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टैंकरों से मोल पानी खरीदने को विवश हैं लखनाका के ग्रामीण

गांव में राजीव गांधी रेनीवेल परियोजना की लाइन का कनेक्शन गांव मलाई से आने वाली पाइप लाइन से किया हुआ है। लेकिन अवैध कनेक्शनों की वजह से कई सालों से गांव के लोगों को एक बूंद पानी भी रेनीवेल परियोजना की लाइन से नहीं मिल पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Nov 2021 06:07 PM (IST)Updated: Fri, 05 Nov 2021 06:07 PM (IST)
टैंकरों से मोल पानी खरीदने को विवश हैं लखनाका के ग्रामीण
टैंकरों से मोल पानी खरीदने को विवश हैं लखनाका के ग्रामीण

संवाद सहयोगी, हथीन : बेटा जाए पैसा है सरकार पेंशन के रूप में देवे है वाहे तो हम पानी के टैंकर पर खर्च कर देते हैं। मैं ही नहीं पूरे गांव में पानी के हालत ऐसे ही हैं, हर परिवार मोल खरीदकर पानी पी रहो है। जी हां, यह व्यथा है गांव लखनाका की 65 वर्षीय विधवा जुहरी देवी की। जो गांव में पानी की किल्लत के चलते अपनी पूरी वृद्धा अवस्था के रूप में मिलने वाली पेंशन को पानी के टैंकर को खरीदने पर खर्च कर देती हैं। वृद्ध जुहरी ही नहीं गांव की सकीला, अतरी, जाकिर हुसैन, जितेंद्र कुमार और पूरे ग्रामीण मोल पीने का पानी खरीदने की समस्या से दो चार हो रहे हैं। यह सिलसिला लंबे अरसे से चला आ रहा है। क्योंकि गांव में जन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पीने के पानी की समस्या का निदान नहीं किया जा रहा है।

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दरअसल, गांव में राजीव गांधी रेनीवेल परियोजना की लाइन का कनेक्शन गांव मलाई से आने वाली पाइप लाइन से किया हुआ है। लेकिन अवैध कनेक्शनों की वजह से कई सालों से गांव के लोगों को एक बूंद पानी भी रेनीवेल परियोजना की लाइन से नहीं मिल पा रहा है। यूं तो गांव के जलोंदा नामक जंगल में दो ट्यूबवेल हैं, ताकि ग्रामीणों को पानी की सप्लाई मिल सके। लेकिन एक ट्यूबवेल का पानी खारा हो चुका है, जिसे अब इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। वहीं दूसरे ट्यूबवेल पर गांव के एक व्यक्ति ने कब्जा किया हुआ है। लगभग 8,000 की आबादी के इस गांव में दो वाटर टैंक बने हुए हैं। लेकिन दोनों वाटर टैंक बगैर पानी के सूखे हुए हैं। इसलिए गांव के लोगों ने अपने घरों में वाटर स्टोर करने के लिए निजी छोटे-छोटे टैंक बनाए हुए है। इन टैंकों में प्राइवेट स्तर पर वाटर सप्लाई का कार्य करने वाले लोगों से 600 और 700 रुपये में एक टैंक पानी खरीदकर अपना काम चलाना पड़ रहा है। एक टैंक पानी सात से आठ दिन तक काफी होता है। इसके बाद फिर से पानी खरीदना पड़ता है। ग्रामीणों के अनुसार उन्हें एक माह के अंदर 3,000 से 4,000 रुपये तक पानी पर खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन जन स्वास्थ्य विभाग गांव की इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं करा पाया। गांव के लोग कई बार विभाग से गुहार भी लगा चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं हुआ। ग्रामीणों ने गांव में पानी की व्यवस्था की मांग की है। पूरे गांव में पेयजल की किल्लत है, काफी राशि मोल पानी खरीदने पर खर्च हो जाती है। लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं हुआ।

- सकीला, गृहणी गांव लखनाका गांव में लगे दोनों ट्यूबवेलों का पानी नहीं आ रहा है। रेनीवेल की लाइन में अवैध कनेक्शन हो रखे हैं। लेकिन विभाग मौन है।

- जुहरी, वृद्धा गांव लखनाका गांव के लोगों को मोल पानी खरीदने पर बहुत राशि खर्च पड़ती है। कहने के बाद भी विभाग का समस्या की तरफ कोई ध्यान नहीं है।

- जाकिर हुसैन, पूर्व सरपंच लखनाका समस्या के निदान के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं। गांव में पेयजल समस्या का जल्द हल निकाला जाएगा।

- दीपेंद्र राज, कार्यकारी अभियंता जन स्वास्थ्य विभाग पलवल


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