उलेमाओं ने कहा, सरकार निकाह की समय सीमा और आयु तय करने से करे परहेज
स्टेट पेज के लिए फोटो 23 एमडब्ल्यूटी 20 मेवात में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के जिलाध्यक्ष हाजी मोहम्मद रमजान की अध्यक्षता में हुई बैठक
संवाद सहयोगी, फिरोजपुर झिरका (नूंह): गुरुग्राम-अलवर हाईवे स्थित आइशा कालोनी में मेवात के उलेमाओं की एक बैठक जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के जिलाध्यक्ष हाजी मोहम्मद रमजान की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा लड़की की शादी की आयु सीमा 21 वर्ष करने को लेकर नाराजगी व्यक्त की गई। इस दौरान मौलाना डा. रफीक आजाद और मौलाना साबिर कासमी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लड़की की शादी की उम्र 21 साल करने बाबत मेवात के नामचीन उलेमाओं की बैठक हुई । बैठक में मेवात के उलेमाओं की तरफ से जारी बयान में कहा कि निकाह मानव जीवन की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, लेकिन निकाह किस आयु में हो इसके लिए किसी निश्चित आयु को मानक नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि इसका संबंध स्वास्थ्य से भी है। इसके अलावा समाज में नैतिक मूल्यों की सुरक्षा से भी है, इसलिए न केवल इस्लाम बल्कि अन्य धर्मों में भी निकाह की कोई आयु और समय सीमा तय नहीं की गई है, बल्कि इसको उस धर्म के मानने वालों के स्वविवेक पर छोड़ा गया है। यदि कोई लड़का या लड़की को 21 वर्ष से पूर्व निकाह (शादी) की आवश्यकता महसूस होती है और निकाह के बाद के दायित्व का निर्वहन करने में सक्षम है तो निकाह से रोक देना अत्याचार और व्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है, समाज में इसके कारण अपराध को बढ़ावा मिल सकता है। उन्होंने कहा कि 18 वर्ष या 21 वर्ष शादी की न्यूनतम आयु तय कर देना न लड़कियों के हित में है और न ही किसी भी समाज के लिए लाभदायक है, बल्कि इससे नैतिक मूल्यों को हानि पहुंच सकती है। मौलाना हकीमुद्दीन ने कहा कि वैसे भी कम आयु में निकाह का रिवाज धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी आती हैं कि तय आयु से पूर्व ही निकाह कर देने में लड़की का हित होता है, इसलिए जमीयत उलेमा ए हिद मेवात के पदाधिकारियों की मांग है कि सरकार ऐसे हानिकारक कानून को बनाने से परहेज करे। इस बैठक में जमीयत उलेमा ए हिद पलवल के अध्यक्ष मौलाना उस्मान रूपडाका, जमीयत हरियाणा के उपाध्यक्ष मौलाना हकीमुददीन उटावड के अलावा कई मौलाना तथा मुस्लिम धर्मगुरु मौजूद रहे।