नही है कोच, कैसे उभरे खेल प्रतिभाएं
प्रवीन बैंसला, पलवल स्वर्ण जयंती खेल नर्सरियों के माध्यम से खेल प्रतिभाओं को निखारने का सरक
प्रवीन बैंसला, पलवल
स्वर्ण जयंती खेल नर्सरियों के माध्यम से खेल प्रतिभाओं को निखारने का सरकार का प्रयास अपने लक्ष्य से भटकता नजर आ रहा है। खेल विभाग से मिले आंकड़ों की माने तो जिले में दिसंबर 2017 की शुरुआत में 13 खेल नर्सरियां तो शुरू कर दी हैं, परंतु इन खेल नर्सरियों में अभी तक कोई कोच नियुक्त नही किया गया है। ऐसे में बिना कोचों के इन खेल नर्सरियों की हालत बिना मांझी की कश्ती के समान हो गई है। हालांकि खेल विभाग ने बीते सप्ताह आठ-नौ जनवरी को कुछ कोचों के साक्षात्कार भी किए हैं, परंतु योग्य उम्मीदवार न मिलने पर विभाग ने दोबारा कोचों के लिए आवेदन मांगे हैं।
जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी की मानें तो जिले में सात पुरुष व छह महिला खेल नर्सरियों का शुभारंभ कर दिया गया। जिनमें पुरुष खिलाड़ियों को स्पेक्ट्रम स्कूल होडल में तीरंदाजी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बहीन में एथलेटिक्स, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय दीघौट में फुटबॉल, धर्म पब्लिक स्कूल पलवल में हैंडबॉल, सिद्धार्थ हाई स्कूल असावटा में कबड्डी व खो-खो, नवज्योति स्कूल अलावलपुर में वालीबाल, शिव विद्या मंदिर स्कूल मर्रोली में कुश्ती का प्रशिक्षण दिया जाना है। इसके अलावा महिला खिलाड़ियों को एसआरएस इंटरनेशनल स्कूल रामगढ़ में तीरंदाजी, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बंचारी में खो-खो, मोडिश पब्लिक स्कूल होडल में एथलेटिक्स, राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बहीन में हैंडबॉल, जीवन ज्योति ग्लोबल स्कूल में हॉकी तथा एनवीएन स्कूल भिडूकी में वालीबाल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रत्येक खेल नर्सरी में 25-25 खिलाड़ी प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इन नर्सरियों में खेल मैदान के रखरखाव, खेल उपकरणों की खरीद व खेल से संबंधित अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए एक-एक लाख रुपये दिए जाएंगे। इन खेल नर्सरियों के लिए पिछले माह 61 प्रशिक्षकों ने आवेदन किए थे, परंतु आठ-नौ जनवरी को विभाग द्वारा लिए साक्षात्कार में योग्य उम्मीदवार न मिलने से विभाग ने दोबारा आवेदन मांगे हैं।
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पिछले सप्ताह खेल नर्सरियों के आवेदकों के साक्षात्कार लिए गए थे, परंतु योग उम्मीदवार ने मिलने से विभाग ने अब दोबारा आवेदन मांगे हैं। प्रशिक्षक का अपने खेल में एनआइएस डिप्लोमा अनिवार्य किया गया था। ऐसा आवेदक नही मिलता है तो डीपीएड के साथ स्नातक उम्मीदवार पर विचार किया जाएगा।
- विरेंद्र ¨सह, जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी।