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अनाधिकृत खरीद केंद्रों से सरकार को लग रहा चूना

क्षेत्र के कई गांवों में अनाधिकृत कपास खरीद केंद्र बने हुए हैं। कपास खरीदने में लगे व्यापारी जहां मार्केट फीस के रूप में सरकार को चूना लगा रहे हैं, वहीं सरकारी रेटों से तय कीमत पर कपास खरीदकर किसानों को लूट रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 03:02 PM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 03:02 PM (IST)
अनाधिकृत खरीद केंद्रों से सरकार को लग रहा चूना
अनाधिकृत खरीद केंद्रों से सरकार को लग रहा चूना

संवाद सहयोगी, हथीन: क्षेत्र के कई गांवों में अनाधिकृत कपास खरीद केंद्र बने हुए हैं। कपास खरीदने में लगे व्यापारी जहां मार्केट फीस के रूप में सरकार को चूना लगा रहे हैं, वहीं सरकारी रेटों से तय कीमत पर कपास खरीदकर किसानों को लूट रहे हैं। मार्केट कमेटी के अधिकारियों को सब कुछ पता होने के बाद भी कोई अंकुश नहीं लगाया जा रहा है, जिससे न केवल मंडी में कपास की आवक कम हुई है बल्कि मार्केट फीस के रूप में सरकार को घाटा हो रहा है।

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सरकार ने कपास के रेट इस बार 5200 रुपये प्रति क्विंटल तय किए हुए हैं। खंड हथीन के गांव मंढनाका, आली मेव, उटावड, कोट, गहलब व पहाड़ी में कपास के अनाधिकृत रूप से खरीदी जा रही है। बताया गया है कि इस खेल में लगे कुछ लोग किसानों से कम कीमत पर कपास खरीद रहे हैं। क्योंकि किसान भी मंडी के चक्कर लगाने से घर पर ही अपनी फसल बेच रहे हैं। नियमानुसार फसल को बड़े पैमाने पर ऐसे बेचा नहीं जा सकता। मंडी में आढ़ती द्वारा खरीद पर ढाई प्रतिशत मार्केट फीस के रूप में कमेटी को मिलता है। जो सरकार के खाते में जाता है। मंडी में पिछले वर्ष की तुलना में आई कपास की आवक से पता लगता है कि कहीं ना कहीं कोई घालमेल है। मंडी रिकॉर्ड के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस बार आवक कम है। किसान अपनी मर्जी से फसलें बेच रहे हैं। अगर यह फसल मंडी में आती तो जरूर मार्केट फीस सरकार में आती। फिर भी यथासंभव जो कार्रवाई होगी वह की जाएगी।

-मनीष कुमार, सचिव मार्केट कमेटी हथीन।


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