अच्छी खबर : ओपीडी से मनोरोग पीड़ितों की राह हुई आसान
परीक्षा की चिता हो या फिर व्यापारिक मामले घरेलू समस्याएं हों या फिर पारिवारिक विवाद जब हद से आगे बढ़ने लगते हैं तो कोई भी व्यक्ति तनाव की स्थिति में आ जाता है।
संजय मग्गू, पलवल
परीक्षा की चिता हो या फिर व्यापारिक मामले, घरेलू समस्याएं हों या फिर पारिवारिक विवाद, जब हद से आगे बढ़ने लगते हैं तो कोई भी व्यक्ति तनाव की स्थिति में आ जाता है। तनाव ज्यादा बढ़ता है तो मनोचिकित्सक की जरूरत पड़ती है। मनोरोग के मामले किस कदर बढ़ रहे हैं, वह विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर आई एक सर्वे रिपोर्ट में स्पष्ट भी हो चुके हैं। इसमें कहा गया है कि करीब 20 फीसद लोग किसी न किसी मानसिक परेशानी से त्रस्त हैं।
पलवल के जिला स्तरीय नागरिक अस्पताल में मनोरोग ओपीडी की लंबे समय से दरकार रही है, लेकिन वह कभी पूरी तरह से सार्थक नहीं हो पाई। हालांकि अस्पताल में स्पेशल वार्ड भी बनाने की बात चली थी, लेकिन कालांतर में वह भी सिरे नहीं चढ़ पाई। एनसीआर के प्रमुख मनोचिकित्सक डा. ब्रह्मदीप के जिले का सिविल सर्जन बन कर आने के बाद मनोरोग ओपीडी खुलने की आस पूरी हुई तथा करीब दो माह में एक हजार से ज्यादा ओपीडी हो चुकी हैं, जिनमें से 200 से ज्यादा लोग गंभीर रोगों से प्रभावित थे। केस एक :
करीब ढाई माह पूर्व जबकि कोरोना संक्रमण के मामले जिले में लगातार बढ़ रहे थे, उसी दौर में पूर्वोत्तर राज्य असम के मूल निवासी जो कि गंभीर मनोविकार से पीड़ित थे, को पलवल के नागरिक अस्पताल लाया गया था। सिविल सर्जन डा. ब्रह्मदीप अपने अफसरी वाले रूतबे को साइड कर एक मनोचिकित्सक के रूप में सामने आए तथा पूरी व्यवस्था न होते हुए भी उन्हें अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती किया। मरीज की गंभीरता इसी बात से देखी जा सकती थी कि जब उन्हें अस्पताल लाया गया वह बेसुध थे तथा चार दिन तक के उपचार के बाद उन्हें पूरी तरह से ठीक कर भेजा गया। केस दो :
सिविल सर्जन डा. ब्रह्मदीप अपने कार्यालय में थे कि उनके पास मनोरोग काउंसलर मधु डागर एक मनोरोगी को लेकर आईं। स्वजनों द्वारा बताया गया कि करीब 21 वर्षीय युवती अचानक से गंभीर मानसिक अवसाद में आ गई थी और उसे दौरे पड़ने शुरू हो गए थे। युवती को ओझा-फकीरों के पास भी लेकर जाया गया तथा पलवल के ही एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। सिविल सर्जन ने अपनी देखरेख में रोग पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया तथा उपचार का असर था कि तीन दिन बाद ही युवती पूरी तरह से स्वस्थ हो गई। नागरिक अस्पताल में सोमवार से शनिवार सभी छह दिन ओपीडी चलती है तथा काउंसिलिग के लिए मधु डागर भी कार्यरत हैं। ओपीडी में मैं खुद भी मरीजों को देखता हूं और चार दिन पूर्व यहां कार्यरत रह चुके मनोचिकित्सक डा. धर्मबीर को नियुक्त किया गया है। और भी स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी तथा जल्दी ही एक स्पेशल मनोरोगियों के लिए वार्ड भी तैयार किया जाएगा।
- डा. ब्रह्मदीप, सिविल सर्जन