हर्षोल्लास के साथ मनाया गोवर्धन पर्व
खंड में शुक्रवार को गोवर्धन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पर्व को लेकर शहर और गांवों में अनेकों जगहों पर धार्मिक कार्यक्रम और दीप मिलन समारोह के अलावा भंडारे का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी होडल : खंड में शुक्रवार को गोवर्धन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पर्व को लेकर शहर और गांवों में अनेकों जगहों पर धार्मिक कार्यक्रम और दीप मिलन समारोह के अलावा भंडारे का आयोजन किया गया। कई जगहों पर सामाजिक संस्था द्वारा प्रभात फेरी भी निकाली गई। कार्यक्रम का मुख्य आयोजन पुराना जीटी रोड श्री वैश्य अग्रवाल भवन में आयोजित किया गया। इसमें सभा के प्रधान सुभाष चंद गर्ग की अध्यक्षता में दयाचंद अग्रवाल, ओमप्रकाश गर्ग, रामकिशन सिकरैया, कृष्ण कुमार सिगला, हरीश मंगला, बाबूराम मंगला, राजकपूर बंसल, प्रकाश गोयल, डा जेके मित्तल, अमित कुमार गर्ग, जगमोहन, शिवकुमार परदेशी, विजेंद्र गोयल सहित समाज के सैकड़ों गणमान्य व्यक्तियों द्वारा भगवान गोवर्धन महाराज की पूजा-अर्चना की गई। इस अवसर पर अन्नकूट भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसमें शहर और आसपास की सभी कालोनियों के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। गांव भिड़ूकी, बांसवा, करमन, बंचारी, खांमी, लिखी, हसनपुर के अलावा गांव शैसशाई में गोवर्धन पूजा की गई तथा कई जगहों पर साधु संतों के सम्मान में भंडारे लगा।
गोवर्धन पर्व पर यज्ञानुष्ठान और सत्संग आयोजित
जासं, पलवल : गोवर्धन पर्व के पावन अवसर पर गांव कोंडल में यज्ञानुष्ठान और सत्संग का आयोजन किया गया। युद्धवीर सिंह आर्य ने यज्ञ संपन्न कराया और नारायण सिंह तेवतिया ने यजमान की भूमिका निभाई। इस अवसर पर आर्य नेता हरिश्चंद्र शास्त्री ने कहा कि आर्य समाज धार्मिक व राष्ट्रवादी लोगों का संगठन है। हिदी आंदोलन, गोरक्षा आंदोलन, शराबबंदी आंदोलन और स्वाधीनता आंदोलन में आर्य समाज ने सर्वाधिक योगदान दिया था, उन्होंने बताया कि आर्य समाज के माध्यम से गांव-गांव में नशाखोरी और धार्मिक पाखंड के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि वेद के मंत्रों का नित्य पाठ करने से आत्मा सुसंस्कारी हो जाती है और वेद की रक्षा होती है।
वैदिक धर्म प्रचारिणी सभा के प्रवक्ता स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने कहा कि पांच सकार सुख के और पंच मकार दुख के आधार हैं। सत्य, संध्या, स्वाध्याय, सत्संग और सेवा से सुख की प्राप्ति होती है और लोक परलोक सुधरते हैं। उन्होंने बताया कि मांस, मदिरा, मीन, मुद्रा और मैथुन के सेवन से शरीर और आत्मा की अवनति होती है।
इस अवसर पर विशनसिंह चौहान, चन्द्रमुनी, ज्ञानमुनी, चरणसिंह तेवतिया, महाशय अतरसिंह, विक्रमसिंह आर्य, घासीराम सूबेदार, शेर सिंह आर्य, चत्तरसिंह भजनोपदेशक, सीताराम रावत, नरेन्द्र शास्त्री आदि ने भी विचार व्यक्त किए।