...जब घोड़े पर सवार होकर हरियाणा आए थे सुभाष चंद्र बोस, लोगों को आज भी ऊर्जा देती हैं नेताजी की यादें
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti 2021 बंगाली बाबू के नाम से चर्चित गठीले व रौबीले शरीर के स्वामी नेताजी सुभाष चंद्र बोस सफेद रंग के ऊंचे घोड़े पर जब पलवल आए होंगे आज की पीढ़ी उसे सोच कर ही रोमांचित हो जाती है।
पलवल [संजय मग्गू]। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा के उद्घोष के साथ आजाद हिंद फौज का गठन कर ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देने वाले नेता जी सुभाष चंद्र बोस का पलवल से जुड़ाव आज भी शहर के लोगों में नव उर्जा का संचार कर देता है। शहर के ऐतिहासिक गांधी सेवाश्रम की वह कोठरी, जिसका नेता जी द्वारा दो अक्टूबर 1938 को शिलान्यास किया गया था, पर लगा शिलापट युवाओं को गौरवांवित कर देता है। आश्रम के संग्राहलय में लगी चित्र प्रदर्शनी में बापू के साथ नेता जी का चित्र उन लोगों के लिए जवाब है जो कि आजादी के परवानों में इत्तेफाक नहीं मानते।
बंगाली बाबू के नाम से चर्चित गठीले व रौबीले शरीर के स्वामी नेताजी सुभाष चंद्र बोस सफेद रंग के ऊंचे घोड़े पर जब पलवल आए होंगे, आज की पीढ़ी उसे सोच कर ही रोमांचित हो जाती है। कोठरी का निर्माण गांधी जी की पलवल में हुई गिरफ्तारी की याद को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए किया गया था, जिसे आज तक भी सहेज कर रखा गया है। हालांकि उस युग के लोग अब बिरले ही बचे हैं, लेकिन नेताजी के पलवल आगमन की चर्चाएं आज भी लोग करते हैं, जो कि उनके बुजुर्गों ने बताई थीं।
बता दें कि 10 अप्रैल 1919 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पहली राजनीतिक गिरफ्तारी की यादों को चिर स्थायी रखने के लिए गांधी आश्रम का निर्माण करने को शहर के सिंगला (लोहिया) परिवार ने भूमि दान में दी थी, जिस पर निर्माण का शिलान्यास करने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस दो अक्टूबर 1938 को पलवल आए थे।
व्यापारियों ने किया था भव्य स्वागत, सड़कों पर बिछा दिए थे नए कपड़ों के थान
गांधी आश्रम के लिए भूमि देने वाला लाला छिद्दा मल लोहिया के पौत्र उदयभान सिंगला व स्वतंत्रता सेनानी गोबिंद राम बेधड़क के पुत्र एसपी मित्तल के अनुसार, उनके दादा जी व पिता जी बताया करते थे कि दो अक्टूबर 1938 का दिन पलवल क्षेत्र के लोगों के लिए एक सौभाग्यशाली दिन था। नेताजी ऊंची गर्दन वाले सफेद घोडे़ पर सवार थे और बाजारों से जब उनका काफिला निकला था तो व्यापारियों ने उनके स्वागत में सड़कों पर कपड़ों के नए थान खोल दिए थे। महिलाएं ने छतों पर चढ़कर व और घरों की खिड़कियों व रोशनदानों से नेता जी का दीदार किया था।
नेताजी ने किया एक सभा को संबोधित
आधारशिला रखने के पश्चात उन्होंने पुराने सरकारी अस्पताल के पास आजादी के दीवानों की सभा को संबोधित करते हुए युवाओं का आजादी के आंदोलन में कूदने का आह्वान किया। यही कारण रहा कि भारत छोड़ो आंदोलन में यहां की युवाओं की भागीदारी रही। कहते हैं कि यहां नेता जी ने कहा था कि आजादी की लड़ाई सब मिलकर लड़ रहे हैं और उनकी प्रण है कि वे आजादी को महात्मा गांधी जी को सौगात स्वरूप भेंट करेंगे।
स्वतंत्रता सेनानी लाला गोबिंद राम बेधड़क के बेटे एसपी मित्तल ने बताया कि पिता जी बताया करते थे कि न केवल शहर बल्कि गांवों से पैदल-पैदल लोग नेता जी के दर्शन करने पहुंचे थे। तब के स्वाधीनता सेनानी तथा उनके साथ छोटे-छोटे बच्चों का जुलूस तिरंगा थामे महात्मा गांधी, भारत मां व नेताजी जिंदाबाद के नारे लगाते हुए चल रहे थे। महिलाएं घूंघट की ओट में नेताजी की एक झलक पाने के लिए बेताब थीं।
गांधी सेवाश्रम एनसीआर का ऐतिहासिक स्थान है
गांधी आश्रम ट्रस्ट के प्रधान देवीचरण मंगला ने कहा कि गांधी सेवाश्रम एनसीआर का ऐतिहासिक स्थान है। इसका शिलान्यास नेता जी सुभाष चंद बोस ने किया था। उनके द्वारा किए गए शिलान्यास का पत्थर आज भी आश्रम में लगा हुआ है तथा उस कोठरी को भी उसी स्वरूप में रखा हुआ है।
पलवल व आसपास के शहरों के लोग यहां नेता जी की बनाई कोठरी तथा आश्रम को देखने आते हैं।
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