कीट व रोग की रोकथाम से बढ़ेगी टमाटर की पैदावार
जिले में खुले खेतों में टनल तथा पालीहाउस में सैकड़ों एकड़ भूमि क्षेत्र में टमाटर की खेती की जा रही है।
जागरण संवाददाता, पलवल : जिले में खुले खेतों में टनल तथा पालीहाउस में सैकड़ों एकड़ भूमि क्षेत्र में टमाटर की खेती की जा रही है। टमाटर की बाजार में पूरे वर्ष मांग रहने से किसान इस फसल से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञ डा. महावीर सिंह मलिक ने कहा कि टमाटर फसल में कीट व रोगों का प्रकोप बढ़ने लगा है। टमाटर की अच्छी पैदावार लेने के लिए संतुलित उर्वरक सिचाई आदि के साथ-साथ कीड़े व बीमारियों की रोकथाम समय रहते करना अति आवश्यक है।
डा. मलिक ने गांव सदरपुर में किसानों को अच्छी पैदावार लेने के गुर समझाते हुए कहा कि सफेद पंखों वाला बहुत छोटा सा कीट, सफेद मक्खी व हरे रंग की जूं, चेपा कीट पत्तों की निचली सतह से रस चूस कर बड़ी हानि करते हैं। सफेद मक्खी व चेपा कीट टमाटर की फसल में मरोडिया विषाणु रोग भी फैलाते हैं। फसल निरीक्षण के दौरान किसान सुमेर सिंह के खेत पर उन्होंने टमाटर फसल में विषाणु रोग व कीड़ों की पहचान भी किसानों को बताई। यूं करें कीटों व रोग की रोकथाम के उपाय :
कीटों से बचाव के लिए 400 मिली मेलाथियान 50 ईसी दवा 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ 15 दिन के अंतर पर छिड़काव करें। फल छेदक सुंडी की रोकथाम के लिए 60 मिली साइपरमैथरीन 25 ईसी कीटनाशक को 200 लीटर पानी में मिलकर प्रति एकड़ छिड़काव 15 दिन के अंतर पर कर दे। मार्च में इस कीट की रोकथाम कीट के अंडा परजीवी ट्राइकोगारमा किलोनिश 20 हजार परजीवी प्रति एकड़ फसल पर छोड़कर भी की जा सकती है। टमाटर में 10 लाइन के बाद एक लाइन गेंदा की लगाकर इस कीट के प्रकोप को कम किया जा सकता है। कीटनाशक छिड़काव से पहले खाने योग्य टमाटर अवश्य तोड़ लें। कीट ग्रस्त फलों को तोड़कर मिट्टी में दबा देना चाहिए। उन्हें खेत में न डालें। झुलसा रोग रोकथाम के लिए इंडोफिल एम-45 दवा का 400 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर 10-15 दिन के अंतर पर छिड़काव कर देना चाहिए। टमाटर में पौधे पीले पड़ना, उनकी बढ़वार रुकना जोड़ों की गांठ वाले सूत्रकर्मी के कारण जड़ गांठ रोग होता है। जड़ों में गांठे बनाना इस रोग की पहचान है। यह रोग प्राय नर्सरी से फैलता है। जड़ गांठ रोग सूत्रकर्मी रोकथाम के लिए 750 ग्राम नीम की कली प्रति वर्ग मीटर की दर से बिजाई से एक सप्ताह पहले भूमि में मिलाकर हल्का पानी लगा देना चाहिए। टमाटर में अगेती झुलसा पत्ती मरोड़ व जड़ गांठ रोग भी हानि पहुंचाते हैं। पत्ती मरोड़ विषाणु रोग में पौधे की बढ़वार रुक जाती है। रोगी पौधों को आरंभ में ही उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए। इस बीमारी को फैलाने वाले सफेद मक्खी व चेपा कीट को नर्सरी तथा खेतों में अनुमोदित कीटनाशक का छिड़काव करके नियंत्रण करने से रोग रोकथाम हो जाती है।
- डा. महावीर मलिक, कृषि विशेषज्ञ