भ्रष्टाचार व अनियमितताओं को लेकर फिर सवालों में नगर परिषद
स्थानीय निकाय (नगर परिषद) व पंचायती राज संस्थान (ग्राम पंचायतें/समितियां) लोकतांत्रिक प्रणाली के वह हिस्से हैं जिनसे हर आम व खास को काम पड़ता है।
संजय मग्गू, पलवल
स्थानीय निकाय (नगर परिषद) व पंचायती राज संस्थान (ग्राम पंचायतें/समितियां) लोकतांत्रिक प्रणाली के वह हिस्से हैं, जिनसे हर आम व खास को काम पड़ता है। शहर व गांव को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने वाली इन दोनों संस्थाओं पर गाहे-बगाहे जनहित की योजनाओं में बड़े घोटाले तथा अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं। गाजियाबाद के श्मशान भूमि में हुआ हादसा उसकी एक बानगी भर है कि आखिर भ्रष्टाचार में डूबे लोग किस हद तक जा सकते हैं। जिले की नगर परिषद भी अर्से से विवादों के घेरे में रही है, लेकिन अब फर्जी हाउस टैक्स रसीद, पार्किंग घोटाला तथा प्रापर्टी आइडी बनाने में गोलमाल के आरोपों ने फिर से कटघरे में खड़ा कर दिया है।
नगर परिषद के वर्तमान बोर्ड पर शुरू से भ्रष्टाचार व अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं। कभी सफाई के नाम पर बिना किसी टेंडर के तथा तमाम आरोपों के बाद लंबे समय तक एक ही एजेंसी के साथ काम करते रहना तथा कभी सेक्शन 35 में अनियमितताओं व नियमों की अनदेखी को लेकर बवाल होता रहा है। सेक्शन 35 में खर्च को लेकर आरोपों की फेहरिश्त तो गृह मंत्री अनिल विज के दरबार तक गई थी। हालांकि पुलिस की आर्थिक अपराध जांच शाखा चेयरपर्सन व जिम्मेदार लोगों को क्लीन चिट दे चुकी है, लेकिन न तो शहर के लोग तथा न ही परिषद के अधिकांश पार्षद उस क्लीन चिट से सरोकार रखते हैं। अब एक बार फिर से भ्रष्टाचार का जिन फन उठाता दिख रहा है, जिन्हें लेकर जिला पालिका आयुक्त मोनिका गुप्ता भी खासी गंभीर हैं। गृहकर रसीद मामला :
करीब दो वर्ष पूर्व आरटीआइ कार्यकर्ता धर्मेंद्र दलाल ने आरटीआइ लगाकर नप से छह अप्रैल 2016 से 20 अप्रैल 2016 के बीच जारी की गईं एनओसी का रिकार्ड मांगा था। पूछा गया था कि रसीद संख्या 146 से 270 के तहत जारी की गई एनओसी के लिए कितना विकास शुल्क व गृहकर जमाया गया था। नगर परिषद द्वारा लंबे इंतजार के बाद कहा गया कि रिकार्ड चोरी हो गया है, जिसकी कैंप थाने में शिकायत दी गई है। दैनिक जागरण ने उस समय इस मामले को पूरी गंभीरता से उठाया था तथा परिषद की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाया था कि आखिर शहर थाने में आने वाली परिषद में चोरी की शिकायत कैंप थाने में देना आंखों में धूल झोंकने के बराबर है। खुद को फंसते देख नप के अधिकारियों ने शहर थाने में अब रिकार्ड चोरी का केस दर्ज कराया है। बड़ी बात यह है कि उसकी जांच की जाएगी या नहीं कि जारी की गई एनओसी से कितनी रजिस्ट्रियां हुईं तथा उनमें से कितनी अवैध कालोनियों में थीं। वाहन पार्किंग मामला :
