बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य व जन स्वास्थ्य विभाग आमने-सामने
जन स्वास्थ्य व स्वास्थ्य विभाग ने संयुक्त रूप से गांव के घरों से पानी के सैंपल लिए और उनकी जांच की।
जागरण संवाददाता, हथीन: चिल्ली गांव में बच्चों की मौतों के मामले में जन स्वास्थ्य व स्वास्थ्य विभाग आमने-सामने आ गए हैं। दोनों विभाग अपनी कमियां छुपाने के लिए एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। जन स्वास्थ्य व स्वास्थ्य विभाग ने संयुक्त रूप से गांव के घरों से पानी के सैंपल लिए और उनकी जांच की। जन स्वास्थ्य विभाग सप्लाई हो रहे पानी की जांच रिपोर्ट को सही मान रहे हैं। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग फैली बीमारी को दूषित पानी की सप्लाई व साफ- सफाई का कारण मान रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव में की गई मलेरिया डेंगू की जांच नेगेटिव आई है। फिर हो रही मौतों को कारण क्या माना जाए, इसके लिए किसी के पास कोई ठोस जवाब नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग की बात की जाए तो गांव में पिछले सात दिनों के दौरान 250 से भी ज्यादा मरीजों की स्लाइड बनाई गई हैं। इनमें आधा दर्जन स्लाइड डेंगू की भी शामिल बताई गई है। विभाग के जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. ब्रह्मदीप ने बताया कि गांव में जितने भी सैंपल लिए गए, उनमें की गई जांच में न तो मलेरिया के पाजिटिव केस मिले और ना ही एक भी मरीज डेंगू का मिला है। स्वास्थ्य विभाग बच्चों की मौतों का कारण अलग-अलग बीमारियों को मान रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों की माने तो अक्सर ऐसी मौतें पेयजल व गंदगी के कारण होती हैं।
वहीं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कार्यकारी अभियंता देवेंद्र राज कहते हैं कि पेयजल की कमी से डायरिया व उल्टी दस्त की शिकायतें आती हैं। मौतों के मामले में अभी तक उल्टी दस्त व डायरिया की कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने बताया कि गांव में सप्लाई हो रहा पानी रेनीवेल परियोजना के तहत आता है। यह पानी क्षेत्र के 160 गांवों में सप्लाई होता है। अगर पानी में कमी होती तो दूसरे गांवों के लोग भी प्रभावित होते। स्वास्थ्य विभाग व जन स्वास्थ्य विभाग ने लिए पानी के सैंपल:
दोनों विभाग के अधिकारियों ने गांव के चार घरों से पानी के सैंपल लिए। इन सैंपलों को मौके पर ही चेक किया गया। बताया गया है कि जो सैंपल लिए गए थे उनमें बेक्ट्रोलोजिकल, पानी की शुद्धता, ब्लीचिग की जांच की गई, जो मौके पर सही मिली। जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनकी जांच सही है। हां, एक केमीकल टेस्ट की जांच के सैंपल भेजे हैं, उसकी रिपोर्ट आनी शेष है। एक अधिकारी तो यह भी कहते हैं कि वह जांच भी सही आई है, जबकि स्वास्थ्य विभाग का एक निरीक्षक का कहना है कि जन स्वास्थ्य विभाग अपनी कमियों को छुपा रहा है। लिए गए सैंपल में मलेरिया व डेंगू नहीं है। अलग-अलग कारणों से बच्चों की मौतें हुई है। ऐसी मौतें दूषित पानी, साफ-सफाई व टीकाकरण की कमी के कारण होती हैं।
- डा. विजय कुमार, एसएमओ हथीन पानी की जांच में पता चला है कि सप्लाई हो रहा पानी शुद्ध है। दूषित पानी की कमी से डायरिया व दस्ते लगते हैं। ऐसा गांव में कोई मामला नहीं आया है।
- दीपेंद्र राज, कार्यकारी अभियंता जन स्वास्थ्य विभाग पलवल