खारी व तैलिया पानी में भी ले सकते हैं अच्छा उत्पादन
कृषि विशेषज्ञ डॉ.महावीर ¨सह मलिक ने कहा है कि उचित प्रबंधन तकनीक से खारी व तैलिया पानी से भी फसलों का अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। जिस पानी में विद्युत ई.सी. 4 डेसी साइमन प्रति मीटर से अधिक तथा शेष सोडियम 2.5 से अधिक है, वह पानी खारी लवणीय तथा जिस पानी में ई.सी. 4 से कम तथा आरएसएससी 2.5 से अधिक होती है, वह पानी तैलिया होता है।
संवाद सहयोगी, पलवल:
कृषि विशेषज्ञ डॉ.महावीर ¨सह मलिक ने कहा है कि उचित प्रबंधन तकनीक से खारी व तैलिया पानी से भी फसलों का अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। जिस पानी में विद्युत ई.सी. 4 डेसी साइमन प्रति मीटर से अधिक तथा शेष सोडियम 2.5 से अधिक है, वह पानी खारी लवणीय तथा जिस पानी में ई.सी. 4 से कम तथा आरएसएससी 2.5 से अधिक होती है, वह पानी तैलिया होता है।
डॉ.मलिक बृहस्पतिवार को को-ऑपरेटिव मार्केट सोसायटी बिक्री केंद्र पर आयोजित किसान गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। गोष्ठी की अध्यक्षता सहकारी विपणन समिति के उप प्रबंधक सतबीर चौहान ने की तथा संचालन बुधराम व दयाराम ने किया।
उन्होंने कहा कि खारे पानी वाले क्षेत्रों में लवण सहनशील फसलें जौ, सरसों, गेहूं, पालक, बरसीम व मटर आसानी से उगा सकते हैं। जहां खारी पानी है, वहां पलेवा नहर या नाले के पानी से करना अच्छा रहता है। खेत में छह से आठ टन गोबर की खाद डालें और खारे-नमकीन पानी में जिप्सम का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि नहर का पानी नहीं मिले तो सूखे में बिजाई करें तथा दो-तीन दिन में ही ट्यूबवेल के पानी से ¨सचाई करें। बीज की मात्रा 20 प्रतिशत अधिक डालें।
सतबीर चौहान ने फसल बिजाई से पहले मिट्टी-पानी की जांच कराने तथा पानी के नमूने लेने की विधि बताई। उन्होंने बताया कि बिक्री केंद्र पर खाद, बीज, दवाइयां सरकार द्वारा निर्धारित मूल्यों पर भरपूर मात्रा में उपलब्ध कराए जाते हैं।
इस मौके पर कुंवरपाल, विजयराम, मूलचंद, तुलसीराम, शिव ¨सह, अमित खिरबी, जसराम, धर्म, घनश्याम विजयगढ़, नबिया खान, हरीचंद, करन ¨सह, नवीन कुमार, मुख्य रूप से मौजूद थे।