किसान आंदोलन से प्रभावित हो रहा ट्रांसपोर्ट कारोबार
किसान आंदोलन का असर ट्रांसपोर्ट कारोबार पर पड़ रहा है। जिले के ट्रांसपोर्टरों के करीब साढ़े तीन सौ ट्रक फंसे हुए हैं तो कई इधर-उधर से लंबी दूरी तय कर आ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, पलवल: किसान आंदोलन का असर ट्रांसपोर्ट कारोबार पर पड़ रहा है। जिले के ट्रांसपोर्टरों के करीब साढ़े तीन सौ ट्रक फंसे हुए हैं तो कई इधर-उधर से लंबी दूरी तय कर आ रहे हैं। इससे ईंधन ज्यादा खर्च हो रहा है। दूसरी तरफ बुकिग न मिलने से भी ट्रांसपोर्टरों को प्रतिदिन तीस से चालीस हजार रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ट्रांसपोर्टरों के अनुसार कोरोना संकट से निकलने के बाद अब थोड़ा बहुत काम निकलने लगा था, पर इस आंदोलन से फिर परेशानी आने लगी है। यदि जल्द इस मसले का समाधान नहीं हुआ तो बड़ी दिक्कत होगी।
इस समय जिले से फल-सब्जी, गेहूं, धान और पुश आहार उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में भेजा जा रहा है, लेकिन किसानों के आंदोलन की वजह से अब ट्रांसपोर्टरों के ट्रक दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, यूपी समेत अन्य प्रभावित क्षेत्रों में नहीं जा पा रहे हैं। कई जगह माल से लदे हुए ट्रक दो-तीन दिन से सड़कों पर खड़े हैं। व्यापारियों को माल की डिलीवरी समय पर पहुंचाने में ट्रांसपोर्टर असहाय नजर आ रहे हैं। किसानों को भी लग रही चपत
जिले के अधिकतर किसान अनाज, फल और सब्जियों की खेती करते हैं। किसान आंदोलन से पहले तक आसानी से उनकी सब्जियां, फल और अनाज उत्तर भारत की विभिन्न मंडियों में पहुंच रहा था। अब आंदोलन की वजह से कई रूट बंद हैं, इसलिए माल की डिलीवरी समय पर नहीं हो पा रही है। इससे किसानों को भी वित्तीय चपत लग रही है। सरकार को चाहिए कि इस मसले को जल्द खत्म करे। फल-सब्जियों की डिलीवरी समय पर न होने से ट्रांसपोर्टरों के साथ-साथ किसानों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
- नवनीत तेवतिया, अध्यक्ष, पलवल ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन। जिले से धान, गेहूं, फल-सब्जी दिल्ली-एनसीआर,यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित अन्य जगहों पर भेजा जाता था, लेकिन आंदोलन का असर इतना तगड़ा है कि ट्रक ड्राइवर कही पर भी माल ले जाने के लिए हां नहीं कर रहा। कारोबार प्रभावित हो रहा है।
- जोगेंद्र सिंह, ट्रांसपोर्टर