नगर परिषद ने शहर के बीचो बीच मीनार गेट चौक पर पार्किंग बनाई गई है, जिसके ठेके को लेकर भी आरोप लगते रहे हैं। हालांकि जब यह पार्किंग बनाई गई थी तो दावे किए गए थे कि इसे निश्शुल्क चलाया जाएगा, लेकिन गुपचुप तरीके से इसका ठेका छोड़ दिया गया। हालांकि आरोप लगते रहे हैं कि ठेका लेने वाले युवक ने टेंडर की तय राशि भी नगर परिषद में जमा नहीं की थी। अब हाल ही में सामने आया है कि पार्किंग का ठेका लेने वाले युवक द्वारा जमा कराई गई एक लाख रुपये की रसीद भी फर्जी है। 20 फरवरी 2020 को काटी गई रसीद पर छपे बार कोड को स्कैन करने पर मात्र 295 रुपये ही सामने आ रहा है, जबकि परिषद को भुगतान एक लाख रुपये का किया गया था। प्रापर्टी आइडी बनाने में भी गोलमाल के आरोप :
जब से राजस्व विभाग ने रजिस्ट्री आनलाइन की हैं, तब से शहर की हर जमीन की प्रापर्टी आइडी बनाई जा रही हैं। अगर किसी को कोई जमीन खरीदनी या बेचनी हो तो उसके लिए प्रापर्टी आइडी को जरूरी कर दिया गया है। प्रापर्टी आइडी बनाने के नाम पर भी नप में भारी गोलमाल के आरोप लग रहे हैं। प्रापर्टी आइडी बनवाने के लिए जाने वाले कई लोगों का कहना है कि दो हजार से पांच हजार तथा बड़ी संपत्ति होने पर 10 हजार व उससे अधिक तक भी ऐठे जा रहे हैं। हालांकि नगर परिषद के उच्चाधिकारी इसे सीएचसी से जुड़ा बताते हैं तथा शिकायत आने पर कार्रवाई की बात भी करते हैं। नगर परिषद द्वारा गृहकर एनओसी जारी करने के नाम पर गलत तरीके से रसीदें जारी की गई हैं। यह तो मामला सामने आ गया तो खुद को बचाने के लिए मुकदमा दर्ज कराया गया है। अगर विस्तृत जांच हो तो यह बहुत बड़ा स्कैंडल निकलेगा, जिसमें बड़े भ्रष्टाचार के मामले सामने आएंगे।
- यशपाल मावई, पार्षद पति व कांग्रेस नेता नगर परिषद की कार्यशाली के चलते सरकार की भी किरकिरी हुई है। सेक्शन 35 में भी भारी अनियमितताएं की गईं थीं, जिन्हें दबा दिया गया। हम उसकी भी उच्चस्तरीय जांच की कोशिश कर रहे हैं। अब फर्जी एनओसी तथा अन्य मामले सामने आने से परिषद की छवि खराब हो रही है। सारे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
- इंद्पाल शर्मा, पार्षद पति व भाजपा नेता नगर परिषद द्वारा जारी फर्जी रसीदों के मामले में शहर थाने में मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। पार्किंग के ठेकेदार द्वारा जमा कराए गए एक लाख रुपये परिषद के रिकार्ड में जमा हैं, उसमें कोई तकनीकी कमी हो सकती है। किसी भी मामले में शिकायत मिलती है तो जांच कराई जाती है।
- इंदू भारद्वाज, चेयरपर्सन नगर परिषद पलवल हाउस टैक्स रसीद मामले में संबंधित लिपिक को वहां से अलग कर दिया गया है। पुलिस के अलावा हमारे स्तर पर सारे मामले की विस्तृत जांच कराई जाएगी तथा किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। पार्किग के मामले की भी जांच कराई जाएगी। अगर टेंडर में तय पैसा जमा नहीं होगा तो टेंडर निरस्त किया जाएगा। प्रापर्टी आइडी बनाने में अगर कुछ गड़बड़ है तो अपने स्तर पर जांच कराऊंगी।
- मोनिका गुप्ता, जिला पालिका आयुक्त