गुरुकुलों से मिलता है संस्कृति को बढावा
संवाद सहयोगी, पलवल : गुरुकुल आंदोलन के पुरोधा स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने कहा कि संस्कृत, संस्
संवाद सहयोगी, पलवल : गुरुकुल आंदोलन के पुरोधा स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने कहा कि संस्कृत, संस्कार व संस्कृति को बचाने के लिए गुरुकुलों को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि कन्याओं का गुरुकुल चलाना आसान नही है। त्यागी, तपस्वी व्यक्ति ही गुरुकुलों का संचालन कर सकता है। वे कन्या गुरुकुल हसनपुर में स्वामी विजयानंद सरस्वती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि स्वामी विजियानंद को राष्ट्रीयता अपन माता-पिता से विरासत में मिली। उन्होंने लंबे समय तक कन्या गुरूकुल का संचालन कर त्याग व तप का साक्षात उदाहरण दिया। आपातकाल के दौरान उन्होंने गृहत्याग कर दोबारा अपने घर का रुख नही किया। इस अवसर पर राष्ट्रभृत यज्ञ का भी आयोजन किया गया। महात्मा श्रद्धानंद सरस्वती के नेतृत्व में कन्याओं ने मंत्रापाठ किया। महात्मा श्रद्धानंद स्वामी विजयानंद, सर छोटूराम व धर्म वीर बाल हकीकत राय श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हमारे लिए स्वधर्म सर्वोपरि होना चाहिए। वर्तमान विषम परिस्थितियों में गुरुकुल युवा निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा सकते है। कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य सत्यवती आर्या ने की, जबकि संचालन डॉ.राजवीर शास्त्री ने किया। इस अवसर पर स्वामी जगदीश्रवरानंद सरस्वती, आचार्या निशा शास्त्री, कुमारी रोशनी आर्या, कुमारी ज्योति आर्या, शिवचरण आर्य,बलजीत¨सह आदित्य,आचार्य ओमप्रकाश यजुर्वेदी, डॉ.गीता शास्त्री, नन्नूराम डांगी, जयप्रकाश आर्य, अमन¨सह शास्त्री, नर¨सह सरपंच, राजेंद्र विकल, गोत्तम चंद गर्ग, गजराज ¨प्रसिपल, मास्टर पूर्णलाल भजन प्रस्तुत किए। इस अवसर पर चन्द्रपाल आर्य, जयपाल आर्य, ज्ञानचंद, देशबंधु, जगत¨सह, सुरेश गोयल, योगेंद्र गोयल, ओमप्रकाश सीहा, सचिन ¨जदल, अमरदेव शास्त्री, ऋषिपाल नागर, महेंद्र ¨सह चौधरी, चंदरलाल आर्य, संतलाल पाली मौजूद थे।