जर्जर हो चुके मोर पंख विश्रामगृह की बदलेगी सूरत
संवाद सहयोगी तावडू अंग्रेजी शासनकाल के दौरान बनाया गया मोर पंख विश्रामगृह बेहद जर्जर हालत
संवाद सहयोगी, तावडू: अंग्रेजी शासनकाल के दौरान बनाया गया मोर पंख विश्रामगृह बेहद जर्जर हालत में है। लंबे समय बाद ही सही, सिचाई विभाग के अधिकारियों ने अब इसे संवारने की कवायद तेज कर दी है। करीब 22 लाख रुपये की लागत से मोर पंख विश्रामगृह, जो वर्तमान में सिचाई विभाग विश्राम गृह है, का जीर्णोद्धार कराया जाएगा।
नगर के मोहम्मद पुर रोड स्थित करीब 8 एकड़ में फैले विश्राम गृह में किसी समय में अंग्रेज अधिकारी यहां शिकार करने व मनोरंजन के लिए आते थे। बाद में देश आजाद होने के बाद आपातकाल के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को यहां 18 महीने नजरबंद कर रखा गया था, जिसमें बहुतायत में पेड़ होने के चलते यहां कई प्रजातियों के मोरों की शरणस्थली थी, जिसके चलते इसे मोर पंख का नाम दिया गया। 18 महीने की नजरबंदी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जब प्रधानमंत्री बने तो सबसे पहले तावडू के मोर पंख विश्राम गृह पहुंचे और बीते दिनों की यादें ताजा की। इसी दौरान उन्होंने 3 अक्टूबर 1977 को एक नए भवन की आधारशिला रखी जो क्षेत्र के लोगों के लिए पर्यटन का केंद्र बनकर उभरा। लेकिन पिछले लंबे समय से कुछ प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया जो आज बेहद जर्जर हालत में पहुंच चुका है।
नगर के जगदीश ठेकेदार, धर्मपाल सहरावत, राजेंद्र, सुखदेव सिंह, चौधरी शिवदत्त आदि ने बताया कि नजरबंदी के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई खेतों की मेड़ों पर घूमते हुए लोगों से मिला करते थे। नगर के कई लोगों से उनका इतना अच्छा जुड़ाव हो गया कि वह प्रधानमंत्री पद संभालते ही हेलीकाप्टर द्वारा सबसे पहले तावडू पहुंचे। लेकिन अब इस रमणीक स्थल की हालत बेहद जर्जर है। कर्मचारियों की भी भारी कमी है, केवल एक चौकीदार और सफाई कर्मी ही यहां तैनात हैं।
लंबे समय से माली नहीं होने के चलते यहां लगाए वर्षों पुराने पेड़ भी सूखने लगे हैं। पानी की टंकी टूटी हुई है, लाइटें बंद पड़ी हैं। बंदरों का आतंक इसमें चरम पर है, जिसके चलते लोग डर के मारे इसमें घुसने से भी कतराते हैं। विश्राम ग्रह की जर्जर हालत को लेकर सिचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता मुकुल कथूरिया ने बताया कि करीब 22 लाख रुपये का एस्टीमेट बनाकर उच्च अधिकारियों को भेजा चुका है। जल्दी ही इसका जीर्णोद्धार किया जाएगा। वहीं कर्मचारियों की मांग भी की गई है, जिन्हें कुशल निगम के अंतर्गत पूरा किया जाएगा।