान चंद शास्त्री, शिव सिंह आर्य भद्रसेन सचदेवा, ज्ञान मुनि, महेंद्र शास्त्री, कुंवर रमेश कुमार ,राजेश मंगला ,विक्रम सिंह कवत्रा, आदि मौजूद थे। प्रमोद शास्त्री ने भजनों के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन किया। राजदेव नैष्टिक ने मंच संचालन किया एवं समापन समारोह की अध्यक्षता स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने की।


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