कन्या पूजन के साथ संपन्न हुए शारदीय नवरात्र
नवरात्र के समापन पर रविवार को क्षेत्र में नवमी हर्षोल्लास से मनाया गया। इस बार शनिवार को ही अष्टमी व नवमी की पूजा की गई।
जागरण संवाददाता, पलवल : नवरात्र के समापन पर रविवार को क्षेत्र में नवमी हर्षोल्लास से मनाया गया। इस बार शनिवार को ही अष्टमी व नवमी की पूजा की गई। मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा तथा कई मंदिरों में कन्या पूजन का आयोजन किया गया। इस बार श्रद्धालुओं ने कंजकों को टिफिन, जूस बोतलें, चाकलेट व स्टेशनरी आदि के पैकेट दिए।
शहर के कमेटी चौक स्थित देवी मंदिर में तो सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। शहर में रेलवे रोड स्थित खोंटा मंदिर, कलूटी हनुमान मंदिर, कामेश्वर महादेव मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर, श्रीगंगा लक्ष्मीनारायण मंदिर, श्रीदुर्गा मंदिर, पचोवन मंदिर में भी काफी रौनक रही। इसके अलावा औरंगाबाद के दादी आसा माई मंदिर, भुलवाना के चमेली वन मंदिर, शेषसाई के लक्ष्मीनारायण मंदिर, होडल के पथवारी मंदिर, संतोषी माता मंदिर, ढऊआ वाली बगीची, चमेलीवन, आदर्श कॉलोनी, न्यू त्यागी मंदिर जैसे प्राचीन व बड़े मंदिरों में तो श्रद्धालुओं को माता के दर्शनों के लिए लाइन में भी लगना पड़ा। सनातन संस्कृति में कन्याओं को मां दुर्गा व लक्ष्मी मां का स्थान दिया गया है। इसलिए हमें नवरात्र में ही नहीं बल्कि रोज कन्याओं की पूजा करनी चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी मां का निवास होता है तथा परिवार की शक्ति दुर्गा शक्ति के समान बढ़ती है।
- रेणु छाबड़ा, सामाजिक कार्यकर्ता नवरात्र शक्ति की उपासना का पर्व है। जैसे हम कन्या पूजन के साथ नवरात्र का समापन करते हैं, जरूरी है कि इसे अपनी दिनचर्या में भी शामिल करें। बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने तथा उन्हें आत्मरक्षा की शिक्षा दिलाना इस दिशा में सबसे जरूरी कदम है।
- पूनम बंसल, उद्यमी व सामाजिक कार्यकर्ता हालांकि अष्टमी शुक्रवार से ही शुरू हो गई थी, लेकिन पंचांग के अनुसार शनिवार को कन्या पूजन के लिए उत्तम संयोग था। इस बार नवमी व दशमी एक साथ आ रही है, इसलिए दशहरा पर्व पर नवमी का महत्व बढ़ जाएगा। इस बार दशहरा पर्व पर सुबह 7.42 पर दशहरा पूजन, खड़ग पूजन का शुभ मुहूर्त है।
- यशपाल शास्त्री, सनातन पुरोहित