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जैविक खेती कर दूसरों के लिए मिसाल बने किसान ओमबीर

कंपनियों की ओर से बेचे जा रहे महंगे कीटनाशक और अन्य दवाइयां कीटों के साथ-साथ हमारे लिए भी विषाक्त का काम कर रही हैं जिससे लोगों में गंभीर बीमारियों की एक श्रृंखला पनपती जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 07:08 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 07:08 PM (IST)
जैविक खेती कर दूसरों के लिए मिसाल बने किसान ओमबीर
जैविक खेती कर दूसरों के लिए मिसाल बने किसान ओमबीर

जागरण संवाददाता, पलवल: कंपनियों की ओर से बेचे जा रहे महंगे कीटनाशक और अन्य दवाइयां कीटों के साथ-साथ हमारे लिए भी विषाक्त का काम कर रही हैं, जिससे लोगों में गंभीर बीमारियों की एक श्रृंखला पनपती जा रही है। इन्हीं बीमारियों से लोगों को बचाने और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कुछ किसान भी काम कर रहे हैं।

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पलवल जिले में एक ऐसा ही गांव है बढ़ा, जहां किसान ओमबीर सिंह ने जैविक खेती से जुड़े सभी भ्रम को तोड़ते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उनकी कामयाबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार से उन्हें दर्जनों अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद ने भी उनके काम की सराहना करते हुए उन्हें अवार्ड से सुशोभित किया है।

ओमबीर सब्जियों की खेती के साथ ही बीच-बीच में मेढ़ बनाकर किन्नू का उत्पादन भी कर रहे हैं। किन्नू के पेड़ मेढ़ के अलावा खेत में अन्य स्थान पर जगह नहीं घेरते। उन्होंने एक एकड़ में करीब 50 किन्नू के पेड़ लगाए हैं, जिनसे रोजाना 1500 से 2000 रुपये की कमाई हो जाती है। साथ ही इनकी बिक्री गांव में ही हो जाती है। किन्नू का पौधा साल में दो बार फरवरी-मार्च और जुलाई-अगस्त में लगाया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि जैविक खेती छह साल पहले शुरू की थी। पहले छोटे स्तर पर काम शुरू किया और अब जब मुनाफा अच्छा हो रहा है तो आधे एकड़ में खीरा, आधे में गाजर व आधे में आलू, टमाटर उगा रहे हैं।

उनका कहना है कि किसी भी क्षेत्र में जब कोई नया काम करता है, तो निश्चित ही अड़चने आती हैं। उन्हें भी शुरू में बहुत परेशानी हुई और शुरूआत में कुछ समय मुनाफा भी नहीं हुआ, लेकिन वह काम करते रहे। आज नतीजा सबके सामने है और गांव में भी कई लोगों ने जैविक खेती करनी शुरू कर दी है।

उनका कहना है कि अक्सर लोगों को लगता है कि जैविक खेती में कमाई नहीं होती, लेकिन वह लागत से बहुत अधिक कमा रहे हैं। ग्राहक को अगर अच्छी और शुद्ध चीज मिले तो वह दो पैसे ज्यादा देने को भी तैयार होते हैं। ओमबीर के अनुसार अगर उत्पाद में शुद्धता है तो मार्केट खुद पहचान कर लेता है। अब क्योंकि उन्हे यह काम करते इतना वक्त हो गया है तो कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि लोगों को पता है कि यहां का उत्पाद स्वास्थ्यवर्धक एवं शुद्ध होगा।


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