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गुरुद्वारे से गुरुवाणी की गूंज, मंदिरों में रटे जा राधे-राधे

सनातन संस्कृति में सबसे पवित्र माने जाने वाले कार्तिक मास की पूर्णिमा (देव दीपावली) के अवसर पर शहर के मंदिर राधे-राधे से गुंजायमान रहे तो गुरुनानक देव जी के 551वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर गुरुद्वारों से गुरवाणी की गूंज सुनाई दी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 07:50 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 07:50 PM (IST)
गुरुद्वारे से गुरुवाणी की गूंज, मंदिरों में रटे जा राधे-राधे
गुरुद्वारे से गुरुवाणी की गूंज, मंदिरों में रटे जा राधे-राधे

संजय मग्गू, पलवल

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सनातन संस्कृति में सबसे पवित्र माने जाने वाले कार्तिक मास की पूर्णिमा (देव दीपावली) के अवसर पर शहर के मंदिर राधे-राधे से गुंजायमान रहे तो गुरुनानक देव जी के 551वें प्रकाशोत्सव के अवसर पर गुरुद्वारों से गुरवाणी की गूंज सुनाई दी। पवित्र कार्तिक मास के 30 दिन तक शहर की गली-गली में राम नाम की गंगा प्रवाहित करती रही प्राचीन दशहरा कमेटी ने सनातन धर्म मंदिर में प्रभातफेरी का समापन किया। न्यू कालोनी स्थित गुरुद्वारा साहेब में शब्द कीर्तन के साथ संगत ने लंगर प्रशादा छका तो रक्तदान शिविर में 101 गुरुभक्तों ने रक्तदान किया। भजन-कीर्तन के बीच की गई कोरोना के खात्मे की दुआ :

श्री सनातन धर्म दशहरा कमेटी के संयोजन में कार्तिक मास की प्रभातफेरी संकीर्तन का समापन शहर के सराय पुख्ता स्थित श्री सनातन धर्म मंदिर में किया गया। इससे पूर्व कमेटी के सदस्यों ने नाचते-झूमते हुए नगर परिक्रमा के दौरान रास्ते में 13 घरों में प्रभातफेरी संकीर्तन कार्यक्रम के तहत राम नाम की अलख जगाई। कमेटी के प्रधान सुशील कथूरिया भगत द्वारा संचालित संकीर्तन में सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने भागीदारी की।

सनातन धर्म मंदिर में हुए समापन कार्यक्रम में श्रद्धालुओं में भजन-कीर्तन के दौरान गोवर्धन तथा वृंदावन न जा पाने की टीस भी दिखी। उन्होंने भजनों को माध्यम से कोरोना के खात्मे की दुआ भी की। समापन कार्यक्रम के दौरान महीना भर चलने वाले धार्मिक महाअनुष्ठान में हाजिरी लगाने वालों तथा सहयोग करने वालों को सम्मानित किया गया।

भजन-कीर्तन के दौरान संगीतज्ञ गिरजेश शर्मा, शहर के प्रसिद्ध निष्काम भजन गायकों संजय सिगला, महेंद्र वर्मा, राकेश बिदल व शालिनी बिदल के भजनों ने समां बांध दिया तथा मस्ती में डूबे श्रद्धालु भजनों पर नाचते झूमते रहे। दशहरा कमेटी के सदस्यों व भजन गायकों में मुख्य रूप से महेंद्र वर्मा, भीम अरोड़ा, डा. आत्मप्रकाश सरदाना, किशनलाल छाबड़ा, बंसीधर मुखीजा, अर्जुन देव विरमानी, शैली पाहुजा, लोकेश कालड़ा, बोधराज शर्मा ने प्रभू भक्ति के भाव रखे। सिगला स्टील के चेयरमैन शिव शंकर सिगला ने मंदिर के जीर्णोद्धार की रुपरेखा तैयार करने की घोषणा के साथ सभी को विदाई दी। शब्द कीर्तन के साथ संगत हुई निहाल :

गुरुनानक देव जी के 551वें प्रकाशोत्सव के रूप में परंपरागत श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर पलवल शहर के गुरुद्वारों में तीन दिन से जारी पावन श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ की समाप्ति हुई, दीवान सजाए गए और रागी जत्थों ने गुरुद्वारों में आई हुई संगत को रूहानी शबद कीर्तन के जरिए निहाल किया। अखंड पाठ का भोग लगा और अरदास उपरांत संगत के बीच गुरु का लंगर अटूट बरता गया।

मुख्य आयोजन न्यू कालोनी स्थित गुरुद्वारा साहिब में हुआ, जिसमें पिछले 12 दिन से निकल रही प्रभात फेरी तथा 28 नवंबर से शुरू हुए अखंड पाठ का भोग भी लगा। इसके अलावा खेलकलां मोहल्ला स्थित गुरुद्वारे, काजीवाड़ा स्थित गुरुद्वारा गहना राम गुरुद्वारे तथा दुकड़िया मोहल्ले में स्थित गुरुद्वारे में भी प्रकाशोत्सव पर्व पर आयोजन हुए। देर शाम को जीटी रोड स्थित गुरूद्वारा सिंह सभा में शब्द कीर्तन हुए तथा अरदास की गई।

गुरुपर्व के अवसर पर गुरुद्वारा साहिब में शबद कीर्तन का भी आयोजन हुआ, जिसमें ज्ञानी छविद्र सिंह व ज्ञानी सतनाम सिंह ने शब्द कीर्तन के जरिए गुरुनानक देव जी की महिमा व समूह साध संगत के लिए उनके द्वारा स्थापित किए गए आदर्शो का बखान किया। महिला मंडली की सदस्यों ने भी शब्द कीर्तन किया तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा साहिब के दरबार में उपस्थित होकर शबद कीर्तन का श्रवण किया। शब्द कीर्तन की समाप्ति व अरदास उपरांत गुरुद्वारा साहिब के बाहर संगत के लिए लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं व आम जनता ने पंक्तियों में बैठ कर दाल-रोटी प्रसादा, सब्जी व खीर प्रसाद छका। इस मौके पर भारत स्काउट्स व गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने रैडक्रास सोसायटी तथा अपना ब्लड बैंक के संयोजन में रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया, जिसमें देर शाम तक गुरुभक्तों ने रक्तदान किया। बाक्स : देवोत्थान एकादशी के बाद सबसे बड़ा साया

सोमवार को गुरु पूर्णिमा जिसे देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है देवोत्थान एकादशी के बाद सबसे बड़ा साया रहा। शहर भर में सैंकड़ों शादियां हुईं, जिसके चलते कई बार सड़कों पर जाम की स्थिति बनी रही। सनातन धर्म मंदिर के पुरोहित आचार्य यशपाल शास्त्री ने बताया कि देवोत्थान एकादशी की तरह देव दीपावली को भी अबूझ साए के तौर पर समझा जाता है।


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